5955758281021487 Hindi sahitya

रविवार, 2 मई 2021

आचार्य रामचंद्र शुक्ल :एक विश्लेषण

 रामचंद्र शुक्ल
हिंदी भाषा के आधुनिक काल का जब भी जिक्र होगा तो कुछ महा पंडितो के नाम जरूर लिए जाएंगे।

 हिंदी साहित्य को परिभाषित करने के लिए जरूर लिए जाएंगे जिनके बिना हिंदी साहित्य अधूरा सा प्रतीत होता है।

 हिंदी साहित्य के महान उच्च कोटि के साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी में वैज्ञानिक दृष्टि के,समालोचना का प्रारंभ करने वाले ,अद्भुत सम आलोचक ,उच्च कोटी के निबंध कार, भावुक  कवि का जो स्थान हिंदी गद्य साहित्य में उन्हें प्राप्त है शायद किसी को प्राप्त हुआ होगा।आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के कार्य क्षेत्र
आचार्य रामचंद्रर शुक्लल
शुक्ल जी हिंदी साहित्य के इतिहास के बाद यद्यपि कई विद्वानों हिंदीका इतिहास लिखा किंतु उन्हें कोई भी चुनती में दे सका ।
एक और शुक्ल जी महान आलोचक के दूसरी ओर अत्यंत भावुक व संवेदनशील कवि ।
इन दोनों प्रतिभाओं का सामंजस्य से उनके व्यक्तित्व को परिपूर्ण बनाता है।
 यही कारण है कि गंभीर विश्व पर भी लिखे गए निबंध में समरता कई स्थानों पर आनंद के दर्शन करा देती है।

 वे बीच-बीच में रोचक प्रसंग ,मुहावरे अथवा लोकोक्तियों प्रयोग करके गंभीर विषय को भी सरल और रोचक बना देते थे ।
शुक्ल जी की निबंध में कहीं न कहीं रसगुल्ले का जिक्र जरुर आता था ऐसा लगता है जैसे शुक्ला जी को सफेद रसगुल्ले बहुत पसंद थे।
शुक्ला जी की भाषा हर प्रकार के भाव के प्रतिपादन में सक्षम दिखाई देती है ।ऐसा ही वे कितनी सूक्ष्म एंव जटिल हो।
 उनका शब्द प्रभाव अनुकूल एवं वाक्य विन्यास अत्यंत व्यवस्थित है ।
शुक्ल जी की विशेषता है कि उन्होंने  भाषा का आडंबर अपनी रचनाओं में कहीं नहीं किया है ।
इसलिए उनकी भाषाएं सरस ,सुंदर  और कहीं  भाव स्पष्ट तान विफलता दिखाई नहीं देती है।
 शुक्ल जी की रचनाओं में उनके विचार पूर्णता श्रंखलाबद्ध होने की वजह उतार-चढ़ाव के साथ भाषा भीदिखाई दी है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कृतित्व 
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कृतित्व््व्व्््व््व्व््व््व्व््््व््व्व््व्व्््व््व्व््व््व
निष्कर्ष
 आचार्य रामचंद्र शुक्ल की उपलब्धियां अत्यंत सुंदर उनके विचार अनुकरणीय हिंदी साहित्य के लिए  वरदान साबित होगा।
 हिंदी साहित्य का यह मूल सितारा 1941 उनमें संसार से विदा हो गया ।अपनी कमाई उन्होंने साहित्य को जो प्रदान की है ।उसे हिंदी साहित्य जगत उन्हें कभी नहीं भूलेगा ,नाही कभी अनदेखी कर पाएगा ।यदि निबंध और आलोचना लिखे जाएंगे रामचंद्र शुक्ल की विद्वता को ही निश्चय ही आधार माना जाएगा। आधुनिक हिंदी साहित्य के जन्मदाता ,दिवेदी युग के संस्थापक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने उनको साहित्य संस्कार दिया था। उन्होंने साहित्य की जिस विधान में भी कुछ भी लिखा है अत्यंत  सुंदर हे ै।हिंदी साहित्य जगत उन्हीं सदैव याद रखेगा ।उनका हिंदी साहित्य में योगदान अमूल्अविस्मरणीय व सराहनीय है।

आत्मविश्वास निबंध

आत्मविश्वास निबंध आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
मनुष्य का जीवन संघर्ष का जीवन किंतु यदि संघर् से जूझते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है तो उसे स्वयं पर विश्वास करना होगा और विश्वास बनाए रखकर निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होना होगा।


आत्मनिर्भर होना किसी भी व्यक्ति की सफलता का सबसे बड़ा आधार है।
हाथ निर्भरता के विषय में विभिन्न विद्वानों ने अनेक उत्तर प्रदेश प्रस्तुत किए


