5955758281021487 Hindi sahitya : अज्ञेय द्वारा रचित कविता नदी के द्वीप का प्रतिपाद्य

शनिवार, 31 अक्तूबर 2020

अज्ञेय द्वारा रचित कविता नदी के द्वीप का प्रतिपाद्य

आज्ञा द्वारा रचित कविता
नदी के द्वीप का प्रतिपाद्य
नदी के द्वीप शीर्षक कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
नदी के द्वीप कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए
नदी के द्वीप कविता की भाषा शैली समझाइए।
नदी के द्वीप श्री सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय की सुप्रसिद्ध प्रतीकात्मक कविता है इसमें कवि ने नदी की धारा द्वीप और भूखंडों के प्रतीकों के माध्यम से व्यक्ति समाज और जीवन प्रभा के पारंपरिक संबंधों को उजागर किया है।
द्वीपड्व्यक्ति का प्रतीक है।
नदी परंपरा और प्रवाह की।
भूखंड समाज का प्रतीक है।
परंपरा समाज और व्यक्ति को जोड़ने वाली खड़ी है।
जैसे द्वीप भूखंड का अभिन्न अंग है किंतु उसका अपना अस्तित्व भी है वैसे ही व्यक्ति समाज का एक अंग है किंतु उसका अपना अस्तित्व और सकता है उसके अपने गुण और विशेषताएं उसकी अलग पहचान करवाती हैं।
व्यक्ति परंपरा अथवा काल प्रवाह के कारण समाज का अंग होते हुए भी स्वतंत्र व्यक्तित्व का बना रहता है।
ड्रिप नदी से कुछ न कुछ ग्रहण करता रहता है फिर भी वह नदी नहीं बन पाता द्वीप नदी में मिलता नहीं है नदी में मिलने से द्वीप का अस्तित्व मिट जाएगा।
 इसी प्रकारव्यक्ति भी समाज और परंपरा के संस्कार प्राप्त करके अपने अस्तित्व को बनाता है परंतु उसमें मिलता नहीं है।
समाज का सदस्य होते हुए भी उसका अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व है।
आते हैं कभी यहां स्पष्ट करना चाहता है कि व्यक्ति समाज एवं परंपरा के संबंधों को दर्शाते हुए आदमी के स्वतंत्र अस्तित्व का प्रतिपाद्य यहां किया है।


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