हिंदी की बोलियाँ
भूमिका (Introduction)
हिंदी भाषा भारत की प्रमुख और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसकी समृद्धि और व्यापकता का मुख्य कारण इसकी अनेक उपभाषाएँ और बोलियाँ हैं। बोलियाँ किसी भाषा की आत्मा होती हैं, क्योंकि वे सीधे जनजीवन, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी होती हैं। हिंदी साहित्य का विकास भी बोलियों के माध्यम से हुआ है। भक्ति काल में अवधी और ब्रजभाषा ने साहित्य को नया आयाम दिया और आधुनिक काल में खड़ी बोली ने हिंदी को मानक रूप प्रदान किया। इसलिए हिंदी भाषा के अध्ययन के लिए उसकी उपभाषाओं और बोलियों का ज्ञान आवश्यक है।
बोली और उपभाषा का अर्थ
बोली
बोली वह भाषा-रूप है जो किसी सीमित भौगोलिक क्षेत्र में बोली जाती है और मुख्यतः बोलचाल में प्रयुक्त होती है।
उपभाषा
उपभाषा वह भाषा-रूप है जो किसी मुख्य भाषा और उसके क्षेत्रीय बोलियों के बीच का स्तर होती है। इसके अंतर्गत कई बोलियाँ आती हैं और इसका क्षेत्र अपेक्षाकृत व्यापक होता है।
हिंदी की प्रमुख उपभाषाएँ
हिंदी की उपभाषाएँ
हिंदी
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पश्चिमी हिंदी पूर्वी हिंदी राजस्थानी बिहारी
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पहाड़ी (हिमाचली)
1. पश्चिमी हिंदी
क्षेत्र – पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा
प्रमुख बोलियाँ – खड़ी बोली, ब्रज, बुंदेली, कन्नौजी, हरियाणवी
उदाहरण – मैं आज विद्यालय जा रहा हूँ।
2. पूर्वी हिंदी
क्षेत्र – पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश
प्रमुख बोलियाँ – अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी
उदाहरण – राम भले राजा हैं।
3. राजस्थानी
क्षेत्र – राजस्थान
प्रमुख बोलियाँ – मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, मेवाती
उदाहरण – थांने राम-राम सा।
4. बिहारी
क्षेत्र – बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश
प्रमुख बोलियाँ – भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका
उदाहरण – हम तोहार इंतजार करत बानी।
5. पहाड़ी (हिमाचली)
क्षेत्र – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड
प्रमुख बोलियाँ – गढ़वाली, कुमाऊँनी, कांगड़ी
उदाहरण – मैं घास काटण जाँ।
हिंदी की 18 प्रमुख बोलियाँ
पश्चिमी हिंदी की बोलियाँ
पश्चिमी हिंदी
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खड़ी ब्रज बुंदेली कन्नौजी हरियाणवी
1. खड़ी बोली – मैं आज स्कूल जा रहा हूँ।
2. ब्रजभाषा – मोरे मन बस्यो श्याम।
3. बुंदेली – हम कल मेले जाबे।
4. कन्नौजी – तुम कहाँ जात हौ?
5. हरियाणवी – मैं तो ठीक स्यूँ।
पूर्वी हिंदी
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अवधी बघेली छत्तीसगढ़ी
6. अवधी – राम भले राजा हैं।
7. बघेली – हम बजार जात हई।
8. छत्तीसगढ़ी – का हाल हे?
राजस्थानी की चार बोलियाँ
राजस्थानी
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मारवाड़ी मेवाड़ी ढूंढाड़ी मेवाती
9. मारवाड़ी – थांने राम-राम सा।
10. मेवाड़ी – म्हे घर जावां।
11. ढूंढाड़ी – मौसम घणो सुथरो है।
12. मेवाती – हम घर जाँवां।
बिहारी बोलियाँ
बिहारी
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भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका
13. भोजपुरी – हम तोहार इंतजार करत बानी।
14. मगही – हम घर जा रहल छी।
15. मैथिली – अहाँ केना छी?
16. अंगिका – हमरा नीक लागे।
अन्य प्रमुख बोलियाँ
अन्य बोलियाँ
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मालवी निमाड़ी
17. मालवी – म्हे पानी पीना है।
18. निमाड़ी – मैं खेत जाऊँ।
हिंदी की बोलियों का महत्व
हिंदी साहित्य का प्रारंभ बोलियों से हुआ
लोकसंस्कृति और परंपराओं का संरक्षण
भाषा को जनसुलभ और जीवंत बनाना
क्षेत्रीय पहचान को सुदृढ़ करना
उपसंहार (Conclusion)
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि हिंदी की उपभाषाएँ और बोलियाँ हिंदी भाषा की आत्मा हैं। इन्हीं के माध्यम से हिंदी ने जन-जन तक पहुँच बनाई और साहित्यिक रूप से समृद्ध हुई। यदि हम इन बोलियों और उपभाषाओं का संरक्षण और संवर्धन करेंगे, तो हिंदी भाषा और अधिक जीवंत, सशक्त और सार्वभौमिक बन सकती है। अतः हिंदी की बोलियों और उपभाषाओं का सम्मान करना और उनका अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है।