जैसे रूसो प्रतिवादी शिक्षा विदित है उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के हाथ में पुस्तक नहीं देनी चाहिए बल्कि कागज और पेंसिल देकर उन्हें प्रकृति की गोद में छोड़ देना चाहिए।
तुलसीदास जी ने कहा है
पराधीन सपनेहु सुख नाही
वास्तव में स्वाबलंबन या आतम निर्भरता भी मनुष्य को स्वाधीन बनने की प्रेरणा देती है यदि हम अपने चारों ओर की प्रकृति पर दृष्टिपात करें तो छोटे बड़े जीव जंतुओं को देखें वह भी सभी स्वतंत्रता प्रिय होने के साथ-साथ पूर्णता आत्मनिर्भर हैं।
पशु पक्षियों के नन्हे शिशु जन्म लेने के कुछ समय बाद ही आत्मनिर्भर हो जाते हैं जबकि मानव संतान अगर बस चले तो कभी भी आत्मनिर्भर ना बने आज के युवा वर्ग माता पिता पर आश्रित रहकर ही जीवन का आनंद उठाए जा रहे हैं मनुष्य की प्रकृति है कि वह सब कुछ प्राप्त करना चाहता है लेकिन हाथ पैर बिलारा नहीं चाहता यही भावना उसकी पराजय का सबसे बड़ा कारण है मानव जीवन में परतंत्रता सबसे बड़ा दुख है और सबसे बड़ा सुख स्वाबलंबी मनुष्य कभी परतंत्र नहीं हो सकते वे सदा स्वतंत्र रहकर आत्मनिर्भर बनने की लगातार कोशिश करते हैं।
हाथ निर्भरता से मनुष्य की प्रगति होती है वह उस वीरता का वर्णन करता है जो स्वयं पृथ्वी को धो कर पानी निकाल कर अपनी तृष्णा को शांत करने की क्षमता रखता है कायर भेरु विरुद्ध मी अनु उत्साह है कर्म अन्य लोग ऐसा कर पाने में असमर्थ रहती है 
आत्मविश्वास व्यक्ति 

गुरुवार, 18 मार्च 2021

पल्लवन शब्द का अर्थ बताते हुए उसकी परिभाषा एवं प्रक्रिया के नियमों का उल्लेख कीजिए।

पल्लवन का अर्थ व परिभाषा
प्रक्रिया व नियम
पल्लवन शब्द का शाब्दिक अर्थ विस्तार होता है यह शब्द अंग्रेजी के Expansion शब्द का हिंदी अनुवाद है पल्लवन संक्षेपण का विपरीतार्थक है
पल्लवन एक प्रकार की गद्य रचना है जिसमें किसी विचार या विषय का विस्तारपूर्वक वर्णन मिलता है।
किसी विद्वान मनीषी संत या महात्माओं द्वारा कही गई बात या विचार सूत्र का रूप धारण कर लेते हैं लेकिन आम आदमी उस सूत्र आत्मक वाक्य को समझ नहीं सकते हैं उन्हें समझाने के लिए विस्तृत व्याख्यात्मक प्रस्तुति की आवश्यकता होती है इस प्रकार की नीतियां सूत्र वाक्य कहावत और लोकोक्तियां में गंभीर विचार शामिल होते हैं उसी को विस्तृत रूप प्रदान करना ही पल्लवन कहलाता है।
पल्लवन संक्षेपण की भांति एक कला है।
पल्लवन में निपुणता प्राप्त करने के लिए प्रतिभा और निरंतर अभ्यास की नितांत आवश्यकता होती है।
परिभाषा
पल्लवन की कोई सर्वसामान्य परिभाषा उपलब्ध नहीं है इसका प्रमुख कारण यह है कि सर्जनात्मक गद्य रूप विषय में किसी शास्त्रीय या परंपरागत रूढ़ियों का कोई आग्रह नहीं मिलता है फिर भी अनेक विद्वानों ने अपनी-अपनी मत के अनुसार पल्लवन को परिभाषित करने की कोशिश की है।
डॉ रामप्रकाश" एक निश्चित विषय अथवा विवेचन बिंदु या काव्य से संबंध विचार एवं भाव को अपने ज्ञान सहानुभूति और कल्पना के के सहारे विस्तृत कर सू ललित प्रवाह मई उन्मुक्त शैली के माध्यम से गद्दे में अभिव्यक्त करना पल्लवन कहलाता है।"

डॉ नरेश मिश्र के अनुसार किसी भाव गुप्त सूत्र आत्मक वाक्य को साधारण व्यक्ति के लिए बोद्ध गम में बनाने हेतु किए जाने वाले विस्तार को ही पल्लवन कहते हैं।

इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि पल्लवन वह कला है जिसमें किसी सूत्र ,वाक्य खती कथन तथा मुहावरे आदि में निर्गुण विचारों को सरल सहज स्वाभाविक

बुधवार, 10 मार्च 2021

पृथ्वीराज रासो का संक्षिप्त परिचय व उसकी प्रमाणिकता वह प्रमाणिकता पर महत्वपूर्ण तथ्य

