5955758281021487 Hindi sahitya : हरियाणवी उपन्यास समझाणिए की मर -डॉ श्याम सखा श्याम
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

समझणिए की मर का संक्षिप्त परिचय

समझणिए की मर उपन्यास का संक्षिप्त परिचय
समझाने की मर - 
भूमिका-
यह उपन्यास डॉ श्याम सखा श्याम द्वारा रचित है डॉ श्याम सखा श्याम का जन्म 1948 में रोहतक के श्री रतिराम शास्त्री के यहां हुआ उन्होंने एम बी बी एस सी एलएलबी की उपाधि प्राप्त की यह हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित होने वाली पत्रिका हरी गंदा के मुख्य संपादक हैं वक्त उपन्यास के तरीके अब तक इनके एक टुकड़ा दर्द काव्य संकलन तथा एक कहानी संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।
उपन्यास स्वार्थ केंद्रित राजनीति को अभिव्यक्त करता है 
उपन्यास का कथानक दो वक्ताओं द्वारा दो श्रोताओं को सुनाई गई बातचीत पर आधारित है।
 उपन्यास में संवादों की अद्भुत योजना है ।
संपूर्ण उपन्यास में हरियाणा की संस्कृति की झलक दिखाई देती है ।
लेखक व स्वार्थ पूर्ण राजनीति वह खुश होती जा रही पंचायत न्याय प्रणाली का यथार्थ एवं मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है।
 डॉ हरीश चंद्र वर्मा ने उपन्यास की आलोचना करते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना से प्रेरित उपन्यासकार की दृष्टि से सबसे अधिक चिंताजनक पक्ष है भारत की राष्ट्रीयता से विमुख स्वार्थ केंद्रित राजनीति उपन्यास की कथा स्वार्थ केंद्रित राजनीति उपन्यास की कथा में समाहित कारगिल का युद्ध ऐसी ही स्वार्थ केंद्रित राजनीति का परिणाम था इसमें अनेक निर्दोष सैनिकों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी ।
पारिवारिक और सामाजिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार भी कथानक की चिंता का मुख्य विषय है कारगिल के युद्ध में शहीद हुए नफे सिंह की विधवा अमृता को मिलने वाली 10 लाख की राशि को हड़पने के लिए अमृता का ससुर रणसिंह अनेक प्रपंच रचता है किंतु अंत में सत्य की चीजें जीत होती है विधवा अमृता 10 लाख की राशि से कन्याओं के लिए एक तकनीकी स्कूल की स्थापना करती है ।
इस प्रकार उपन्यासकार ने नफे सिंह से उत्सर्ग और अमृता के त्याग और सेवा भाव के उधर उदाहरणों के माध्यम से देश भक्ति का उज्जवल आदर्श प्रस्तुत किया है।