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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

सांग सम्राट लख्मीचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय

सांग सम्राट लख्मीचंद का संक्षिप्त जीवन परिचय
1.हरियाणा सांग परम्परा में श्री लख्मीचंद का नाम सर्वाधिक प्रमुख हैं।
2.जिन्होंने हरियाणवी सांग को सर्वथा एक नवीन दिशा दी ।
3.लख्मी चंद का जन्म 15 जुलाई ,1930 में हरियाणा के सोनीपत जिले के जाटी कला गांव में हुआ।
4. इनके पिता का नाम उदमी राम था।
5. यह जाति से ब्राह्मण थे।
6. मानसिंह इन के गुरु थे।
7. इनकी शिष्य परंपरा में शिष्य थे -
1.मांगेराम
 2.भाईचंद सुल्तान 
3.पंडित चंदन लाल आदि 
8. इनके मुख में सरस्वती का निवास था।
9. वे तत्काल काव्य रचना कर लेते थे।
10. इसलिए आंसू कवि कहलाते थे।
11 अधिक पढ़े लिखे होने के बावजूद भी इनको वेदों पुराणों आदि का पूर्ण ज्ञान था ।
11.अतः इनके सांग से हमें पुराना ज्ञान प्राप्त हुआ है।
12. 18 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार सोहन के अखाड़े में अपनी मधुर वाणी का परिचय दिया।
13. सन 1920 में इन्होंने अपनी अलग सांग मंडली बनाई ।
14.वे न केवल अच्छे गायक थे अपितु सफल अभिनेता भी थे।
15. इनको हरियाणा के सांगो  का सम्राट भी कहा जाता है ।
16.हरियाणा के निवासियों में यह दादा लख्मीचंद के नाम से प्रसिद्ध हैं ।
17.आज भी अनेकों विश्वविद्यालयों में विभिन्न मांगो पर शोध कार्य चल रही है तथा आज भी वह शोध का विषय बने हुए हैं।
18 इनके द्वारा रचित प्रमुख सांग हैं---
*-- हरिश्चंद्र
*-- नल दमयंती 
*---सत्यवान सावित्री
** द्रोपदी 
**सेठ ताराचंद 
**शकुंतला 
**भूप सिंह 
***चाप सिंह
** हीरामल जमाल 
**राजा भोज **चंद किरण 
**पद्मावत 
**नौटंकी 
**जानी चोर 
***शाही लकड़हारा इत्यादि ।
19.इसके अतिरिक्त इनके द्वारा रचित अनेक गीत और रागनियां लोगों को आज भी कंठस्थ हैं ।
इन्होंने अपने सांगों में सामाजिक रूढ़ियों और जड़ परंपराओं पर प्रहार किया ।
20.इन्होंने सांग परंपरा को स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाया फलस्वरूप लंबे काल तक हरियाणा में सांगो की धूम मची रही ।
21. लख्मी चंद ने नारी के प्रति सदैव सहानुभूति मैं दृष्टिकोण अपनाया नल दमयंती शीर्षक सांग में राजा नल दमयंती को जंगल में त्याग कर चला जाता है दमयंती नल के बिना विरह की आग में जलने लगती है वह उसे गहने जंगल में ढूंढने का प्रयास करती हैं।
22.सांगी लख्मीचंद ने अपने सांग हरिश्चंद्र में रोहतास की मृत्यु पर उसकी मां को विलाप करते दिखाया है उस समय मानवता का अत्यंत का रोने का दृश्य उपस्थित होता है उसने पुत्र को सांप द्वारा काटे जाने पर उसका ह्रदय चित्कार कर उठता है।
निष्कर्ष के तौर पर ****
हम कह सकते हैं कि हरियाणा सां को एक नई दिशा प्रदान करने में पंडित लख्मीचंद ने जोदादा लखमीचंद जी की रचना: 
जगत मैं मोह लिए मेहर सुमेर जी माया नै बहुत घणे मारे हैं।
1 ब्रह्मा विष्णु शिव जी मोहे भस्मासुर का किया नाश।
चन्द्रमा कै स्याही लाद्यी इन्द्र नै भी भोगे त्रास।
नारद केसे ऋषि मोहे मरकट रूप धारया खास।