पृथ्वीराज रासो का संक्षिप्त परिचय
प्रमाणिकता व प्रमाणिकता पर महत्वपूर्ण तथ्य
पृथ्वीराज रासो आदिकालीन हिंदी साहित्य का एक गौरव ग्रंथ है इसे हिंदी साहित्य का प्रथम काव्य महाकाव्य भी कहा जाता है इसके चार रूपांतर भी प्राप्त हुए हैं
वृहत
मध्यम
लघु
अति लघु
#वृहत रूपांतर में 69 समय तथा 16360 छंद है यह राजस्थान के उदयपुर के संग्रहालय में सुरक्षित है।
#मध्यम रूपांतर
मध्यम संस्करण में 1700 ईसवी के बाद पाया जाता है इसमें 7000 छंद है यह जैन ज्ञान भंडार बीकानेर में सुरक्षित है।
लघु संस्करण इसमें 33 00- 3500 छंद है यह पी शर्मा संपादित अनूप संस्कृत महाविद्यालय  के पुस्तकालय में
सुरक्षित है।
अति लघु संस्करण मैं तेरा स्वच्छंद है खोजकर्ता अगर चंद नाहटा तथा डॉ दशरथ शर्मा इसे प्रमाणिक भी मानते हैं।  


इसके रचियता कवि चंदबरदाई थे जो कथा नायक पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि उनके मित्र व प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं।

इस महाकाव्य में कवि ने पृथ्वीराज चौहान तथा संयोगिता की प्रेमकथा का वर्णन किया है साथ ही पृथ्वीराज पर मोहम्मद गौरी के आक्रमणों का भी वर्णन किया गया है।


भाव एवं भाषा दोनों दृष्टिकोण से यह एक उल्लेखनीय महाकाव्य है लेकिन इसकी प्रमाणिकता के बारे में अनेक विद्वानों ने संदेह व्यक्त किया है इस विषय पर बहुत सारे शोध नित्य प्रतिदिन हो रहे।
पृथ्वीराज रासो को अप्रमाणिक मानने वाले विद्वान तथा उनके विभिन्न तर्क
डॉ रामचंद्र शुक्ल
कविराज श्यामलदान
गौरी शंकर
हीराचंद ओझा
डॉक्टर बूलर
मुंशी देवी प्रसाद
विभिन्न तर्क
1.घटनाएं और नाम इतिहास सम्मत नहीं है परमार चालू कश्यप और चौहानों को अग्निवंशी कहा गया है जबकि वे सूर्यवंशी हैं।
2. पृथ्वीराज का तिल्ली गोद जाना और संयोगिता स्वयंवर ऐतिहासिक नहीं।
3. अंनगपाल पृथ्वीराज तथा बीसलदेव के राज्यों के संदर्भ अशुद्ध है।
4.पृथ्वीराज रासो में पृथ्वीराज की मां का नाम कपूरी था जबकि रासो में उसे कमला बताया गया है 
5.पृथ्वीराज की बहन पृथा का विवाह मेवाड़ के राजा समर सिंह के साथ बताया जाना भी अशुद्ध है ।
6.पृथ्वीराज द्वारा गुजरात के राजा भीम सिंह का वध भी इतिहास सम्मत नहीं है ।
7.पृथ्वीराज के 14 विवाह भी इतिहास सम्मत नहीं लगते हैं ।
8.पृथ्वीराज के हाथों मोहम्मद गौरी और सोमेश्वर का वध भी इतिहास के विरुद्ध है ।
9.रासो की तिथियों में इतिहास की तिथियों से 90 या 100 वर्षों का अंतर दिखाई पड़ता है।
पृथ्वीराज रासो को प्रमाणिक मानने वाले विद्वान तथा प्रमाणिकता के पक्ष में विभिन्न तर्क
विद्वान 
डॉक्टर श्यामसुंदर दास 
मोहनलाल 
विष्णु लाल पांडा 
मिश्र बंधु 
कर्नल टॉड
प्रमाणिकता के पक्ष में विभिन्न तर्क
1. प्रक्षेपों का जुड़ा होना
2.समय का अंतर संवत भिन्नता के कारण मोहनलाल विष्णु लाल पंड्या ने आनंद संवत की कल्पना की है जिसके अनुसार तिथि या सभी शुद्ध हैं ।
3.डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार पृथ्वीराज रासो में 12 वीं शताब्दी की संयुक्त  भाषा के लक्षण मौजूद हैं ।

