5955758281021487 Hindi sahitya : मई 2021

रविवार, 2 मई 2021

आचार्य रामचंद्र शुक्ल :एक विश्लेषण

 रामचंद्र शुक्ल
हिंदी भाषा के आधुनिक काल का जब भी जिक्र होगा तो कुछ महा पंडितो के नाम जरूर लिए जाएंगे।

 हिंदी साहित्य को परिभाषित करने के लिए जरूर लिए जाएंगे जिनके बिना हिंदी साहित्य अधूरा सा प्रतीत होता है।

 हिंदी साहित्य के महान उच्च कोटि के साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी में वैज्ञानिक दृष्टि के,समालोचना का प्रारंभ करने वाले ,अद्भुत सम आलोचक ,उच्च कोटी के निबंध कार, भावुक  कवि का जो स्थान हिंदी गद्य साहित्य में उन्हें प्राप्त है शायद किसी को प्राप्त हुआ होगा।आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के कार्य क्षेत्र
आचार्य रामचंद्रर शुक्लल
शुक्ल जी हिंदी साहित्य के इतिहास के बाद यद्यपि कई विद्वानों हिंदीका इतिहास लिखा किंतु उन्हें कोई भी चुनती में दे सका ।
एक और शुक्ल जी महान आलोचक के दूसरी ओर अत्यंत भावुक व संवेदनशील कवि ।
इन दोनों प्रतिभाओं का सामंजस्य से उनके व्यक्तित्व को परिपूर्ण बनाता है।
 यही कारण है कि गंभीर विश्व पर भी लिखे गए निबंध में समरता कई स्थानों पर आनंद के दर्शन करा देती है।

 वे बीच-बीच में रोचक प्रसंग ,मुहावरे अथवा लोकोक्तियों प्रयोग करके गंभीर विषय को भी सरल और रोचक बना देते थे ।
शुक्ल जी की निबंध में कहीं न कहीं रसगुल्ले का जिक्र जरुर आता था ऐसा लगता है जैसे शुक्ला जी को सफेद रसगुल्ले बहुत पसंद थे।
शुक्ला जी की भाषा हर प्रकार के भाव के प्रतिपादन में सक्षम दिखाई देती है ।ऐसा ही वे कितनी सूक्ष्म एंव जटिल हो।
 उनका शब्द प्रभाव अनुकूल एवं वाक्य विन्यास अत्यंत व्यवस्थित है ।
शुक्ल जी की विशेषता है कि उन्होंने  भाषा का आडंबर अपनी रचनाओं में कहीं नहीं किया है ।
इसलिए उनकी भाषाएं सरस ,सुंदर  और कहीं  भाव स्पष्ट तान विफलता दिखाई नहीं देती है।
 शुक्ल जी की रचनाओं में उनके विचार पूर्णता श्रंखलाबद्ध होने की वजह उतार-चढ़ाव के साथ भाषा भीदिखाई दी है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कृतित्व 
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निष्कर्ष
 आचार्य रामचंद्र शुक्ल की उपलब्धियां अत्यंत सुंदर उनके विचार अनुकरणीय हिंदी साहित्य के लिए  वरदान साबित होगा।
 हिंदी साहित्य का यह मूल सितारा 1941 उनमें संसार से विदा हो गया ।अपनी कमाई उन्होंने साहित्य को जो प्रदान की है ।उसे हिंदी साहित्य जगत उन्हें कभी नहीं भूलेगा ,नाही कभी अनदेखी कर पाएगा ।यदि निबंध और आलोचना लिखे जाएंगे रामचंद्र शुक्ल की विद्वता को ही निश्चय ही आधार माना जाएगा। आधुनिक हिंदी साहित्य के जन्मदाता ,दिवेदी युग के संस्थापक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उनको साहित्य संस्कार दिया था। उन्होंने साहित्य की जिस विधान में भी कुछ भी लिखा है अत्यंत  सुंदर हे ै।हिंदी साहित्य जगत उन्हीं सदैव याद रखेगा ।उनका हिंदी साहित्य में योगदान अमूल्अविस्मरणीय व सराहनीय है।

आत्मविश्वास निबंध

आत्मविश्वास निबंध आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
मनुष्य का जीवन संघर्ष का जीवन किंतु यदि संघर् से जूझते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो उसे स्वयं पर विश्वास करना होगा और विश्वास बनाए रखकर निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होना होगा।


आत्मनिर्भर होना किसी भी व्यक्ति की सफलता का सबसे बड़ा आधार है।
हाथ निर्भरता के विषय में विभिन्न विद्वानों ने अनेक उत्तर प्रदेश प्रस्तुत किए


जैसे रूसो प्रतिवादी शिक्षा विदित है उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के हाथ में पुस्तक नहीं देनी चाहिए बल्कि कागज और पेंसिल देकर उन्हें प्रकृति की गोद में छोड़ देना चाहिए।
तुलसीदास जी ने कहा है
पराधीन सपनेहु सुख नाही
वास्तव में स्वाबलंबन या आतम निर्भरता भी मनुष्य को स्वाधीन बनने की प्रेरणा देती है यदि हम अपने चारों ओर की प्रकृति पर दृष्टिपात करें तो छोटे बड़े जीव जंतुओं को देखें वह भी सभी स्वतंत्रता प्रिय होने के साथ-साथ पूर्णता आत्मनिर्भर हैं।
पशु पक्षियों के नन्हे शिशु जन्म लेने के कुछ समय बाद ही आत्मनिर्भर हो जाते हैं जबकि मानव संतान अगर बस चले तो कभी भी आत्मनिर्भर ना बने आज के युवा वर्ग माता पिता पर आश्रित रहकर ही जीवन का आनंद उठाए जा रहे हैं मनुष्य की प्रकृति है कि वह सब कुछ प्राप्त करना चाहता है लेकिन हाथ पैर बिलारा नहीं चाहता यही भावना उसकी पराजय का सबसे बड़ा कारण है मानव जीवन में परतंत्रता सबसे बड़ा दुख है और सबसे बड़ा सुख स्वाबलंबी मनुष्य कभी परतंत्र नहीं हो सकते वे सदा स्वतंत्र रहकर आत्मनिर्भर बनने की लगातार कोशिश करते हैं।
हाथ निर्भरता से मनुष्य की प्रगति होती है वह उस वीरता का वर्णन करता है जो स्वयं पृथ्वी को धो कर पानी निकाल कर अपनी तृष्णा को शांत करने की क्षमता रखता है कायर भेरु विरुद्ध मी अनु उत्साह है कर्म अन्य लोग ऐसा कर पाने में असमर्थ रहती है 
आत्मविश्वास व्यक्ति