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रविवार, 8 नवंबर 2020

संक्षेपण की परिभाषा प्रक्रिया के नियम और प्रमुख विशेषताएं

संक्षेपण की परिभाषा
संक्षेपण की प्रक्रिया के नियम
उस की प्रमुख विशेषताएं
उदाहरण
संक्षेपण : परिभाषा, प्रक्रिया के नियम, प्रमुख विशेषताएँ और उदाहरण


प्रस्तावना

आज का युग सूचना और तीव्र गति का युग है। मनुष्य के जीवन की गति इतनी तेज़ हो गई है कि वह हर कार्य को कम से कम समय में पूरा करना चाहता है। इसी कारण अब वह अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों की अभिव्यक्ति के लिए संक्षिप्त, स्पष्ट और सारगर्भित भाषा का प्रयोग करने लगा है।
प्रयोजनमूलक हिंदी के क्षेत्र में संक्षेपण (Precising) की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह लेखन को सरल, प्रभावी और सटीक बनाती है।

आज शिक्षा, पत्रकारिता, प्रशासन, व्यवसाय, विज्ञान और साहित्य — सभी क्षेत्रों में सीमित शब्दों में अधिक से अधिक भाव व्यक्त करने की क्षमता आवश्यक हो गई है। परीक्षा प्रणाली में भी संक्षिप्त उत्तर देने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसी कारण संक्षेपण लेखन आज न केवल शैक्षिक दृष्टि से, बल्कि व्यावहारिक जीवन में भी अत्यंत उपयोगी कौशल है।

संक्षेपण की भाषा सूत्रात्मक, स्पष्ट और पूर्ण होनी चाहिए, ताकि पाठक को कम शब्दों में भी सम्पूर्ण अर्थ प्राप्त हो सके।


संक्षेपण की परिभाषा

संक्षेपण शब्द ‘संक्षिप्त’ से बना है, जिसका अर्थ होता है — छोटा करना या संक्षेप में प्रस्तुत करना।
किसी बड़े, विस्तृत या जटिल कथ्य को कम से कम शब्दों में उसकी मूल भावना सहित प्रस्तुत करना ही संक्षेपण कहलाता है।

अर्थात, संक्षेपण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी विस्तृत विषय-वस्तु के केवल मुख्य तत्त्वों को ग्रहण करते हुए, अनावश्यक, अप्रासंगिक और पुनरावृत्त अंशों को हटा दिया जाता है, ताकि कथ्य का सारांश स्पष्ट और संपूर्ण रूप में सामने आए।



 नरेश मिश्र के अनुसार —

> “संक्षेपण वास्तव में कम से कम शब्दों में लिखी गई स्वतः पूर्ण रचना होती है।
इसमें पाठ के सभी तत्वों को क्रम से संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है।”

संक्षेपण और सार में अंतर

कई लोग ‘सार’ और ‘संक्षेपण’ को समानार्थी मान लेते हैं, परंतु दोनों में मूलभूत अंतर है —

आधार सार संक्षेपण

1. उद्देश्य केवल केंद्रीय भाव प्रस्तुत करना पूरे पाठ का सार कम शब्दों में प्रस्तुत करना
2. विस्तार केवल मुख्य विचार सभी आवश्यक बिंदु
3. क्रम मूल क्रम आवश्यक नहीं मूल क्रम बनाए रखना आवश्यक
4. लंबाई निश्चित नहीं मूल पाठ का लगभग एक तिहाई
5. प्रस्तुति भावात्मक तार्किक और क्रमबद्ध

इस प्रकार, सार में केवल मूल भाव का संकलन होता है, जबकि संक्षेपण में सभी आवश्यक तत्व क्रमपूर्वक संक्षिप्त रूप में दिए जाते हैं।


 संक्षेपण प्रक्रिया के नियम

संक्षेपण लेखन एक कला और कौशल है। इसमें लेखक की समझ, भाषा पर पकड़ और तार्किकता की परीक्षा होती है। संक्षेपण करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन आवश्यक है —

1. मूल पाठ का अध्ययन करें —
मूल पाठ को दो या तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ें ताकि उसका केंद्रीय विचार और उद्देश्य स्पष्ट हो सके।

2. मुख्य विचार पहचानें —
यह निर्धारित करें कि पाठ में कौन-से अंश महत्वपूर्ण हैं और किन्हें छोड़ा जा सकता है।

3. केवल आवश्यक बात रखें —
अनावश्यक, अप्रासंगिक और दोहराए गए विचारों को हटाकर केवल आवश्यक तथ्य रखें।

4. मूल क्रम का पालन करें —
संक्षेपण करते समय विचारों के क्रम में कोई परिवर्तन न करें।

5. भाषा सरल और स्पष्ट हो —
वाक्य छोटे, स्पष्ट और सटीक हों। जटिल वाक्य-विन्यास से बचें।

6. अपनी ओर से कुछ न जोड़ें —
संक्षेपण में मूल लेखक के विचारों को ही संक्षिप्त करें, अपनी व्याख्या या टिप्पणी न दें।