4.इतिहास ग्रंथ ना होकर काव्य ग्रंथ है ।
5.हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार रासो की मूल रचना शुक-शुकी संवाद के रूप में हुई है प्रक्षेपित अंशों में ऐसा नहीं है।
6. चंदबरदाई लाहौर निवासी था जहां अरबी ,फारसी का प्रभाव भी उस समय आ चुका था ।
7.मुनि जी ने विजय ने पुरातन प्रबंध संग्रह 1441 ईस्वी में दिए गए पृथ्वीराज प्रबंध की और विद्वानों का ध्यान खींचा जिससे पृथ्वीराज रासो के चार चंद उद्धृत हुए तथा तीन राशियों के वर्तमान संस्करण हमें भी मिल जाते हैं मुनि जी के अनुसार रासो 1290 विक्रम संवत की रचना है।
उम्मीद करती हूं आपको यह विषय अच्छे से समझ आ गया होगा।
धन्यवाद।




गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय भावना

मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय भावना
राष्ट्रीय भावना होती क्या है?
राष्ट्रीय महिमा का गुणगान
राष्ट्र की स्वाधीनता
स्वतंत्रता के लिए आत्मोत्कर्ष हेतु प्रेरणा देना
राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को स्थिर रखने के लिए प्रोत्साहित करना
गौरवपूर्ण संस्कृति के प्रति तीव्र अनुराग व्यक्त करना,
राष्ट्र विरोधी शक्तियों कार्यों तथा शत्रुओं के प्रति तीव्र धारणा एवं क्षोभ जागृत करना
राष्ट्र की सामूहिक उन्नति प्रगति एवं समृद्धि के लिए जनमत तैयार करना
शासकीय दमन का डटकर विरोध करना ही राष्ट्रीय भावनाएं हैं।
मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय भावना


गुप्त जी के काव्य में उनकी देशभक्ति का स्वर सर्वदा मुखरित होता दृष्टिगोचर होता है वह देश भक्ति के कारण ब्रिटिश सरकार के कारावास में भी रहे। अंग्रेजों द्वारा भारत वर्ष को दिनदहाड़े लूटते हुए देख उन्हें विशेष दुख हुआ था इसलिए उन्होंने साहित्य के माध्यम से भारत वासियों में विदेशी शासकों के प्रति विद्रोह की भावना को जागृत किया और राष्ट्र के प्रति अनुराग का पाठ पढ़ाया।
मुस्लिम एकता
आदि भावनाओं को साहित्य की वीणा से गुंजित किया है।
उज्जवल अतीत से वर्तमान की तुलना करके वर्तमान समस्याओं को समझने की प्रेरणा देते हुए वे भारत भारती के प्रारंभ में ही लिखते हैं।
हम कौन थे क्या हो गए हैं और क्या होंगे अभी।
आओ विचारे आज मिलकर यह समस्याएं सभी।।
सामूहिक रूप से यदि राष्ट्र जन राष्ट्र की समस्याओं पर विचार करेंगे तो अवश्य राष्ट्र का कल्याण होगा इनके अनंतर ही कभी अतीत कालीन समृद्धि का स्मरण दिला कर राष्ट्र को अद्भुत उद्बोधन करते हैं।
जिनकी आलौकिक कीर्ति से उज्जवल हुई है सारी मही।
था जो जगत का मुकुट है क्या हाय यह भारत वही।।


भारत भारती के वर्तमान खंड में कवि ने गरीबी ,भुखमरी अविद्या, ढोंग आदि समस्याओं का सजीव चित्रण कर देश में सामाजिक जागृति लाने का भरसक प्रयत्न किया है। उनका राष्ट्र प्रेमी राष्ट्र उन्नति के लिए तड़प उठा है देश की उन्नति का चित्रण करते हुए वे लिखते हैं।

दु: शीलता दासी हमारी ,मूर्खता महिषी सदा,
है स्वार्थ सिंहासन हमारा महामंत्री सर्वदा
जो पाप पुर राज्य पद हैं कौन पाना चाहता?
चढ़कर गधे पर कौन वैकुंठ जाना चाहता?


एक राष्ट्रीय कार्यकर्ता के लिए यह आवश्यक है कि वह सारे देश को राष्ट्रप्रेम के आधार पर एक सूत्र में बांधने का प्रयत्न करें।


