5955758281021487 Hindi sahitya : हिंदी उपन्यास उद्भव और विकास
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

हिंदी उपन्यास उद्भव और विकास

हिंदी उपन्यास उद्भव व विकास
भूमिका आधुनिक हिंदी साहित्य में उपन्यास नामक विद्या का जो रूप प्राप्त हुआ है वह प्राचीन संस्कृत साहित्य से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं माना जाता विधा का उपन्यास उद्भव और विकास यूरोप से हुआ है हिंदी का प्रथम उपन्यास इसे स्वीकार किया गया है इस संदर्भ में लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरु इंशा अल्लाह का रचित रानी केतकी की कहानी और श्रद्धा राम फिल्लौरी कृत्य भागवती आदि आरंभिक उपन्यास है आजकल यह गद्य विधा काफी लोकप्रिय हो चुकी है सुविधा की दृष्टि से उपन्यास साहित्य को चार भागों में बांटा गया है।
1प्रेमचंद पूर्व .युग भारतेंदु से पूर्व शरदाराम सिलोरी ने भाग्यवंती नामक उपन्यास लिखा जिसमें बीज रूप से न्यास के सभी गुण दिखाई दिए हिंदी में बांग्ला उपन्यासों किया अनुकरण पर श्रीनिवास दास ने परीक्षा गुरु नामक उपन्यास लिखा आगे चलकर राधा कृष्ण दास ने निशा हिंदू बालकृष्ण भट्ट ने नूतन ब्रह्मचारी , एक अनजान एक सुजान उपन्यास लिखा लेकिन इस काल में अनुवाद की ओर अधिक ध्यान दिया गया द्विवेदी युग में उपन्यास लेखन जोर पकड़ने लगा अनुवाद की प्रवृत्ति तो अभी भी विद्यमान थी विशेषकर देवकीनंदन खत्री द्वारा रचित उपन्यास चंद्रकांता काफी लोकप्रिय हुआ लोगों ने इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिंदी कोशिका किशोरी लाल गोस्वामी ने तो इस प्रकार की जासूसी और पुलिस में उपन्यासों का ढेर लगा दिया अयोध्या सिंह उपाध्याय के दो उपन्यास हिंदी का ठाठ तथा अधिक लाभ फूल उपन्यास लिखें।
2.प्रेमचंद युग उपन्यास जगत में प्रेम प्रेमचंद का आगमन एक विशेष उपलब्धि मानी जाती है उन्होंने कि लक्ष्मी और जासूसी की पिटारी को बंद कर हिंदी उपन्यासों को मुक्त किया और सामान्य जनजीवन से उपन्यास को जोड़ा प्रेमचंद ने उपेक्षित नारी जाति तथा मजदूरों और किसानों की व्यथा कथा को यथार्थ रूप में वर्णन किया अब उपन्यासों की स्वस्थ परंपरा का प्रचलन होने लगा कथानक पात्र चरित्र चित्रण देशकाल भाषा की दृष्टि से उपन्यास लिखे जाने लगी सेवा सदन ,निर्मला ,प्रेमाश्रय, रंगभूमि, गवन ,कायाकल्प कर्मभूमि, गोदान आदि प्रेमचंद के उपन्यास हैं दहेज प्रथा ,वेश्यावृत्ति ,रिश्वतखोरी ,असहयोग आंदोलन ,किसानों पर भी प्रेमचंद ने अनेक उपन्यास। गोदान प्रेमचंद का ही नहीं अपितु हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है ।उपन्यासकार ने ग्राम जीवन के संदर्भ में जमीदारी प्रथा पर प्रकाश डाला है गोदान का होरी भारतीय किसान का प्रतिनिधि पात्र है उसी के द्वारा प्रेमचंद ने किसानों की स्थिति को दर्शाया है और उपन्यासकार विशंभर नाथ शर्मा ,,जयशंकर प्रसाद वृंदावनलाल वर्मा ,सिया शरण गुप्त आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं मां, करणी इरावती, कंकाल ,तितली, विराटा की पद्मिनी झांसी की रानी मृगनैनी इस समय की और उपन्यास है वर्मा जी ने सामाजिक उपन्यास लिखे हैं जयशंकर प्रसाद जी ने ऐतिहासिक उपन्यास लिखें।