भृगु चमन यमदग्नि उद्दालक की भी मारी मति।
त्रिशंकू और नहुष मोहे उनकी करी बुरी गति।
बड़े बड़े ऋषि मोहे इसमै नहीं झूठ रत्ति।
वो नहुष दिया स्वर्ग तै गेर जी माया के कपट न्यारे हैं।
2 वशिष्ठ केसे मुनि मोहे विपलोदे गौतम लो लीन।
अत्रि मुनि कर्दम शम्भु मुनि सारे प्रवीन।
पुलिस्त केसे मुनि मोहे कर दिए तेरह तीन।
असचर निसचर दन्त दाने ऋषि मुनि ब्रह्मचारी।
शंकराचार्य विरहम पति जिनकी गई मति मारी।
प्रद्युम्न प्रतापी राजा सागर केसे हुए बलकारी।
जिसनै कंस सहसरबाहु का डर बल मैं परशुराम से हारे हैं।
3 दन्त वक्र जरासन्ध त्रिया पै मरे शिशुपाल।
श्रृंगी ऋषि दुर्वासा डूबे देख कै हूरां की चाल।
कौरव पांडव कट कै मरग्ये खून के भरे थे ताल।
त्रिया तेरे तीन नाम घर घर मारे कई करोड़।
कुरूक्षेत्र पै राड़ जागी शील का शीश दिया तोड़।
रूप धारण ऐसा किया पड़ी पड़ी तड़फै थी खोड़।
व लिए सूरमां काल नै घेर जी सिर बाणो से तारे हैं।
4 त्रिया ही के मोह मैं आकै माटी मैं मिलाए भूप।
पम्पापुर मैं बाली मोहे गेर दिए अधरूप।
त्रिया ही नै नारद मोहे बन्दर का बनाया रूप।
नागनी से हो नार बुरी रावण कुंभकर्ण खोए।
सारा कुटम्ब खाक मैं मिला दिया बाकी रहा न कोए।
त्रिया की बातां मैं आकै पाछै मूण्ड पकड़ कै रोए।
कहै लखमीचंद नैना की शमशेर जी मोह फांसी मैं हारे हैं।
अब आपके सामने एक रचना गुणी सुखीराम जी की प्रस्तुत है: 
माया नै ब्होत घणें मारे जी,जग मै मोहे मेहर सुमेर है।
1 विष्णु ब्रह्मा शिव मोहे भस्मासुर का किया नास।
चन्द्रमा के दाग लाग्या इन्द्र नै भी भोगी त्रास।
कुछ नारद के से मुनि मोहे मरकट रूप धारा खास।
भृगु चमन जमदग्नि उद्दालक की मारी मति।
श्रृंगी ऋषि दुर्वासा मोहे जन की करी बुरी गति।
त्रंशकु नाहुख मोहे इस में नहीं झूठ रति।
वे दिये स्वर्ग से गेर है, माया मैं कपट भारे जी।
2 वशिष्ठ से मुनि मोहे पीप्लाद गौतम से लीन।
अत्रि मुनि कर्दम मुनि स्वयंभु मुनि प्रवीन।
पुलीस्त मुनि कश्यप ऋषि कर दिए तेरा तीन।
दाना देत असुर निशाचर ऋषि मुनि ब्रह्मचारी।
शुक्राचार्य बृहस्पति जन की भी मति मारी।
सर्वदमन प्रताप भलु संद से वै राजा भारी।
किया सहस्त्र बाहु का ढेर है,बल परशुराम आरे जी।
3 बलोचन बाणा सुर मारे त्रिया का धार कै रूप।
त्रिया नै दशरथ मोहा गेर दिया अन्ध कूप।
सिन्ध उपसिन्ध दोनु लड़े छाया गिनी ना धूप।
श्रृंगी ऋषि पारा ऋषि त्रिया के कारण रोये।
जिस घर पड़ा अन्धेर है,सिर बाणो से तारे जी।
4 दंतवकर जरासंध त्रिया पै मरे थे हाल।
भोमासुर कंस राजा त्रिया नै मोहा शिशुपाल।
कैरू पांडू कुटुम्ब खपे खून का भरा था नाल।
माया तेरे तीन नाम रूप धारे मारे कई करोड़।
कुरूक्षेत्र मैं राड़ मची सब का सिर दिया तोड़।
ऐसी मोहनी डारी जिनकी पड़ी पड़ी तड़फी खोड़।
सब लिया काल ने घेर है, जो बली कोड़े सारे जी।
5 जन्मेजय नै कुबद करी त्रिया कारण देखो नै यार।
अठारह ब्राह्मण काटे जिसने होम बीच दिया डार।
तप जप सत योग खोया लाज शर्म दीन्ही तार।
तन मन धन विद्या ज्ञान लूटा राज पाट गये छूट।
शूरा बन्जू ध्यानी ब्रह्मानन्द रश गये घूंट।
गुणी सुखीराम कह कलजुग मैं नेम धर्म गये टूट।
नैनो की मार शमशेर है, आखिर नरक बीच डारे जी।