मैथिलीशरण गुप्त जी ने एक राष्ट्र की भावना अपनी रचनाओं में दी है साकेत में वे कहती हैं--
एक राष्ट्र में हो बहुत से हो जहां
राष्ट्र का बल बिखर जाता है वहां
गुप्त जी के ऐसे ही अनेक राजनीतिक विचार पंचवटी 1925
भारत भारती 1912
मंगल घाट
अगघ
साकेत
द्वापर
और सबसे अधिक संदेश संगीत में बिखरे पड़े हैं
गुप्त जी अनघ काव्य में नायक मघ है तो मानो महात्मा गांधी का ही प्रतीक है।
गांधीजी के धरना देना
मध निषेध
अहिंसा को अपनाना
और गांव की ओर लौटने पर जोर देना आदि सिद्धांतों का ही इस अभियान में समर्थन किया गया है।
साकेत में जब राम बन जाते हैं।तब प्रजा जन्म के रथ के सामने लेट जाती हैं और कहते हैं जाओगे दी जा सके रन 2 हमको यहां इस पर राम कहते हैं---
उठो प्रजा जन उठो तो यह मोह तुम
करते हो किस हेतु विनीत विद्रोह हो तुम
यह विनीत विद्रोही तो गांधीजी का अमोघ अस्त्र सत्याग्रह है।
प्रजातंत्र की भावना राष्ट्रीयता का विशेष अंग है गांधीजी की धारणा थी कि आज का राष्ट्र निर्माण जनतंत्र के सिद्धांतों पर ही होगा और आरके स्वराज्य में समता और नागरिक अधिकार सबके लिए सुलभ होंगे।
गुप्तजी इसी राजा आदर्श को स्वीकार करते हैं साकेत के राजाराम तानाशाह नहीं अपितु लोकप्रतिनिधी मात्र हैं गांधीजी के आदर्शों क अनुसार
 गुप्तजी ने राम के प्रजातंत्र आत्मक शासन का चित्रण किया है राम सारे राज्य को प्रजा की छाती स्वीकार करते हैं तो प्रजा उनसे कहती है
राजा हमने राम पुनीत को चुना
करो ना यूं तुम हाय लोकमत अनसुना
कभी अपनी सांस्कृतिक रचनाओं में ऐसे सर ढूंढ निकालता है जहां वह राष्ट्रीयता का संदेश दे सके साकेत के अष्टम सर्ग वालों को राष्ट्रीय जागरण के लिए आमंत्रित करती है
वह बोली कौन किरात भील बालाओ
मैं आप हमारे यहां आ गई आओ
तुम अर्धनग्न क्यों रहो ऐसे समय में
आओ हम बातें बुने गान की लय
साकेत में तो गुप्तजी देश प्रेम के संकीर्ण धीरे से निकलकर विश्व प्रेम की ओर बढ़ते हुए दिखाई देते हैं यहां उन्होंने मानवतावाद का समर्थन किया है साकेत के राम विश्व प्रेम और लोक सेवा के प्रतीक है इसलिए वे कहते हैं
संदेश यहां मैं नहीं स्वर्ग का लाया
 इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया
तिलपत गांव की यह पंक्तियां अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक जातियों को एक होने आदेश देकर राष्ट्रीय एकता के मूल को सुदृढ़ करती हुई प्रतीत होती हैं।
यहां तक है आपस की जांच
 वहां तक वे सो, हम हैं पांच 
करें यदि एक दूसरा जांच, गिने तो हमें 105।।
इससे स्पष्ट होता है कि गुप्त जी के काव्य में किस प्रकार की राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत सर सर्वदा विद्यमान रहे हैं भारत भारती और साकेत तो देश प्रेम का ही संदेश मुख्य पर प्रस्तुत करते हैं।
आचार्य गुलाब राय का मत है कि
गुप्त जी की कविता में राष्ट्रीयता और गांधीवाद की प्रधानता है।
आचार्य शुक्ल स्वीकारते हैं कि गुप्त जी की रचनाओं में सत्याग्रह अहिंसा किसानों को श्र जीवो के प्रति प्रेम और सम्मान सब की झलक हम पाते हैं
आचार्य नंददुलारे वाजपेई का कहना है कि राष्ट्र की और युग की नवीन स्पूर्थी नवीन जागृति के स्मृति चिह्न में सर्वप्रथम गुप्त जी के काव्य में ही मिलते हैं।


डॉक्टर सत्येंद्र जी कहते हैं कि राष्ट्रीयता गुप्त जी का उद्देश्य है पर संस्कृति शुन्य राष्ट्रीयता उन्हें  ग्राहय नहीं है। 


डॉक्टर कमला कांत पाठक का विचार है कि गुप्त जी ने स्वदेश प्रेम के लिए गीत गाए जिसमें देश आर्चन और स्वतंत्रता प्रेम की राष्ट्रवादी भावनाएं और अहिंसक क्रांति के विचार धारा प्रकट हुई है।


इन्हीं राष्ट्रवादी विचारों की अभिव्यक्ति के कारण सन 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गुप्त जी को राष्ट्रकवि की उपाधि से विभूषित किया।




गुरुवार, 14 जनवरी 2021

इंटरनेट की परिभाषा देते हुए उसके अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए

इंटरनेट स्वरूप व उपयोगिता
करोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट बना संजीवनी बूटी
आधुनिक युग में इंटरनेट संचार का सबसे तेज गति वाला धन है संचार के साधन ने संसार को एक गांव के रूप में बदल दिया है इंटरनेट के द्वारा विश्व के किसी भी कोने में घटित होने वाली घटना का तुरंत पता चल जाता है रेडियो टेलीविजन से भरे पुस्तकालय सिनेमा आदि के सभी एक साथ विद्यमान हैं।
इंटरनेट का पूरा नाम
इंटरनेट का पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है यह एक ऐसा विश्वव्यापी कंप्यूटर नेटवर्क है जिस में विस्तृत जानकारी एकत्रित कर कंप्यूटर पर उपलब्ध करवाई जाती है वस्तुतः इंटरनेट सर्किट के द्वारा एक दूसरे से जुड़े हुए छोटे-छोटे नेटवर्क को और दूसरे कंप्यूटरों का संगठित समूह है।
 जिसमें व्यापारिक शैक्षणिक वैज्ञानिक और व्यक्तिगत आंकड़ों का हस्तांतरण होता है यूनिक्स पर आधारित कार्य कर सकता है सामान का उपयोग करने के लिए होता है।
इंटरनेट के द्वारा व्यक्ति अपने अपने संवादों को तुरंत एक स्थान से दूसरे कंप्यूटर स्क्रीन पर पढ़कर जान सकता है तथा उसी समय उत्तर भी भेज सकता है
श्रीपाल ऑफिस मैंने इंटरनेट को परिभाषित करते हुए कहा है ।
इंटरनेट वह स्थान होता है जहां पर तुम सूचना प्राप्त कर सकते हो सूचना उपलब्ध करवा सकते हो और जहां तुम व्यक्तियों से मिल सकती हो।
निश्चय ही इंटरनेट एक संचार के क्षेत्र में क्रांति उत्पन्न कर दी है तथा रोज नई नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं इसके माध्यम से संसार के शब्द किसी भी स्थान पर स्थित कंप्यूटर को ढूंढ कर उसके स्वामी से बात की जा सकती है बात फोन लाइन फाइबर ऑप्टिकल सेटेलाइट लिंक या किसी अन्य साधन से की जा सकती है इंटरनेट पर उपलब्ध समस्त सामग्री सर्वर पर संग्रहित होती है यह सरवर उच्च क्षमता का कंप्यूटर होता है यह सर्वर किसी संस्था या कंपनी के हो सकते हैं सभी सरवर आपस में तार या टेलीफोन या उपग्रह के द्वारा आपस में डाटा शेयर करते हैं डाटा संचार के लिए जुड़े होते हैं इंटरनेट बहुत बड़ा इलेक्ट्रॉनिक संप्रेक्षण नेटवर्क है इससे न केवल कंप्यूटर के व्यवसायियों के को लाभ पहुंचता है हर इंसान को लाभ होता है जो उसका सही इस्तेमाल करता है विश्व के लिए काम करता है वर्तमान में इंटरनेट से जुड़े हुए हैं।
इंटरनेट के लिए प्रमुख तत्व
टेलीफोन 
वीसैट कनेक्शन
 केबल कनेक्शन
 वायरलेस कनेक्शन 
केबल टीवी 
कनेक्शन डायल 
अप कनेक्शन
इंटरनेट की प्रमुख विशेषताएं
1.इंटरनेट विश्व स्तर और अंतर क्रिया तमक समुदाय का निर्माण करता है ।
2.इसमें आंकड़ों की भारी मात्रा को ढूंढने की क्षमता है।
3. इंटरनेट बिंदु से बिंदु तक संप्रेषण पर आधारित है।
4. प्रयोग करता प्रत्यक्ष सबसे आंकड़ों के दूसरे साधनों या स्त्रोतों को चालू कर सकता है जो किसी भूमंडल के दूसरी ओर हो सकता है ऐसा एक सर्वर को दूसरे सरवर से जोड़कर किया जा सकता है।
5. इंटरनेट का प्रयोग विश्व को जोड़ने हेतु किया जाता है।
इंटरनेट की इतनी प्रसिद्धि के प्रमुख कारण
1.सस्ता साधन होना इंटरनेट सेवा अपेक्षाकृत सस्ता साधन है इससे कम से कम दामों में अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सकता है।
2.सरल प्रयोग इंटरनेट की प्रसिद्धि का दूसरा बड़ा कारण इसका सरल प्रयोग है कंप्यूटर ऑपरेटर करने वाला साधारण से साधारण व्यक्ति भी इस का भली-भांति प्रयोग कर सकता है थोड़े से प्रशिक्षण के फलस्वरूप किसी भी व्यक्ति नेट के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