प्रेमचंद्र उत्तर युग-इस युग में हिंदी उपन्यास का अत्यधिक विकसित विकास हुआ इसमें सामाजिक ऐतिहासिक मनोवैज्ञानिक आंचलिक उपन्यास काफी संख्या में लिखे गए आचार्य चतुरसेन शास्त्री इस युग के उल्लेखनीय उपन्यासकार हैं हृदय की प्यास दिल्ली का दलाल बुधवा की बेटी उनके प्रसिद्ध उपन्यास भगवतीचरण वर्मा ने चित्रलेखा उपन्यास लिख कर हिंदी उपन्यास साहित्य को एक नई दिशा प्रदान किए रास्ते भूले बिसरे चित्र सभी रावत राम गोसाई आदि इनके ऐतिहासिक उपन्यास है अब उपन्यासकार व्यक्ति विशेष के बारे में भी रुचि लेने लगे परिणाम स्वरुप मनोविश्लेषणात्मक की परंपरा का श्री गणेश हुआ।जोशी ने सन्यासी प्रेत और छाया ,की रानी निर्वाचित आदि उपन्यास लिखे इसी परंपरा को आगे बढ़ाकर जैनेंद्र कुमार ने भी सुनीता ,सुखदा, त्याग पत्र आदि उपन्यास लिखे इन के बाद में सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन द्वारा रचित शेखर एक जीवनी मनोविश्लेषणात्मक उपन्यास है मार्क्सवादी चिंतन से प्रभावित लेखक यशपाल है।राहुल सांकृत्यायन के नाम गिनाए जा सकते हैं दादा कामरेड ,पार्टी कामरेड ,देशद्रोही, दिव्या यशपाल जी के प्रगतिवादी उपन्यास हैं। जिन पर मार्क्सवाद के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है ।वहीं यशपाल के उपन्यास झूठा सच ,स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात के भारत का वर्णन करता है कहा जाए तो देश विभाजन की कथा इसके अंदर है राहुल जी के उपन्यास योद्धा सिंह, सेनापति, मधुर, स्वप्न, विस्मृत यात्री आदि उल्लेखनीय उपन्यास के अलावा उपेंद्र नाथ अश्क, राघव राय उपन्यासों के नाम गिनाए जा सकते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित बाणभट्ट की आत्मकथा और चा इन चंद्रलेखा ,2 सप्ताह से चंद हसीनों के ,बुधवा की बेटी घंटा ,सरकार तुम्हारी आंखों में आदि उपन्यास पंडित बेचन शर्मा उग्र के हैं इसके बाद आंचलिक उपन्यासों की परंपरा शुरू हुई । इस क्षेत्र में फणीश्वर नाथ रेणु ,नागार्जुन ,राघव उदय शंकर भट्ट अमृतलाल नागर देवेंद्र सत्यार्थी आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं मैला आंचल ,परी कथा आदि रेनू के प्रसिद्ध उपन्यास हैं वरुण के बेटे तथा बाबा बटेश्वर नाथ आदि आंचलिक उपन्यास में आधुनिक युग स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 
हिंदी उपन्यास लेखन में आशातीत वृद्धि हुई इस युग में नई पीढ़ी के उपन्यासकार सामने आए आधुनिक पीढ़ी के उपन्यास कारों में मोहन राकेश राजेंद्र यादव कमलेश्वर धर्मवीर भारती निर्मल वर्मा श्रीकांत श्री राम शुक्ला श्रीमती मन्नू भंडारी लक्ष्मीनारायण लाल आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं अंधेरे बंद कमरे में आधे अधूरे राकेश जी के उल्लेखनीय उपन्यास पढ़े हुए लोग काली आंधी कमलेश्वर के गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती का सुप्रसिद्ध उपन्यास है राग दरबारी श्रीलाल शुक्ल आपका बंटी मन्नू भंडारी का
 प्रसिद्ध उपन्यास है हिंदी का वर्तमान उपन्यास साहित्य अनेक दिशाओं में अग्रसर है उपन्यास और कहानी पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं लेकिन कुछ उपन्यासकार अति यथार्थवादी तथा प्रयोग शीलता के नाम पर अश्लील और कामुक उपन्यास लिखने लगे हैं जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहे जा सकते फिर भी हम कह सकते हैं कि उपन्यासों का भविष्य काफी उज्जवल है।