ये दोनों एक ही रचना हैं लेकिन दो कवियों की छाप है इनमें गुणी सुखीराम जी का जन्म सन् अठारह सौ सत्तावन में हुआ और दादा लखमीचंद जी का जन्म सन् उन्नीस सौ तीन में हुआ। गुणी सुखीराम जी का देहांत सन् उन्नीस सौ पांच में हुआ और दादा लखमीचंद जी का देहांत सन् उन्नीस सौ पैंतालीस में हुआ। विद्वान् लोग टेक से ही पता लगा लेते हैं कि इस तरह की टेक गुणी सुखीराम जी के समय की है और दादा लखमीचंद जी के समय की नहीं। इसलिए दादा लखमीचंद जी ने छाप काट कर अपनी छाप लगाकर नहीं गाई थी।उनको बदनाम किया जा रहा है। बदनाम करने पर भी उनकेे वंशज चुप हैं तो इससे स्पष्ट है कि दादा लखमीचंद महाचोर थे।

रविवार, 19 अप्रैल 2020

नेट परीक्षा 2020

नेट परीक्षा 2020 संबंधी महत्वपूर्ण बातें

1.*UGC NET June Exam 2020: यूजीसी नेट परीक्षा के लिए बढ़ी आवेदन की अंतिम तिथि*

2.नई दिल्ली: NTA NET JUNE 2020 परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 16 मार्च, 2020 से शुरू हाेे चुकी थी, और यह आवेदन प्रक्रिया 16 अप्रैल, 2020 तक समाप्त होनी थी। जिसकी अंतिम तिथि को अब बढ़ाकर 16 मई, 2020 कर दिया गया है। 
3.आपको बता दें कि COVID-19 महामारी के कारण अभिभावकों और छात्रों को हुई कठिनाइयों को देखते हुए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ने तारीखों को संशोधित किया है। NTA ने नेट जून, 2020 परीक्षा के साथ विभिन्न परीक्षाओं को स्थगित किया गया है। जिनकी जानकारी नीचे दिए गई नोटिफिकेशन में अंकित है।

4.यूजीसी नेट परीक्षा का आयोजन असिस्टेंट प्रोफेसर की पात्रता और जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए होता है। उम्मीदवार इन दोनों के लिए एक साथ आवेदन कर सकते हैं।
5. नेट की परीक्षा 15 जून से 20 जून, 2020 तक आयोजित की जाएगी और इसका रिजल्ट अगस्त 2020 में आने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों से यह परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जा रही है। पहले यह परीक्षा ऑफलाइन माध्यम से ली जाती थी।

6.अब इस परीक्षा का आयोजन दो पालियों में किया जाता है। पहली पाली की परीक्षा सुबह 9:30 से दोपहर के 12:30 तक तथा दूसरी पाली की परीक्षा 2:30 से 5 बजे तक होती है।

7.इस परीक्षा में पहला पेपर सभी उम्मीदवारों के लिए समान होता है। पहले पेपर में 100 नंबर के कुल 50 प्रश्न पूछे जाते हैं। वहीं दूसरा पेपर उम्मीदवार के विषय से संबंधित होता है। इसमें 200 नंबर के कुल 100 प्रश्न होते हैं।
8. यह सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं तथा निगेटिव मार्किंग नहीं होती।
सभी नेट परीक्षार्थियों के लिए अग्रिम शुभकामनाएं
हिंदी नेट परीक्षार्थियों के लिए यूट्यूब चैनल अब कैसे से जुड़े।
जिनके लिंक इस प्रकार से हैं।
हिंदी साहित्य को समर्पित चैनल
ab kese 
https://www.youtube.com/channel/UC0JCD4VSHenyRju2dwKkBlA

