5955758281021487 Hindi sahitya : रसखान संबंधित प्रश्नों के उत्तर
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शुक्रवार, 8 मई 2020

रसखान से संबंधित प्रश्नों के उत्तर

रसखान से संबंधित प्रश्नों के उत्तर
रसखान का जन्म 1548 में हुआ माना जाता है।
 उनका मूल नाम सैयद इब्राहिम था।
 दिल्ली के आसपास के रहने वाले थे।
 कृष्ण भगत ने उन्हें ऐसा मुक्त कर दिया की गोस्वामी विट्ठलनाथ से दीक्षा ली और ब्रजभूमि में जब से सन1628 के लगभग उनकी मृत्यु हुई।

 सुजान रसखान और प्रेम वाटिका इनकी उपलब्ध कृतियां हैं ।
रसखान रत्नावली के नाम से इनकी रचनाओं का संग्रह मिलता है ।
प्रमुख कृष्ण भगत कवि रसखान की वृत्ति ने केवल कृष्ण के प्रति यह प्रकट हुई है।
 बल्कि कृष्ण भूमि के प्रति भी उनका आनंद न अनुराग व्यक्त हुआ है।
काव्य में कृष्ण के रूप माधुरी।
 ब्रज महिमा 
राधा कृष्ण की प्रेम लीला ओं का मनोहर वर्णन मिलता है।

 वे अपनी प्रेम की तन में था भव्य लता और आसक्ति के उल्लास के लिए जितने प्रसिद्ध हैं उतने ही अपनी भाषा की मार्मिक ता शब्द चयन शैली के लिए उनके यहां ब्रजभाषा का अत्यंत मनोरम और सरल व साहस प्रयोग मिलता है जिस में जरा भी शब्द आडंबर नहीं है।
सवैये

मानुष हौं तो वही रसखान बसों बृज गोकुल गांव के गवारन
जोै पशु होैं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मंझारन।।
पाहन तो वही गिरि को जो क्यों हरि छत्र पुरंदर धारन
जोैं खग हौं तो बसेरो करौं मिली कालिंदी कूल कदंब की डारन

प्रथम सवैये के माध्यम से कवि रसखान बताना चाहते हैं कि अगर मेरा जन्म मनुष्य के रूप में हो तो गोकुल के गांव के वालों के बीच में हो अगर जय श्री कृष्ण आप मुझे पशु के रूप में जन्म देना चाहते हैं तो मैं नंदबाबा की गायों के बीच में गाय बनकर चलूं श्री कृष्ण अगर मेरा जन्म पत्थर के रूप में हो तो मैं उसे गिरी का पत्थर बनो जो श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाई थी अर्थात गोवर्धन पर्वत का ही पत्थर बनो इसमें रसखान की अनन्य भक्ति झलकती है उन्होंने कहा है कि अगर मेरा जन्म रूप में हो तो मेरा बसेरा हमेशा कालिंदी यानी यमुना पुल पर ही हो यहां संकलित पहले समय में कृष्ण और कृष्ण भूमि के प्रति कवि का अनन्य समर्पण भाव व्यक्त हुआ है।
रसखान से संबंधित प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न रसखान की रचना के तथा उनकी एक एक प्रसिद्ध कविता का नाम लिखिए।
उत्तर रसखान की रचना सुजान ,रसखान, प्रेम वाटिका

प्रश्न नंबर दो- रसखान के आराध्य कौन हैं?
उत्तर- रसखान के आराध्य भगवान श्री कृष्ण हैं।

प्रश्न3.निम्न में से कौन रीतिकालीन कवि नहीं है
1 धनानंद
2 देव
3 मतिराम
4 रसखान

उत्तर-इनमें से रसखान जी रीतिकालीन कवि नहीं है इन्हें भक्तिकालीन कवि कहा जाता है भक्ति काल में भी कृष्ण कवि मुसलमान होते हुए भी इन्होंने हिंदी में कृष्ण काव्य धारा कृष्ण प्रेम को अपनाया।

प्रश्न -रसखान को रस की खान क्यों कहा जाता है?
रसखान की भक्ति श्री कृष्ण के प्रति अनन्य है उनकी भक्ति से जो भावपूर्ण रचनाएं निकली हैं उसमें एक अद्भुत रस उत्पन्न होता है इसीलिए उनको रस की खान यानी रसखान कहा जाता है।

प्रश्न -राजस्थानी ने अपनी किस रचना में स्वयं को शाही खानदान का कहा है?
उत्तर -रसखान ने अपनी रचना सुजान में अपने आपको शाही खानदान का कहा है।

प्रश्न- रसखान प्रत्येक रूप में ब्रज में ही क्यों रहना चाहते हैं?
रसखान जी श्री कृष्ण से अनन्य प्रेम करते हैं उनकी प्रेम में तन्मयता भाव भी हल्का और आसक्ति का उल्लास है ।

इसीलिए वे मनुष्य रूप में ब्रज के ग्वाले पशु रूप में नंद बाबा के गाने पानी पत्थर के रूप में वह गोवर्धन पर्वत का पत्थर तथा खा के रूप में वे यमुना के किनारे कालंदी कुंज की डाल पर रहना चाहते हैं क्योंकि वे हमेशा कृष्ण के के बाल लीलाओं का आनंद लेना चाहते हैं चक्र से संबंधित चीजों के साथ निवास करके अपने आपको उनकी भक्ति में लीन बनाना चाहते हैं।

प्रश्न*रसखान ने प्रेमानंद किसे कहा है?
उत्तर-सुजान को उन्होंने प्रेमी तथा कृष्ण भक्ति को भी अपने प्रेम अयनी कहा है।
रसखान जी की उपलब्धियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तर रसखान
सुजान
प्रेम वाटिका
रसखान रचनावली
इनकी प्रमुख रचनाएं हैं।
इसके अलावा इनके काव्य में कृष्ण की रूप माधुरी ब्रिज महिमा राधा कृष्ण की प्रेम लीला ओं का मनोहर वर्णन मिलता है।
इनकी भाषा शैली
भाषा की आसक्ति मैं मार्मिक था शब्द चयन व्यंजक सैलरी बहुत महत्वपूर्ण है ब्रजभाषा का अत्यंत सरल सहज और मनोरम प्रयोग किया है आडंबर से यह बिल्कुल दूर रहे हैं इनकी रचनाओं में रस की अजीब धारा, अद्भुत धारा है।