5955758281021487 Hindi sahitya : हिंदी साहित्य ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य व समस्याएं
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य व समस्याएं

   ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य व समस्याएं
भूमिका- ध्रुवस्वामिनी एक उद्देश्य पूर्ण नाटक है जिसमें जयशंकर प्रसाद जी ने ऐतिहासिक कथानक लेते हुए अपने उद्देश्य को स्पष्ट किया है उसके अनुसार, मेरी इच्छा भारतीय इतिहास के अप्रकाशित अंश में से उन प्रकांड घटनाओं का दिग्दर्शन कराने से जिन्होंने हमारी वर्तमान स्थिति को पद दिलाने में बहुत प्रयत्न किया है। 
ध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य -
1.साहसी राष्ट्राध्यक्ष 
2.नारी समस्या को उजागर करना
3. विवाह की समस्या 
4.त्याग और उदारता की भावना को बल 
5.प्रेम भावना का विस्तार 
6.अत्याचार एवं दुष्ट प्रवृत्तियों की समाप्ति
7. प्राचीन इतिहास की जानकारी
8. देशभक्ति की भावना जागृत करना।
1 प्रसाद जी ने इस नाटक के माध्यम से भारत देश में एक शक्तिशाली राष्ट्र अध्यक्ष की स्थापना करना चाहते थे इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने एक ऐतिहासिक कथा को नाटक रूप में पिरोया है नाटककार जिस प्रकार इस कथा में कायर मदद विलासी अयोग्य वनीत शासक रामगु प्चंद्रगुप्त जैसे साहसी वीर तथा योग्य व्यक्ति के हाथों में देश की बागडोर सौंप सकता है उसी प्रकार वह अपने समकालीन परिपेक्ष्य में अंग्रेजों के शासन को समाप्त कर चंद्रगुप्त के सम्मान शक्तिशाली तथा वीर भारतीय राष्ट्र अध्यक्ष की स्थापना करना चाहते हैं ।
नारी समस्या को उजागर करना- जयशंकर प्रसाद की ध्रुवस्वामिनी नाटक में लेखक ने तत्कालीन नारी समस्या को उजागर किया है लेखक के अनुसार भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज है जिसमें स्त्री अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा पुरुषों पर आश्रित रही हैं पुरुष स्त्रियों को पुरुषों से अधिक कुछ नहीं समझता है वह स्त्रियों पर तरह तरह के अत्याचार करता तथा मनमाना शोषण करता है इस लेखक के माध्यम से ध्रुवस्वामिनी का सशक्त चरित्र का लेखक ने नारी की गरिमा को दिखाया है।
 नंबर 3- विवाह की समस्या लेखक ने नाटक के माध्यम से होने वाले विवाह के समय युवक-युवतियों की आपसी सहमति न होने की समस्या को उठाया है ध्रुवस्वामिनी कविता सम्राट समुद्रगुप्त को वीर शक्तिशाली जानकर उन्हें अपनी पुत्री को उल्लू बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं राजा समुद्रगुप्त स्वामी का विवाह योग्य पुत्र करना चाहते हैं समुंदर गुप्त की मृत्यु के पश्चात परिवर्तन आता है तथा महामंत्री स्वामी कथा राम गुप्त की छल कपट के कारण राम गुप्त राजा नहीं बनता है प्रेम भी नहीं करती तब भी उसे उसकी पत्नी बनी स्वीकार करने पर समाज मजबूर करता है इस प्रकार से लेखक ने विवाह की समस्या को भी रूप से उठाया है ।
त्याग और उदारता की भावना को बैठक क माध्यम से लेखक लोगों को अपने त्याग और उदारता की भावना को विकसित करने की प्रेरणा देता हैइस नाटक में चंद्रगुप्त के त्याग और उसकी उदारता का परिचय देकर लेखक भी समाज में यही भावना बनना चाहता है प्रेम भावना का विस्तार लेखक नाटक के माध्यम से प्रेम भावना का विस्तार करना चाहता है लेखक के अनुसार मनुष्य का जीवन बहुत छोटा होता है उसमें भी युवावस्था तो और भी छोटी होती है लेखक ने मनुष्य को यह छोटा सा जीवन प्रेम में होने के लिए प्रेरित किया है ।
अत्याचार एवं दुष्ट प्रवृत्तियों की समाप्ति इस नाटक का उद्देश्य नाटक के माध्यम से तत्कालीन भारतीय समाज में फैले अत्याचारों एवं समाप्त करना चाहता है राम गुप्त व स्वामी के अत्याचार एवं बुराइयों को चंद्रगुप्त द्वारा समाप्त करवा कर एक शांतिप्रिय समाज की स्थापना पर बल दिया है वह वर्तमान भारतीय समाज को एक ऐसे समाज के रूप में देखना चाहते हैं जिसमें भाई का भाई से प्रेम हो और समाज में किसी प्रकार का कोई भी अत्याचार ना हो ।
प्राचीन इतिहास की जानकारी इस नाटक के माध्यम से लेखक प्राचीन इतिहास की जानकारी देना चाहता है इतिहास का वर्णन करता है इतिहास के स्वर्ण काल कहे जाने वाले गुप्त साम्राज्य की जानकारी इसमें देता है नाटक के रूप में लिखकर प्रस्तुत करता है और इससे समाज को सीख देने की कोशिश करता है ।
देशभक्ति की भावना जागृत करना इस नाटक का एक एक ऐतिहासिक और है भारतीय इतिहास की एक घटना को लेकर के भारतीय लोगों को जगाने की कोशिश की है देशभक्ति की कोशिश चंद्रगुप्त के माध्यम से की है ।
निष्कर्ष-
जिस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह नाटक है प्राचीन इतिहास के नवीन प्रस्तुतीकरण के माध्यम से देशभक्त देशभक्ति राष्ट्रीयता नारी सम्मान तथा सामाजिक बुराइयों का अंत करने का संदेश दिया है।
 धन्यवाद