मातृभाषा निबंध

मातृभाषा निबंध
हिंदी मेरी पहचान
हिंदी मेरा अभिमान
भूमिका/प्रस्तावना--देश का विकास और राष्ट्र चरित्र मातृभाषा में सुरक्षित है इस संबंध में महापुरुषों ने मातृभाषा के महत्व को स्वीकार किया है स्वामी दयानंद सरस्वती विवेकानंद तिलक मदन मोहन मालवीय जी ने ही नहीं विदेशी विद्वान मैक्समूलर ने भी हिंदी की तारीफ के पुल बांधे हैं जापान चीन और रूस जैसे प्रगति मान देशों ने भी अपनी मातृभाषा को महत्व दिया है और निरंतर प्रगति मान है ना जाने क्यों भारत ही ऐसा देश है जहां के निवासियों को अपना कुछ अच्छा नहीं लगता अपितु उन्हें विदेशी वस्तु अच्छी लगती हैं उनकी संस्कृति आकर्षित करती है इतना ही नहीं विदेशी वस्तुओं को अपनाकर भारतीय गौरव महसूस करते हैं आज सहज सरल भाषा के प्रति घटती रुचि उनके इस सोच का ही परिणाम है।
मातृभाषा का इतिहास/प्रमुख कारण
1.जिस समय देश स्वतंत्र हुआ उस समय लोगों में अपनी मातृभाषा के लिए अच्छी भावनाएं थी इसलिए हिंदी के विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए गए मात्रिभाषा के सुधार के लिए नीतियां बनाई गई।
2. राष्ट्रभाषा वह मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया ताकि अंग्रेजी के ज्ञान के बिना परेशानी नहीं होगी हिंदी भाषी प्रदेशों की आकांक्षा देखते हुए प्रिय भाषा पर आधारित राष्ट्रीय नीति बनाई गई।
3.अंग्रेजी का ज्ञान न रखने वाले शिक्षित लोग स्वयं को है समझने लगे।
4.लोगों के मन में यह भाव पनपने लगा कि वैश्वीकरण के कारण अंग्रेजी का ज्ञान ही उनकी प्रगति में सहायक हो सकता है।
5.इसी विचारधारा ने पब्लिक स्कूलों को हवा दी पब्लिक स्कूलों की संख्या बढ़ी और इतनी बड़ी कि कई गुना हो गई इन स्कूलों में संपन्न परिवारों के बच्चे प्रवेश पाने लगे इन्हें उच्च शिक्षा तथा उत्तम शिक्षा का केंद्र मानकर सामान्य जन भी येन केन प्रकारेण इन्हीं स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने का प्रयास करने लगे।
6.इसके विपरीत सरकारी स्कूलों में केवल अति सामान्य परिवारों के बच्चे पढ़ने के लिए विवश लें और तड़प कर रह गए पब्लिक स्कूलों के प्रति आकर्षण को देख दूरदराज के क्षेत्रों में पब्लिक स्कूल खुल गए जिनमें हिंदी भाषा को कोई महत्व नहीं दिया जाता है।
7.इस तरह हिंदी या अन्य मात्री भाषाओं की दुर्दशा होती गई।
8.हिंदी भाषा के सुधार के स्थान पर अंग्रेजी को सवारने में युवा वर्ग लग गया।
9.हिंदी को है समझने लगे अब आज का छात्र अपनी प्रगति अपना उज्जवल भविष्य अंग्रेजी में ही देखता है।
10.वह विचार समाप्त हो गया कि अपनी मातृभाषा के द्वारा बच्चे का विकास संभव है उसके लिए भले ही वह रट्टू तोता की तरह अंग्रेजी के वाक्य रखने पड़े।
भले ही अपने देश में हम विदेशी कहे जाने लगे।
11.इसी तरह हमारी मातृभाषा का पत्र हमने स्वयं पथरीला कर लिया ऐसा करने से सरकार ने भी खूब सहयोग दिया भले ही इसमें उसकी व्यवस्था रही हो।
उप संहार
यद्यपि अंग्रेजी के महत्व को नकारा नहीं जा सकता तथापि अपनी मातृभाषा की ओर भी ध्यान देना चाहिए नहीं तो हम अपने ही देश में विदेशी हो जाएंगे इसका परिणाम सबसे अधिक अपनी संस्कृति पर पड़ेगा और पड़ रहा है अपनी सनातन संस्कृति का अस्तित्व न रहने पर हम विश्व स्तर पर लताड़ा जाएंगे यही कारण था महात्मा गांधी जैसे शुविक मातृभाषा के महत्व को नानकार सके उनका कहना था कि मातृभाषा को छोड़कर हम दूसरे के बीच लाग बन जाएंगे अब तो बस यही कह सकते हैं कि परमात्मा ही हमें सद्बुद्धि दे। कहा भी जाता है कि

