1.बाबा बटेश्वर नाथ एक उपन्यास है
2.जो नागार्जुन जिनको वैद्य मिश्र यात्री नाम से भी जाना जाता है द्वारा लिखित है।
https://youtu.be/ayfap3X0zTs
3.
इस उपन्यास का कथानक के कोई मनुष्य नहीं एक बूढा बरगद है।
4.जिस प्रकार गांव में बड़े बूढ़ों को आदर दिया जाता है उसी प्रकार आदर इस बूढ़े बरगद को दिया जाता है इसीलिए इसको बाबा बटेश्वर नाथ कहा जाता है।
5.यह एक बरगद का पेड़ है जो आपने से जुड़ी चार पीढ़ियों के कथानक को आजादी से जोड़कर उसे जयकिशन को सुनाते हैं सीख देते हैं।
6.बाबा बटेश्वर नाथ अपनी कहानी सुनाते सुनाते पूरे गांव की कहानी सुना जाते हैं ग्रामीण जीवन के सुख-दुख रूदन और अभाव अभियोग ओं का इसमें भी बड़ा ही सहज और मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है
7.यह एक रुपाली गांव की कथा है जो जयकिशन के 8.परदादा ने इस बरगद के पेड़ को रोका था
9.जमीदारी उन्मूलन से संबंधित है जब भारत में आया था उस समय की कहानी है
10.जयसिंह है बाबा बटेश्वर नाथ के बीच वार्तालाप इसके बीच हुए हैं
11.आजादी से पहले वह बाद की कहानी इस उपन्यास में बताई गई है।
12.4 में आने वाले बदलाव के बारे में जिक्र जिसमें हुआ है।
13.यह एक आंचलिक उपन्यास है।
14.बाबा बटेश्वर नाथ एक ही उम्र 103 साल है।
15.जय किशन बाबा बटेश्वर नाथ की जय हो जाता है और 16.वह बाबा बटेश्वर नाथ से बातचीत करता हुआ दिखाई देता है
17.आजादी से पहले और आजादी के बाद की सभी घटनाओं का करीने से कर्म गत रूप से वह वर्णन करता है और गांव में होने वाले बदलाव का जिक्र करता है
18.इस उपन्यास में नमक कानून बनना है सहयोग आंदोलन चरखा चलाना सूट काटना गुड से चीनी बनाना इस प्रकार के परिवर्तन किया गया है।
19.जहां एक प्रकार से इसके नकारात्मक परिणामों के बारे में बताया गया है वही अंग्रेजों के जो सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं उनके बारे में भी इस उपन्यास में वर्णन किया गया है जैसे रेलवे लाइन का विकास गांधीजी के अलग-अलग प्रभाव युवा और महाजन व जमीदार के बीच होने वाला प्रतिवाद
19.यह उपन्यास जीवंत संवेदनशील आंचलिक और एक व्यक्ति विशेष की देन है नागार्जुन
20पेड़ के आसपास की जमीन को जमीदार हड़पना चाहते हैं
निष्कर्ष -जिनका यह आंचलिक उपन्यास से बरगद के बहाने आने वाली पीढ़ियों पर भी आजादी से संबंधित सभी जानकारी जय किशन को सुनाते हैं और सीख देती हैं
शिल्प की दृष्टि से नागौर जन का यह उपन्यास विलक्षण है जिसका कथा नायक कोई मानव एक बूढा बरगद है।