5955758281021487 Hindi sahitya : b.a. द्वितीय वर्ष /तृतीय सेमेस्टर
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शनिवार, 7 नवंबर 2020

प्रयोजनमूलक हिंदी की अवधारणा

प्रयोजनमूलक हिंदी की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए
प्रयोजनमूलक हिंदी की क्या आवश्यकता है




प्रयोजनमूलक हिंदी का महत्व
भाषा का एकमात्र प्रमुख कार्य मानव के भाव अथवा विचारों का संप्रेषण करना है ।
इस कार्य को संपन्न करने के लिए भाषा शब्द और अर्थ के जिस आवरण को धारण करती है ।
वह बहुआयामी और बहु प्रयोजन आत्मक है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि प्रयोजनमूलक  भाषा को कहा जाता है जिसका प्रयोग विशेष प्रयोजन को समक्ष रखकर किया जाता है।

प्रयोजनमूलक हिंदी की परिभाषा

 हिंदी भाषा मूल्य तय एक सुनिश्चित ध्वनि समूह ,रूप ,संरचना के वाक्य विन्यास का सांचा लिए रहती है किंतु जैसे-जैसे आवश्यकतानुसार भाषा का विकास और प्रचार होता है वैसे वैसे उसके प्रकार्यात्मक प्रयोजनों के दायरे भी बढ़ने लगते हैं।

हिंदी भाषा में भी प्रयोजन का दायरा बदलते ही उसकी भाषिक इकाई का संदर्भ अर्थ और प्रकार यह एकदम भिन्न हो जाता है ।
उदाहरण के लिए रस शब्द का प्रयोग भी देख लीजिए वनस्पति शास्त्र के संदर्भ में इसका अर्थ नींबू का रस
 आम का रस
 गन्ने का रस
 होता है ।
किंतु काव्यशास्त्र के दायरे में आते ही उसका
 वीर रस 
श्रृंगार रस 
हास्य रस
 करुण रस 
इत्यादि हो जाता है ।
यही शब्द आयुर्वेद में किसी वस्तु का सार तत्व हो जाता है ।


हिंदी अथवा मानक भाषा के प्रयोजनमलक अनुप्रयोग में एक विशेष शब्द चयनऔर अर्थ पाया कि सूक्ष्म अंतर व्यक्त करने वाली रेखाओं के प्रति सरसता की उपेक्षा रहती है ।


प्रयोजनमूलक हिंदी के विविध रूपों क्षेत्रों और आयामों की संदर्भित सार्थकता की मूल दूरी की रचना प्रक्रिया है ।

यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि संरचना प्रक्रिया की तनिक सभ्यता किस प्रकार भाषिक प्रयोजन को भिन्न बना देती है जैसे 
तरणि -सूर्य 
तरणी -नौका 
शब्द समान होते हुए भी एकदम भिन्न।


 प्रयोजन क्षेत्र और संदर्भ के संवाहक स्पष्ट है कि प्रयोजनमूलक हिंदी और उसकी संरचना प्रक्रिया के संबंध से पता चलता है कि उसका प्रयोग किसी विशेष कार्य के लिए किया जाता है तथा प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न कार्यालयों में विभिन्न प्रयोजनों के लिए होने वाला प्रयोग एक विशेष प्रकार के शब्द चयन व वाक्य विन्यास मांगता है जो पत्रकारिता प्रयोजन हेतु अपनाए गए भिन्न प्रकार के शब्दों के वाक्य विन्यास की अपेक्षा रखता है इस प्रकार के कार्य करने में हिंदी भाषा पूर्ण है।