अपनी माता का स्थान हम किसी भी चाची ताई यामोशी को नहीं दे सकते उसी प्रकार अपनी मातृभाषा का स्थान किसी अन्य विदेशी भाषा को नहीं दे सकते।

छुट्टियों का सदुपयोग निबंध

छुट्टियों का कैसे करें सदुपयोग निबंध
प्रस्तावना-समय सतत प्रवाह मान है जिसे रोका नहीं जा सकता मनुष्य जीवन की सार्थकता समय के सदुपयोग में है जिस व्यक्ति ने समय का सदुपयोग नहीं किया समय उसका सब कुछ नष्ट कर देता है क्षण क्षण मूल्यवान है क्षण क्षण का सदुपयोग करना उचित है समय की गति बड़ी विचित्र होती है मनुष्य चाहता कुछ और है होता कुछ और है।उतार और चढ़ाव जीवन के हिस्से यह स्वाभाविक भी है इसमें खुद को प्रभावित न होने दें परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को डालने की कोशिश करें ।
आज इसी विषय पर समय का सदुपयोग या छुट्टियों में समय हम कैसे बिताएं ।समय का उपयोग किस प्रकार से किया जा सकता है। छुट्टियों में समय का सदुपयोग पर निम्नलिखित बिंदुओं है।
क्या ना करें।

1.सबसे पहले आपको बिना किसी शर्त के खुद से प्रेम करना होगा पिछली गतिविधियों को सोच कर अपने आप को कोसने की बजाय अपनी कमजोरियों की बजाय अपनी ताकत पर ध्यान दीजिए कमजोरियों की सूची बनाइए अपने आप को अच्छी तरह से समझाइए कि क्या-क्या उपलब्धियां रही क्या क्या कमी आ रही।

2.उपलब्धिया चाहे जितनी छोटी क्यों ना हो उसे बड़ी मानी।
प्रत्येक सफलता को सेलिब्रेट करें और अपनी एनर्जी का उपयोग करते हुए पॉजिटिव बातें सोचे।

3.नेगेटिव सोच तथा नकारात्मक सोच से स्वयं को दूर रखें।
   अच्छी स्मृतियां बनाएं।

4.पूरा संसार संभावनाओं से भरा हुआ है खुद को संभावनाओं के संसार में उतारे अपनी इच्छाओं के बारे में विचार करें यह भूल जाए कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं कुछ रचनात्मक करें ।
5.अपने अंदर की आवाज सुनें।

