5955758281021487 Hindi sahitya : मंगलेश डबराल

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

मंगलेश डबराल

समकालीन हिन्दी साहित्य में मूर्धन्य कवि मंगलेश डबराल जी 9 दिसंबर, 2020 को कोविड संक्रमण व हृदयाघात से नहीं रहे।

हिंदी साहित्याकाश के दैदीप्यमान नक्षत्र श्री डबराल जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
जन्म

16 मई, 1948 को टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड) में ।

पत्रकारिता

 श्री डबराल जी कई पत्रिकाओं जैसे - हिंदी पैट्रियट, प्रतिपक्ष, आसपास, पूर्वाग्रह (मध्यप्रदेश कला परिषद्, भोपाल से संपादित त्रैमासिक पत्रिका), अमृत प्रभात, जनसत्ता और सहारा समय आदि के कुशल संपादक भी रहे।
साहित्यिक विशेषताएं
1.कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों पर नियमित लेखन भी करते रहे। 
2.मंगलेश जी की कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। वे यह प्रतिकार किसी शोर-शराबे के साथ नहीं अपितु प्रतिपक्ष में एक सुन्दर स्वप्न रचकर करते थे। 
3.उनका सौंदर्यबोध सूक्ष्म है और भाषा पारदर्शी है।
काव्य संग्रह --
1. पहाड़ पर लालटेन (नक्सल आंदोलन से प्रेरित)
2. घर का रास्ता 
3. हम जो देखते हैं,
4. आवाज भी एक जगह है
5. नये युग में शत्रु (बाजारवाद के मायावी रूप की तीव्र आलोचना)

(फरवरी, 2020 प्रकाशित 'स्मृति एक दूसरा समय है' उनके जीवन का अंतिम संग्रह रहा।)
 गद्य संग्रह --
1. लेखक की रोटी
2. कवि का अकेलापन

 यात्रावृत्त --
1. एक बार आयोवा

 संस्मरण --
1. एक सड़क, एक जगह

मंगलेश डबराल जी असंदिग्ध तौर पर राजनीतिक कवि थे, बाज़ारवाद, पूंजीवाद और सांप्रदायिकता के विरुद्ध थे, लेकिन उनमें एक अजब-सी मानवीय ऊष्मा भी थी।

 सम्मान व पुरस्कार --
ओमप्रकाश स्मृति सम्मान (1982)
श्रीकान्त वर्मा पुरस्कार (1989)
साहित्य अकादमी पुरस्कार (2000) ['हम जो देखते हैं' के लिए]

"एकाएक आसमान में
एक तारा दिखाई देता है।
हम दोनों साथ-साथ
जा रहे हैं अंधेरे में
वह तारा और मैं।"
 ('रेल में' कविता से)

आज वो तारा एकाएक असीम आसमान के अँधेरे में विलीन हो गया। ईश्वर उन्हें अपने श्री-चरणों में स्थान दे व परिजनों को इस दु:ख की घड़ी में धैर्य प्रदान करे।

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