3. आंकड़ों की सरल स्थिति
इंटरनेट का एक अन्य लाभ भी है भी है कि उपभोक्ताओं को सूचना नहीं ढूंढनी पड़ती यह कार्य सर्च इंजन द्वारा किया जा सकता है सर्च इंजन ही उपभोक्ताओं के लिए वांछित सूचनाओं को ढूंढता है तथा उपभोक्ता को प्रस्तुत करवा देता है
4.हर समय उपलब्ध इंटरनेट 24 * 7 सेवाएं उपलब्ध करवाता है तथा एक आज्ञाकारी नौकर की बातें तत्काल कार्य कर देता है।
5.सरल संशोधन इंटरनेट में संशोधन करना भी बहुत सरल होता है किसी भी वेबसाइट के डिजाइन में सरलता से मोडिफिकेशन किया जा सकता है।
6. ग्लोबल स्त्रोत इंटरनेट के जरिए कोई भी वस्तु सभी व्यक्तियों को तत्काल दिखाई जा सकती है रोजगार ,मेडिकल,  आर्थिक ,सामाजिक ,राजनीतिक ,सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों की जानकारी यह उपलब्ध करवाता है।
शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट का प्रमुख योगदान
करोना काल में संजीवनी रहा इंटरनेट
नंबर 1 पुस्तकालय ो को जोड़ना शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान है।पुस्तकालय का बहुत लाभ होता है स्कूल कॉलेजों में यह संभव नहीं है कि पुस्तकालय में सभी विषयों की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा सके। इस समस्या का समाधान करने के लिए इंटरनेट इतना अच्छा समाधान प्रस्तुत हुआ है। इंटरनेट में डिजिटल बुक्स लाइब्रेरी और उसके नेटवर्क आदि से जोड़कर पूरे विश्व को एक लाइब्रेरी में बदल दिया है ।
विद्यार्थी घर बैठे इंटरनेट से जुड़ कर सभी पुस्तकालयों के पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।
2.ऑनलाइन शिक्षा की सीधा इंटरनेट नई धारणा को जन्म दिया है वह है ऑनलाइन शिक्षा इस प्रकार की शिक्षा में यह आवश्यक नहीं है कि विद्यार्थी और अध्यापक एक दूसरे के आमने सामने एक कक्ष में बैठे अध्यापक सेवाओं की सहायता लेकर दूरदराज के विद्यार्थियों को भी शिक्षित कर सकता है कोरोना का हाल में ऑनलाइन शिक्षा के लिए इंटरनेट एक संजीवनी बूटी का कार्य कर रहा है।
3.ऑनलाइन प्रशिक्षण 
इंटरनेट विद्यार्थियों के लिए ही नहीं घर बैठे शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने का कार्य कर रहा है। विभिन्न वेबीनार ओं वर्चुअल क्लासेस, वर्कशॉप आदि घर बैठे उपलब्ध करवा रहा है।
4.विचारों का आदान-प्रदान इंटरनेट के द्वारा हम विचारों का आदान-प्रदान अन्य विद्वानों से भी कर सकते हैं ऐसा ब्लॉग लिखकर किया जा सकता है वर्तमान में यह प्रथा बहुत ही प्रचलित है।
5. ऑनलाइन ट्यूटोरियल
आज इंटरनेट पर ऑनलाइन ट्यूटोरियल उपलब्ध करवाई जा रही हैं एक विद्यार्थी कंप्यूटर से जुड़ा जुड़ा होता है उसकी कुछ समस्याएं होती हैं यह अध्यापक और विद्यार्थी के बीच अंतर प्रक्रिया कर रहा है एक ही अध्यापक से कई विद्यार्थी अंतरिया एक साथ कर सकते हैं।
6.अति आधुनिक सूचनाओं की उपलब्धि इंटरनेट पर हम हर प्रकार की अति आधुनिक सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं इंटरनेट नई और पुरानी सूचनाओं का भंडार है इससे हर प्रकार का व्यक्ति हर समय अपनी सुविधा के अनुसार सूचना प्राप्त कर सकता है इसके अतिरिक्त शैक्षणिक अनुसंधान दूरसंचार व वास्तविक कक्षाएं विशेषज्ञ कक्षा कक्ष आदि शैक्षणिक लाभ इंटरनेट के माध्यम से हमें प्राप्त हो रहे हैं।