6.अपनी कमजोरियों की लिस्ट बनाएं तथा इस समय का सदुपयोग करते हुए कमजोरियों पर काम करना शुरू करें।
7.मनुष्य में ना पड़े सबसे पहला नियम अनुशासन बद्ध तरीके से जी हैं जिसकी शुरुआत सुबह उठने से लेकर रात होने तक उसका पालन करें अगर उचित प्रकार से पालन ना उसके तो छोटी-छोटी सजा भी अपने आप को दें जैसे अपनी पसंद के गाने ना सुने ना पूरा दिन अपनी मनपसंद चीज ना खाना इत्यादि।
क्या करें इस समय में-
1.जो आपको आता है अपनी उस कला की पहचान करें।
कला की पहचान करने के पश्चात अपनी कला को निखारने की कोशिश करें जैसे चित्रकला जैसे ड्रॉइंग जैसे संगीत वादन इत्यादि।
2.कुछ रचनात्मक करें जो घर में फालतू सामान पड़ा है उनको इकट्ठा करें और उनसे कुछ नया बनाने की कोशिश करें जैसे चूड़ियां चूड़ियों से कुछ बनाना जैसे गत्तों से कुछ बनाना कपड़े से कुछ बनाना इत्यादि।
3सीमित साधनों में से ही नया कोई खेल निकालें।
पूरा परिवार इकट्ठा होकर किसी एक टोपी का को सुबह सेलेक्ट करें उस पर अपने मन के विचार लिखें तथा शाम को इकट्ठे होकर एक दूसरे के विचार सुने सम्मान करें उनका और कुछ मुख्य बिंदु उसमें से निकाली।
4.पूरा परिवार मिलकर के अंतरा अंताक्षरी खेले अंताक्षरी में यह नहीं है कि सिर्फ गीतों की अंताक्षरी हो यह अंताक्षरी स्थानों के नामों की राज्य राजधानियों के नाम इसके अलावा हिंदी शब्दकोश तथ इंग्लिश शब्दकोश से संबंधित हो सकती है।
5....30 तक पहाड़े याद करें टेबल्स को याद करें स्क्वेयर 20th की याद करें, इसको एक प्रतियोगिता के रूप में लें कि कौन कितना जल्दी याद कर सकता है।
कहानियां पड़े सुने जीवनी पढ़ें तथा उनका विश्लेषण करें अथवा समीक्षा करके लिखकर जरूर कि आपने क्या सीखा इसमें क्या सकारात्मक बात है और क्या नकारात्मक बात है।
6.प्रतिदिन की समाचार पड़े या सुनी उसके बाद शाम को समाचारों का विश्लेषण करें मुख्य पांच समाचारों का विश्लेषण करिए और अपने लेखन शैली का मूल्यांकन कीजिए कि आपके लिखने में कैसे शब्दों का प्रयोग कर पा रही हैं इससे आपकी लेखन कला में सुधार होना शुरू होगा था अपने अनुभव को अच्छे ढंग से आप लिख पाएंगे।
7.परिवार के सदस्य मिलकर विचार गोष्ठी का आयोजन करें।
8.बोलने की कला में सुधार करें भाषण कला में निपुणता हासिल करें।
9.अपने व्यक्तित्व को निखारने का भरसक प्रयास करें।
10.शारीरिक व्यायाम करें अपनी आंतरिक शक्तियों का विकास करें।
11.वर्तनी सुधार के लिए श्रुतलेख या फिर डिक्टेशन माता पिता बोले तथा वर्तनी सुधार प्रतियोगिता का आयोजन घर के बच्चों में ही करें तथा उसमें इनामी प्रतियोगिता करवाएं और फल स्वरुप इनाम भी प्रदान करें।
12.इस समय में अच्छी पुस्तकें पढ़ने का यह सर्वोत्तम समय है पढ़कर के छोड़िए नहीं उस पर की समीक्षा जरूर करें अच्छे और बुरे पॉइंट्स अलग अलग से लिखें।
13.डायरी लिखें तथा अलग-अलग विषय पर वर्गीकरण कीजिए अपने द्वारा कहानी कविता और अपने द्वारा निर्मित ही चुटकुले लिखें तथा जानकारी बढ़ाएं।
14.कोई   हस्तकला  सीखे।
15.दादा दादी के साथ समय व्यतीत करें उनके जीवन केअनुभव अश्विनी उनको लिखें अपनी अलग डायरी में तथा उनके हस्ताक्षर करवाएं या वह अनपढ़ हो तो उनका अगर अंगूठा जरूर लगवाएं जब वह नहीं होंगे तो उनकी यादें आप समेट कर रख सकते हैं।
16.अपनी वर्तनी में सुधार करें चाहे वह इंग्लिश की हो या हिंदी की व्याकरण संबंधी अशुद्धियों पर ध्यान दें।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करें जैसे जीके रिजनिंग जर्नल मैप इत्यादि।
17.ऑनलाइन जीके क्वीज खेलें।
18.अपने अच्छे भविष्य के लिए इंग्लिश पर मजबूती या पकड़ बनाए कोई एक दिन ऐसा निश्चित करें जिसमें पूरा परिवार इंग्लिश बोले।
19.पेंटिंग करें।
20.स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन करें।
21.प्रैक्टिकल नॉलेज भी हासिल करें जैसे बैंक में भरे जाने वाले फार्म कैश बुक चेक बुक बचत के क्या महत्व हैं कैसे पैसे जमा करवाए जाते हैं कैसे निकाले जाते हैं यह सब जाने।
22.अपने पैतृक गांव की जानकारी एकत्रित करें उस क्षेत्र विशेष की प्रमुख उपलब्धियां तथा उसमें से प्रमुख व्यक्तित्व जिन्होंने कुछ अच्छा किया है उसे सूचीबद्ध करें तथा नया रिसर्च पेपर लिखें ।
23अपनी परंपराओं और और संस्कारों की जानकारी इकट्ठा करें तथा मूल्यांकन करें कि वह आज के संदर्भ में कितनी सही हैं तो कितनी गलत हैं।
24.माताओं केके साथ रहकर पाक कला में निपुणता हासिल करें सलाद व स्नेक्स की ट्रेनिंग ले नई नई डिशेस बनाने की कोशिश करें।
25.घर को पुनः व्यवस्थित करें।
26.पूरे सामान को अच्छे से रखें अपने अलमारियों को विश व्यवस्थित करें।
27.विविध विषयों के शो लिखित निर्मित नोट्स तैयार करें आलेख व डायग्राम बनाएं।
28.15 अगस्त, 26 जनवरी, अध्यापक दिवस, अनुशासन ,प्रेम दिवस विविध विषयों पर शायरी लिखे या अन्य लेखकों की शायरी को एकत्रित करें और उन्हें स्मरण करने की कोशिश करें जिससे आपकी भाषण कला में काफी सुधार होगा
29इंटरनेट की जानकारी हासिल करें ग्राफिक डिजाइनिंग इन शार्ट टाइम कोर्स ज्वाइन करें ऑनलाइन बैठ कर के
30. कुछ न कुछ 
 स्किल डेवलपमेंट करें।
निष्कर्ष/उप संहार
निष्कर्ष के रूप में हम कह सकते हैं कि समय निरंतर गतिमान है इसे रोका नहीं जा सकता। यह किसी को क्षमा नहीं करता है जो इस समय की इज्जत नहीं करता है समय उसकी भी इज्जत नहीं करता है। राजा -रंक ,संत -असंत ,गरीब -अमीर आदि सभी समय की काल में समा जाते हैं ।इसलिए यह समय जो हमें मिला है उसमें ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें,अभ्यास करें। ज्यादा से ज्यादा इसका सदुपयोग करें। करणी है नहीं तो अंत में पश्चाताप ही हाथ लगेगा महापुरुष संदेश देते हैं कि जीवन का बीता हुआ प्रत्येक शमशान की ओर ले जा रहा है इसे समझाते हुए एक कवि ने कहा है कि

