5955758281021487 Hindi sahitya : BA HINDI/MA HINDI STUDENT KE LIA
BA HINDI/MA HINDI STUDENT KE LIA लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
BA HINDI/MA HINDI STUDENT KE LIA लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 7 नवंबर 2022

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का साहित्यिक परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय
साहित्यिक परिचय
स्नातक तथा स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न
16 नंबर के प्रश्न में किस प्रकार से आप क्वेश्चन को तैयार कर सकते हैं।
देखें
भूमिका
महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी छायावाद के चार आधार स्तंभों में से एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। आधुनिक हिंदी कविता में उनका अतुलनीय योगदान है। निराला जी एक सजग साहित्यकार थे उन्होंने अपने युग की परिस्थितियों को अत्यंत निकट से देखा समझा और उनमें सुधार करने का प्रयास किया वह एक सच्चे क्रांतिकारी कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए।
जीवन परिचय
उनका जन्म 18 96 ईस्वी में बंगाल के महिषादल राज्य के मेदिनीपुर जिले में बसंत पंचमी के दिन हुआ।
 उनके पिताजी रामसहाय त्रिपाठी उन्नाव के रहने वाले थे लेकिन आजीविका कमाने के लिए वह महिषादल नामक रियासत में आकर बस गए।
 निराला जी जब 3 साल के थे ,उनकी माता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता सख्त अनुशासन रखने वाले थे। स्वभाव के कारण उन्हें अनेक बार अपने पिता की मार खानी पड़ी।


 सन 1911 में निराला जी का मनोरमा देवी से विवाह हुआ उनसे उन्हें एक पुत्र और पुत्री मिले लेकिन जन्म देते ही वह भी स्वर्ग सिधार गई । उनका व्यक्ति व्यक्तिगत जीवन बहुत ही दुख में रहा है कहा जाता है कि अपनी पीढ़ी के वे अकेले जीवित इंसान थे बंगाल में अनेक पड़े अकाल ओक में उनके परिवार को भी अपने साथ निगल लिया था।
निराला जी को साहित्य जगत में आरंभ में अनेक विरोध का सामना करना पड़ा।

 उनकी अनेक रचनाएं व लेख अप्रकाशित ही लौटा दिए जाते थे ।महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उनकी जूही की कविता अनेक बार लौटाई लेकिन बार-बार जाने के बाद भी द्विवेदी जी ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उनकी रचना को सरस्वती पत्रिका में1916 में जूही की कली नाम से छापा। महावीर प्रसाद द्विवेदी को ही आजीवन उन्होंने अपना गुरु माना। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के प्रयासों से समन्वय के संपादक का कार्यभार संभाला इसके पश्चात 1933 में निराला जी ने मतवाला पत्रिका का संपादन किया ।
1935 में सरोज की आकस्मिक मृत्यु होने के कारण उन्होंने सरोज स्मृति नाम का एक महाकाव्य की रचना की।
 सरोज स्मृति को हिंदी का प्रथम शोक गीत भी कहा जाता है और आजीवनहिंदी की साहित्यिक सेवा करते रहे सन् 1961 में उनका निधन हुआ।
  निराला जी का व्यक्तित्व

निराला जी की विलक्षणता उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी।इसलिए विद्वानों ने उनको महाप्राण निराला कहा करते थे।निरालाआधुनिक युग के कबीर कहे जाते हैं ।
उनका कद 6 फुट से अधिक लंबा उनके व्यक्तित्व में परस्पर विरोधी तत्व भी थे ।
वे स्वाभिमानी, त्यागी, उद्दंड और मृदुल सब कुछ उनमें एक साथ विद्यमान था ।
उनकी दान शीलता  तो दंत कथाओं का विषय बन गई थी।
 अनेक बार उन्होंने सर्दी में ठिठुरते हुए लोगों को कंबल और रजाइया दी थी और स्वयं वह ठंड में कांपते रहते थे। 
सहायता और सम्मान उनके व्यक्तित्व की विशेषता थी 
फक्कड़ पन के कारण हिंदी में गौरव और काव्य की श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए गांधी और नेहरू जी से भी वह उलझ पड़े थे ।
उन्हें अमृत पुत्र ,महाप्राण, क्रांति दृष्टा ,दारागंज का संत और दिनों का मसीहा कहा जाता था।
 वह खाने-पीने के शौकीन और खिलाने के भी शौकीन थे।
 वे संगीत प्रेमी और उदार हृदय के व्यक्ति थे।
 गंगा प्रसाद पांडे जी कहते हैं कि आंखों में आंतरिक प्रसन्नता का प्रकाश , चरित्र में चैतन्य की आभा, सारे शरीर में पुलक सपूर्ण तथा मस्ती से भरा मन मिलकर निराला आगे बढ़ते रहते थे उनकी बेफिक्री में बोझिल साल से किसी के अनुशासन का कंपन नहीं था उनके विचारों में आत्मविश्वास झलकता था।ऊपर दिए गए पेजों के आधार पर आप अपने प्रश्न को अच्छे से लिखकर अधिक से अधिक अंक ले सकते हो। इसमें मैंने आपको एक तरीका बताया है अगर आप इसकी पीडीएफ चाहते हैं तो सेम इन्हीं पेजो की पीडीएफ का लिंक में नीचे दे दूंगी आप उस लिंक पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं। इसी का यूट्यूब वीडियो भी चाहिए तो उसका लिंक भी मैं आपको नीचे दे दूंगी इस ब्लॉग के लिखने का उद्देश्य मेरा इतना सा है कि जो विद्यार्थी थोड़े समय में अच्छी तैयारी करके अच्छे अंक प्राप्त करना चाहती हैं ।उनकी मदद हो सके ।

 https://youtu.be/x5riQmrV7Lo
https://drive.google.com/file/d/1sJeGGXd484Mf3AbZa8hw3-eLN6mRd-Np/view?usp=drivesdk
धन्यवाद
सुमन शर्मा 
असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी 
राजकीय महाविद्यालय सिवानी ,भिवानी (हरियाणा)