5955758281021487 Hindi sahitya : सूरदास का वात्सल्य वर्णन अद्भुत है स्पष्ट करें
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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

सूरदास का वात्सल्य वर्णन अद्भुत है। स्पष्ट करें।

सूरदास का वात्सल्य वर्णन-
भूमिका-सूरदास भक्ति कालीन कृष्ण भगत कवियों में सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। अष्टछाप के कवियों में सूरदास कवि वल्लभाचार्य के शिष्य हैं।कृष्ण भक्ति काव्य के प्रवर्तक भी माने जाते हैं। हिना के तीन प्रमाणिक ग्रंथ हैं।
1. सूरसागर
2. सुरसारावली
3. साहित्य लहरी
तीनों ही रचनाएं भक्ति पर आधारित हैं। कृष्ण भक्ति का इतना सुंदर वर्णन इन में किया गया है ।सगुण भक्ति पर जोर दिया गया है। भ्रमरगीत अत्यंत उत्कृष्ट एवं मर्मस्पर्शी बन पड़ा है। श्रृंगार और वात्सल्य चित्रण इन का अनूठा है। इसलिए इन्हें वात्सल्य सम्राट भी कहा जाता है।
वात्सल्य सम्राट सूरदास-
1. सूरदास को पुरुष होते हुए भी मां का हृदय प्राप्त था।
2. वे वात्सल्य भाव का कोना कोना जा झांक थे।
3. सूरदास ने वात्सल्य भाव को अत्यंत सूक्ष्मता से चित्रित किया है।
4.सूरदास द्वारा कृष्ण की बाल सुलभ गतिविधियों पर ध्यान पूर्वक व प्रसन्न चित्त माता यशोदा का ऐसा चित्रण किया है जो एक आंख वाला इंसान भी नहीं कर पाता इसलिए इनके नेत्रहीन होने पर भी विद्वानों में यह विवादित विषय बना रहा है।
5.को दृष्टि से बचाने के लिए मां का कान के पीछे काला तिलक लगाना इस प्रकार की सूक्ष्म से सूक्ष्म गतिविधियों का आरोपण सूरदास जी द्वारा किया गया है।
निष्कर्ष-सूरदास जी का स्थान हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण है माता के ह्रदय की सूक्ष्म से अति सूक्ष्म चेतना का वर्णन उन्होंने किया है इसीलिए उन्हें वात्सल्य सम्राट भी कहा गया है सूरदास का वात्सल्य वर्णन बहुत ही अद्भुत व अनोखा प्रतीत होता है इसीलिए कहा भी गया है-
यशोदा हरि पालने झुलावे।