गूंजते थे जिनके ढंग के से जमीन ओ आसमान
चुप पड़े हैं मकबरे में हूं हां कुछ भी नहीं है।

इसी संदर्भ में कवि ने और समय के महत्व को समझाया है-

रात बिताई सोय के ,दिवस बीता खाए 
हीरा जन्म अनमोल है, ऐसे बिताई जाए

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

बी .ए .हिंदी प्रथम वर्ष के वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी

बी .ए .हिंदी प्रथम वर्ष के वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी। विगत से पेपर में आए हुए प्रश्न-
इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी, मीरपुर ,हरियाणा
मई ,2019
प्रश्न संख्या 1: नाटक में खड़क धारणी कौन है ?
उत्तर :नाटक में खड़क धारणी नायक की बहन मंदाकिनी है।


प्रश्न संख्या 2: ध्रुवस्वामिनी नाटक के लेखक का नाम क्या है?
उत्तर:जयशंकर प्रसाद है।

प्रश्न संख्या 3 : सूरदास की प्रमुख रचनाओं का नाम
 क्या है?
उत्तर: सूरदास की प्रमुख तीन रचनाएं हैं-
1. सूरसागर
2. सूरसरावली
3. साहित्य लहरी।

प्रश्न संख्या 4 कबीर किस धारा के प्रमुख कवि हैं‌?
उत्तर        कबीर निर्गुण भक्ति धारा के कवि हैं।
प्रश्न संख्या 5  सम्राट राम के भाई का क्या नाम है।
उत्तर        चंद्रगुप्त

प्रश्न संख्या  6.अपने मुंह मियां मिट्ठू मुहावरे का क्या अर्थ है?
 उत्तर‌:     अपनी प्रशंसा स्वयं करना ।

प्रश्न संख्या 7    मिट्टी का माधो लोकोक्ति का अर्थ बताइए ।
    उत्तर           मिट्टी का माधो का अर्थ है निरा मूर्ख।