7. संपूर्णता बनाए रखें —
यद्यपि शब्द कम किए जाएँ, परंतु अर्थ की पूर्णता बनी रहे।

8. संक्षेपण मूल पाठ का एक तिहाई भाग हो —
उदाहरणतः यदि मूल अनुच्छेद 300 शब्दों का है, तो संक्षेपण लगभग 100 शब्दों में होना चाहिए।


9. विराम चिन्हों का उचित प्रयोग करें —
वाक्य-संरचना सुसंगठित और व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध हो।

10. शीर्षक दें —
संक्षेपण के अंत में एक सार्थक शीर्षक अवश्य दें जो पूरे अनुच्छेद का सार प्रकट करे


 संक्षेपण की प्रमुख विशेषताएँ

संक्षेपण की सफलता उसकी स्पष्टता, संक्षिप्तता और प्रभावशीलता पर निर्भर करती है। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं —

1. संक्षिप्तता —
कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ व्यक्त करना संक्षेपण की पहली विशेषता है।

2. पूर्णता —
यद्यपि शब्द सीमित हों, परंतु विषय का पूरा अर्थ संप्रेषित होना चाहिए।

3. क्रमबद्धता —
विचारों का तारतम्य और अनुक्रम बना रहना चाहिए।

4. स्पष्टता —
भाषा सरल, सुसंगत और बोधगम्य होनी चाहिए।

5. मौलिकता —
यद्यपि विचार मूल पाठ से लिए जाते हैं, परंतु भाषा अपनी होनी चाहिए। कॉपी-पेस्ट से बचना चाहिए।

6. समाहार शक्ति —
संक्षेपण में लेखक की समग्र दृष्टि और विश्लेषण क्षमता झलकनी चाहिए।


 संक्षेपण का महत्व

1. शैक्षिक दृष्टि से —
विद्यार्थियों में एकाग्रता, भाषा की दक्षता और तार्किकता का विकास होता है।

2. पत्रकारिता में —
सीमित स्थान में समाचार या विचार प्रस्तुत करने में यह अत्यंत उपयोगी है।

3. व्यावसायिक क्षेत्र में —
रिपोर्ट, पत्र, ज्ञापन आदि लिखते समय संक्षिप्तता आवश्यक होती है।

4. साहित्यिक दृष्टि से —
लेखक अपनी रचनाओं को प्रभावशाली और पठनीय बना सकता है।

5. सामाजिक दृष्टि से —
समय की बचत होती है और संप्रेषण अधिक सटीक बनता है।


🔹 उदाहरण सहित स्पष्टीकरण

मूल अनुच्छेद :

मेरा यह मतलब कदापि नहीं कि विदेशी भाषाएँ सीखनी नहीं चाहिए। अनुकूलता, अवसर और अवकाश होने पर हमें एक नहीं, अनेक भाषाएँ सीखकर ज्ञानार्जन करना चाहिए। द्वेष किसी भाषा से नहीं करना चाहिए। ज्ञान जहाँ भी मिलता हो, उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। परंतु अपनी भाषा और उसके साहित्य को प्रधानता देनी चाहिए, क्योंकि अपने देश और समाज का कल्याण अपनी भाषा की उन्नति से ही संभव है। ज्ञान, विज्ञान, धर्म और राजनीति की भाषा सदैव लोकभाषा ही होनी चाहिए। अतः अपनी भाषा और उसके साहित्य की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है।


 संक्षेपण :

विदेशी भाषाओं से द्वेष न करते हुए आवश्यकता और सुविधा के अनुसार उनसे ज्ञान लेना चाहिए, परंतु अपने राष्ट्र का उपकार और कल्याण अपनी भाषा और साहित्य की उन्नति से ही संभव है। इसलिए अपनी भाषा की सेवा करना हमारा परम धर्म है।

 शीर्षक :

अपनी भाषा का महत्व”

 संक्षेपण की उपयोगिता

संक्षेपण लेखन व्यक्ति को न केवल भाषिक दक्षता प्रदान करता है, बल्कि यह उसकी विश्लेषणात्मक सोच को भी विकसित करता है। जो व्यक्ति किसी बड़े विषय को कम शब्दों में सारगर्भित रूप में प्रस्तुत कर सकता है, वह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है।

पत्रकार, संपादक, शिक्षक, विद्यार्थी, प्रशासक, लेखक — सभी के लिए संक्षेपण की कला आवश्यक है। यह विचारों की स्पष्टता, लेखन की सुसंगति और समय की बचत में सहायक है।

 निष्कर्ष

संक्षेपण लेखन प्रयोजनमूलक हिंदी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। यह व्यक्ति को न केवल भाषा में दक्ष बनाता है, बल्कि उसे तार्किक, सटीक और स्पष्ट अभिव्यक्ति का अभ्यास कराता है।

वर्तमान युग में, जब हर क्षेत्र में समय का मूल्य बढ़ गया है, तब संक्षेपण की आवश्यकता और भी अधिक महसूस की जा रही है।
अतः यह कहा जा सकता है कि —

> “संक्षेपण न केवल लेखन की कला है, बल्कि यह विचारों की अनुशासनबद्ध अभिव्यक्ति का माध्यम भी है।”







शीर्षक अपनी भाषा का महत्व