ई-मेल किसे कहते हैं इसका अर्थ व प्रक्रिया पर प्रकाश डालिए

ई-मेल किसे कहते हैं इसका अर्थ स्वरूप व प्रक्रिया पर प्रकाश डालिए।

b.a. सेकंड ईयर
सेमेस्टर 3

ईमेल का पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक मेल है ।नेटवर्क द्वारा एक-दूसरे कंप्यूटर तक सूचना का संचार किया जाता है एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर जो सूचनाएं भेजी जाती हैं उसे दूसरे कंप्यूटर पर पढ़ा जा सकता है तथा मुद्रित किया जा सकता है उसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
इंटरनेट की सबसे लोकप्रिय सेवा ईमेल है इसका प्रयोग कहीं भी बैठा हुआ व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में अपना संदेश तुरंत भेज सकता है कहा जा सकता है कि मेल का तात्पर्य डाक से है इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर कहते हैं।
यह मेल बॉक्स केंद्रीय कंप्यूटर पर उपस्थित डिस्क पर होता है इस मेल बॉक्स पर जो पता होता है उसे ईमेल पता कहती हैं जब हमने किसी को भी मेल भेजनी होती है तो हमें उसके ईमेल का पता मालूम होना चाहिए वोट मेल याहू ड्रा मेल आदि प्रमुख इंटरनेट सरवर हैं इनमें से कुछ सरवर मुफ्त में डाक भेजने प्राप्त करने तथा अपना खाता खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं।
ई-मेल की प्रमुख विशेषताएं
ई-मेल की प्रमुख विशेषता यह है कि यह वनवे एकतरफा पद्धति है यह टेलीफोन की भांति एक समय में दोनों से यानी दो व्यक्तियों की बातचीत नहीं करवा सकती इसकी सूचना प्रदान करने की गति बहुत तेज होती है यदि डाक प्राप्त करता का कंप्यूटर बंद भी हो तब भी यह डाक बॉक्स में सम्मिलित हो जाती है कंप्यूटर चालू होने पर यह डाक प्राप्त करता को प्राप्त हो जाती है ईमेल भेजने वाले को ईमेल किए जाने की सूचना भी प्राप्त हो जाती है आरंभ में यह सुविधा केवल अंग्रेजी में ही उपलब्ध थी लेकिन अब यह सुविधा हिंदी में भी उपलब्ध है वह दुनिया के नाम से हिंदी को पोर्टल भी इंटरनेट पर आ चुका है ईमेल की सहायता से हिंदी में भी मेल भेजी जा सकती है अब हिंदी में कंप्यूटर पर हर प्रकार का काम किया जा रहा है।
ईमेल भेजने की प्रक्रिया
ईमेल भेजना प्राप्त करना देखना ईमेल खाता बंद आने के बाद ही खाता धारी को उसका पता बताया जाता है जिसका प्रयोग आप ईमेल भेजने में कर सकते हैं यदि खाता धारी का ईमेल नहीं है तो उसे मेल नहीं भेजी जा सकती उदाहरण
Raj at hotmail.com
Prem @ gmail.com
GCC Vani @ red clip.com
ईमेल पता बाएं से दाएं ओर यानी लेफ्ट से राइट की तरफ पढ़ा जाता है जैसे रवि एट द hotmail.com सुरेश एट द gmail.com।
राज और प्रेम प्रयोग करता का नाम है
हॉटमेल व जीमेल संगठनों के नाम पर जो वह संगठन है जो ईमेल सर्विस प्रोवाइड कर रहे हैं। कौन से अभिप्राय व्यापारिक संगठन से है
ईमेल भेजना
ईमेल भेजने के लिए सबसे पहले आपको अपने खाते में साइन इन करना होगा इसके लिए आप पहले ब्राउजरविंडो के एड्रेस बार में www.gmail.com टाइप करके एंटर की को दबाएं इसके बाद जीमेल का मुख्य पृष्ठ खुलकर स्क्रीन पर आ जाएगा फिर यूजरनेम बॉक्स में अपना यूजरनेम जो भी आपका यूजरनम है और पासवर्ड एडिट बॉक्स में डाल कर आप पासवर्ड टाइप करके साइन इन बटन पर क्लिक करें।
तत्पश्चात अपना लेटर बॉक्स या इनबॉक्स खुलकर स्क्रीन पर आ जाएगा इनबॉक्स खुलने के बाद बाय और कंपोज मेल विकल्प पर क्लिक करें इससे ईमेल लिखने का डायलॉग बॉक्स या फार्म स्क्रीन पर आ जाएगा
2 टेक्स्ट बॉक्स उस व्यक्ति का ईमेल पता भरें जिसे आप मेल करना चाहते हैं जैसे उदाहरण के लिए राय एट द रेट hotmail.com या प्रेम एट द gmail.com इसके नीचे सब्जेक्ट एक्स बॉक्स आएगा जिसमें पत्र का भी से टाइप करके जैसे बर्थडे पार्टीनीचे दिए गए बड़े बॉक्स में अपना संदेश टाइप कर ले इन सभी क्रियाओं को करने के बाद तू शीर्षक के ठीक ऊपर सेंड बटन को क्लिक करें आपका संदेश तुरंत ही चला जाएगा अपनी स्क्रीन पर वापस लौटे और सेंड में देखे तो आपको सेंड दिखा देगा
ई-मेल को देखना
ई-मेल को देखना और पढ़ना बहुत ही आसान कार्य है निम्नलिखित क्रियाओं इसमें की जाती है
अपने वेब ब्राउज़र या एड्रेस बारे में ईमेल आईडी अर्थात जो आपकी ईमेल आईडी है और पासवर्ड है वह टाइप करें और साइन इन करें इन वह इनबॉक्स में जाएं और आपने बॉक्स में की थी अनुसार पूरी सूचनाएं जो भी मिला आप इसके ऊपर आए हैं आप देख सकते हैं ईमेल पढ़ने के लिए संदेश के विषय पर अपना कर ले जाकर क्लिक करके स्क्रोल करते हुए आप सभी सूचनाएं जान सकते हैं अपने अनुसार जो आपको काम की मेल लगती हैं वह किसी अनुसार आप कभी भी उनको दोबारा देख सकते हैं जो आपके काम की नहीं है उनको आप डिलीट भी कर सकते हैं।