    प्रश्न संख्या 8.   चंद्रगुप्त के पिता का क्या नाम है ?
        उत्तर      चंद्रगुप्त के पिता का नाम समुद्रगुप्त है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र
b.a. प्रथम वर्ष सेमेस्टर 2
सब्जेक्ट हिंदी पेपर में 2019
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक , हरियाणा
b.a. प्रथम वर्ष ,सेमेस्टर 2 , प्रश्न पत्र पेपर मई,2019
सब्जेक्ट- हिंदी अनिवार्य
1.ध्रुवस्वामिनी नाटक के लेखक का नाम लिखिए।        ---    जयशंकर प्रसाद।

2.लातों के भूत बातों से नहीं मानते मुहावरे का अर्थ         लिखिए।
   ---*बिना दंड के कार्य न करना।

3.विकट शब्द का अर्थ लिखिए।
  ---*  विकट शब्द का अर्थ है कठिन।

4.चंद्रगुप्त की दो विशेषताएं लिखिए।
  ---*1. ध्रुवस्वामिनी नाटक का नायक था।
    ---*2.   सुशासन ,सच्चा प्रेमी ,स्त्रियों का सम्मान                       करने वाला।

5.आंखों के तारा मुहावरे का अर्थ लिखिए।
   ---*  बहुत प्यारा।

6.राम गुप्त की दो विशेषताएं लिखिए।
  ---*    1.कायर , विलासी एवं कामुक।
  ----*     2.अदूरदर्शी एवं अविवेकी राजा

  7.ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
   ---*   ध्रुवस्वामिनी नाटक जयशंकर प्रसाद का स्त्री                 प्रधान    नाटक है ।कथावस्तु तीन भागों में                   विभाजित ,पात्रों की संख्या सीमित                            ,संकलनत्रय   की उपयुक्त, संवाद योजना                      पात्रानुकूल,   गीति           योजना                                सटीक,भाषा शैली सरल ,रंगमंच की दृष्टि                        से एक सफल नाटक है।

     8.     ध्रुवस्वामिनी किसकी वाग्दत्ता थी ।
    ---*    चंद्रगुप्त की





शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

तुलसीदास कृत रामचरितमानस के मुख्य बिंदु

तुलसीदास कृत रामचरितमानस के मुख्य बिंदु
1.रामचरितमानस भक्ति काल का सुप्रसिद्ध ग्रंथ है।
2.तुलसीदास की रामचरितमानस से सबसे प्रसिद्ध रचना है
3.यह अवधी भाषा में लिखी गई है।
4.यह एक प्रबंध काव्य है।
5.इसमें दोहा और चौपाई छंदों का प्रयोग किया गया है।
6.1074 दोहों का प्रयोग इसमें है।
7.मुख्य रस से इसमें भक्ति रस है।
8.रामचरितमानस की रचना संवत 1631 में चैत्र शुक्ल रामनवमी मंगलवार को हुआ।
9.इसकी रचना में कुल 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन लगे।
10.मानस में सात कांड हैं जो इस प्रकार से हैं।
1.बालकांड ।
2.अयोध्या कांड 
3.अरण्य कांड 
4.किष्किंधा कांड
5. सुंदरकांड 
6.लंका कांड 
7.उत्तरकांड।
रामचरितमानस के विषय में विभिन्न विद्वानों के मत
1.आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रामचरितमानस को लोकमंगल की साधना अवस्था का काव्य माना है।
2.अयोध्या कांड को रामचरितमानस का हृदय स्थल कहा जाता है इस कांड की चित्रकूट सभा को आचार्य 3.रामचंद्र शुक्ल ने एक आध्यात्मिक घटना की संज्ञा दी है।
4.चित्रकूट सभा में वेद नीति लोक नीति एवं राजनीति तीनों का समन्वय दिखाई देता है।
5.रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वायत्त सुखय के साथ-साथ लोकगीत एवं लोक मंगल के लिए किया है।
6.रामचरितमानस के मार्मिक स्थल निम्नलिखित हैं।
1.राम का अयोध्या का त्याग और पति के रूप में वन गमन
2चित्रकूट में राम और भरत का मिलन।
3.सबरी का आतिथ्य।
4.लक्ष्मण को शक्ति लगने पर राम का विलाप।
5.भरत की प्रतीक्षा।
7.आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है तुलसीदास का संपूर्ण काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है।
8.रामचरितमानस पर सर्वाधिक प्रभाव अध्यात्म रामायण का पड़ा है।
9.तुलसीदास ने सर्वप्रथम मानस को रसखान को सुनाया था।
10.रामचरितमानसआज भी पूरे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है।

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