प्रयोगवाद
साम्यवाद व मार्क्सवाद दृष्टि से ओतप्रोत साहित्य धारा प्रगतिवाद के पश्चात हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद का उदय हुआ ।
1. छायावादोत्तर काल की वह काव्य धारा जिसमें काव्य के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए गए प्रयोगवाद के नाम से जानी जाती है ।
2. सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय को प्रयोगवाद का प्रवर्तक माना जाता है ।
3.अज्ञेय के संपादन में 1943 ईस्वी में प्रकाशित तार सप्तक से प्रयोगवाद का आरंभ माना जाता है ।
4.अज्ञेय के संपादन में कुल चार तार सप्तक प्रकाशित हुए, जिनमें अज्ञेय ने सात-सात कवियों की रचनाएं संकलित की ।
5.तार सप्तक की मूल योजना प्रभाकर माचवे व नेमीचंद जैन की थी ।
6.इन दोनों ने अपनी योजना को अज्ञेय के सामने रखा ,जिसे उन्होंने क्रियान्वित किया ।
7.हिंदी कविता में प्रयोगों के आरंभ कर्ता निराला माने जाते हैं।
8. निराला की कविताओं को प्रयोगों का एल्बम कहा जाता है।
9.निराला ने छंद ,प्रतीक, उपमान आदि सभी क्षेत्रों में प्रयोग किए ।
10.निराला ने अपनी प्रथम कविता जूही की कली में कविता को छन्दों के बंधन से मुक्त किया।
11.कुकुरमुत्ता कविता में इन्होंने कुकुरमुत्ता गुलाब जैसे नये प्रतीक प्रयुक्त की किए ।
12.राहों के अन्वेषक तार सप्तक कवि संबोधन ।
13.प्रयोगवाद का नामकरण कर्ता
आचार्य नंददुलारे वाजपेयी को माना जाता है ,जिन्होंने प्रयोगवादी रचनाऐं शीर्षक निबंध लिखा।
14.तार सप्तक की भूमिका में अज्ञेय नें लिखा है ,सातों कवि एक स्कूल के नहीं हैं,राहीं नहीं राहों के अन्वेषी हैं।
15. दूसरा सप्तक की भूमिका में अज्ञेय ने लिखा हमें प्रयोगवादी कहना उतना ही सार्थक या निरर्थक है ,जितना की हमें कविता वादी कहना ।
16.अज्ञेय के अनुसार प्रयोग अपने आप में ईस्ट नहीं है ,वह साधन है ।
अज्ञेय के संपादन में कुल 4तार सप्तक प्रकाशित हुए :-
प्रथम सप्तक 1943ईस्वी
दूसरा सप्तक 1951 ईस्वी
तीसरा सप्तक 1959 ईस्वी
चौथा सप्तक 1979 ईस्वी
1.प्रयोगवादी आंदोलन के प्रचार-प्रसार हेतु अज्ञेय ने 1946 ईस्वी में "प्रतीक "का प्रकाशन किया ।
2.प्रयोगवाद के विकसित रूप को 'नई कविता 'के नाम से जाना जाता है ।
3.प्रयोगवाद ने दूसरे सप्तक के प्रकाशन के बाद नई कविता का रूप धारण कर लिया ।
4.डॉ रामविलास शर्मा और नामवर सिंह ने नई कविता को प्रयोगवाद का छद्म रूप कहां ।
5.नई कविता के नामकरण का श्रेय अज्ञेय को जाता है ।
6.उन्होंने 1952 में आकाशवाणी पटना से प्रसारित एक रेडियो वार्ता में नई कविता नाम का प्रयोग किया ।
7.1954 में इलाहाबाद से जगदीशगुप्त व रामस्वरूप चतुर्वेदी के संपादन मे नई कविता पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ।
8. डॉ बच्चन सिंह ने नई कविता को प्रगतिवादी व प्रयोगवाद दो अति वादी छोरो को मिलाने वाली कविता कहा ।
9.नई कविता का आरंभ और नामकरण अंग्रेजी के न्यू पोएट्री काव्य आंदोलन की तर्ज पर हुआ।
10. लघु मानव की प्रतिष्ठा नई कविता की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं।
लघु मानव से तात्पर्य साधन हीन ,उपेक्षित साधारण व्यक्ति से हैं।
नई कविता का रूप स्पष्ट करने के लिए निम्न आलोचनात्मक कृतियों का प्रकाशन हुआ :-
नई कविता के प्रतिमान-- लेखक डॉक्टर लक्ष्मीकांत वर्मा
कविता के नए प्रतिमान --लेखक डॉक्टर नामवर सिंह
नई कविता का आत्म संघर्ष --लेखक गजानन माधव मुक्तिबोध
नई कविता सीमाएं और संभावनाए --गिरिजाकुमार माथुर
नई कविता के बहाने लघु मानव पर --विजयदेव नारायण साही ।
नया प्रतीक ,
नये पत्ते ,
क,ख,ग,
प्रतिमान आदि पत्र-पत्रिकाओं ने नई कविता को प्रोत्साहन प्रदान किया ।
नई कविता के कवियों ने रस सिद्धांत को चुनौती देकर रस के स्थान पर द्धन्द्ध, तनाव एवं बेचैनी को काव्य की आत्मा माना ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें