5955758281021487 Hindi sahitya

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

आचार्य रामचंद्र शुक्ल निबंध-उत्साह

उत्साह क्या है?
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार।
. उत्साह मानव का एक मनोविकार है।
२.आनंद वर्ग में उत्साह का वही स्थान है जो दुख के वर्ग में भय का है।
३.उत्साह की स्थिति में कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्त होने का योग रहता है।
४. साहस पूर्ण आनंद की उमंग का नाम ही उत्साह है।
५. उत्साह की गिनती अच्छे गुणों में होती है।
६. प्रयत्न और कर्म संकल्प उत्साह नामक आनंद के नित्य लक्षण हैं।
७. लेखक ने युद्धवीर दया वीर कर्मवीर का बुद्धि वर उत्साह के चार भेद बताए हैं।
८. उत्साह एक योगिक भाव है जिसमें साहस और आनंद का मेल रहता है।
उत्साह के मुख्य बिंदु

मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

पारिभाषिक शब्दावली में कौन-कौन से गुण अपेक्षित होने चाहिए।

भूमिका-किसी विशिष्ट विषय या ज्ञान शाखा की विशिष्ट अभिव्यक्ति के लिए विशेष शब्द पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं|इनमें कुछ गुण अति आवश्यक होते हैं।
१. उच्चारण में सरल होना जरूरी है यदि पारिभाषिक शब्द शब्द विदेशी भाषाओं से लिया जाता है तो अनुकूल पद्धति से अपनी भाषा में ढाल लेना चाहिए।
२. निश्चित अर्थ-पारिभाषिक शब्दावली का दूसरा महत्वपूर्ण गुण है। अर्थ निश्चित ,सुबोध ,व स्पष्ट होना चाहिए।
३. अर्थ विस्तार व अर्थ संकुचन रहित होना चाहिए। शब्द अपने अर्थ परिधि से कम या अधिक अर्थ अभिव्यक्त नहीं करता होना चाहिए।
४. संक्षिप्त था तथा संकेतिक ता का गुण भी अनिवार्य है। ताकि भाषा के न्यूनतम संकेत वैज्ञानिक प्रगति को रेखांकित कर सकते हैं।
५. अल्रपाक्षर पारिभाषिक शब्दावली छोटी होनी जरूरी है।
६. समान श्रेणी के शब्दों में एकरूपता अनिवार्य है। 
७. लोक शक्ति का गुण-क्योंकि समय आने पर उस में उपसर्ग व प्रत्यय जोड़कर नया शब्द बनाया जा सकता है।  
निष्कर्ष-
पारिभाषिक शब्द सरल ,बौद्धगम ,संक्षिप्त ,स्वतंत्र व पृथक उच्चारण में सरल।यह सभी गुण अनिवार्य अपेक्षित होते हैं।


राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर

राष्ट्रभाषा
१. राष्ट्रभाषा राज्य के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती हैं|
२. राष्ट्रभाषा जनता की भाषा होती है|
३. राष्ट्रभाषा का प्रयोग अनौपचारिक उन्मुक्त व स्वच्छंद शैली में किया जाता है|
४. राष्ट्रभाषा के शब्द भंडार में देश की विविध बोलियां तथा उप भाषाएं शामिल होती हैं|
५. राष्ट्रभाषा में राष्ट्र की आत्मा रहती है इसमें पूरे देश की सी सीमा सोच संस्कृति धर्म लोगों के सुख-दुख लोक नीतियां आचार व्यवहार व रीति रिवाज शामिल होते हैं|
६. राष्ट्रभाषा पूरे देश के सार्वजनिक स्थानों, तीर्थों, सभा स्थलों, मेलों में भी प्रयुक्त होती है|
७. राष्ट्रभाषा जब से भारत बना है तब से है|
८. राष्ट्रभाषा एक विशाल उद्यान की तरह है|
राजभाषा
१.राजभाषा प्राय प्रशासनिक राजकीय व सरकारी कार्यों में प्रयुक्त की जाती है|
२.इसका प्रयोग केवल प्रशासक वर्ग में ही ज्यादा होता है|
३.राजभाषा में औपचारिकताओं की सीमा होती है और यह औपचारिकताएं आवश्यक भी होती हैं|
४. राज भाषा का शब्द भंडार सुनिश्चित होता है|
५. राष्ट्रभाषा के बिल्कुल विपरीत राजभाषा का संबंध प्रशासकीय कानूनी और संवैधानिक नियमों से होता है|
६. राजभाषा केवल राजकीय कार्यों, सरकारी कार्यालयों की भाषा होती है|
७. 14 सितंबर 1949 को सैनिक दर्जा राजभाषा को मिला|
८. राजभाषा उद्यान में से चुने हुए फूलों का एक गुलदस्ता है|

सोमवार, 6 अप्रैल 2020

हरियाणवी भाषा की प्रमुख बोलियां

संस्मरण और रेखाचित्र में अंतर

संस्मरण
१•संस्मरण का अर्थ स्मरण करना|
२•स्मृति ही संस्मरण का रूप है|
३•किसी व्यक्ति वस्तु घटना दृश्य आदि को आत्मीयता से स्मरण करते हुए आत्मीयता से स्मरण ‌‌करते हुए विवेचन करना ही संस्मरण कहलाता है|
४• रेखा चित्र से भिन्न संस्मरण विवरणात्मक होते हैं|
५. संस्मरण जीवनी साहित्य से संबंधित होते हैं|
६संस्मरण में अति व्यंजना तथा विनोद का पुट भी हो सकता है|
७•संस्मरण प्राय प्रसिद्ध व्यक्तियों पर लिखे जाते हैं|
८•संस्मरण में देश काल का वर्णन अनिवार्य है|
९•संस्मरण में आत्म निष्ठ ता अधिक होती है|
१०•संस्मरण किसी भी शैली में लिखा जा सकता है|११•संस्मरण का संबंध अतीत काल से होता है|
रेखा चित्र
१•रेखा चित्र को शब्द चित्र भी कहते हैं|
२•रेखाओं के माध्यम से एक चित्र उभरना इसका अर्थ है|
३•साहित्य में कम से कम शब्दों में कलात्मक ढंग से किसी वस्तु व्यक्ति या दृश्य का अंकन यह रेखाचित्र कहलाता है|
४•रेखा चित्र वर्णनात्मक अधिक होते हैं|
५•रेखा चित्र व्यक्ति के व्यापक व्यक्तित्व पर प्रकाश डालता है|
६•रेखा चित्र प्राइस सत्य के अधिक निकट होते हैं|
७•रेखा चित्र दीनदयाल और तिरस्कृत लोगों पर भी लिखे जा सकते हैं|
८•रेखा चित्र में देश काल का वर्णन अनिवार्य नहीं है|
९. रेखा चित्र में इतनी आत्मीयता नहीं होती|
१०. रेखा चित्र में चित्रात्मक शैली अपनाई जाती है|
११.रेखा चित्रों का संबंध वर्तमान से होता है|

रविवार, 5 अप्रैल 2020

आत्मकथा और जीवनी में अंतर

 १•आत्मकथा-जब लेखक स्वयं का आत्मनिरीक्षण करता है अपने बारे में लिखता है वह आत्मकथा होती है|
२•आत्मकथा में निष्पक्ष होकर लिखना होता है ना आत्मा स्तुति और ना ही आत्म निंदा यथार्थ प्रस्तुति ही अनिवार्य है
३•स्त्रोत लेखक स्वयं ही इसका स्त्रोत होता है|
४•उदाहरण-- हरिवंश राय बच्चन
१•क्या भूलूं क्या याद करूं
२•नीड़ का निर्माण फिर
३ बसेरे से दूर
४•10 द्वार से सोपान तक
जीवनी
१•जब कोई दूसरा व्यक्ति किसी की जीवन गाथा को प्रस्तुत करता है वह जीवनी है|किसी महापुरुष ,संत ,नेता की हो सकती है|
२•जीवनी में भी लेखक चरित्र नायक के प्रति अंध श्रद्धा और उपेक्षा दोनों ही स्थितियों से मुक्त होकर लिखना होता है|तभी वह रचना के साथ न्याय कर पाता है|
३•लिखित -मौखिक जानकारी एकत्रित करता है अपने तरीके से जानकारी के आधार पर प्रस्तुत करता है|
४•उदाहरण
विष्णु प्रभाकर ने बांग्ला उपन्यासकार शरतचंद्र की प्रमाणिक जीवनी लिखी|
अमृतराय ने कलम का सिपाही अपने पिता प्रेमचंद की जीवनी लिखी|

mere Ram ka mukut bheeg Raha मेरे राम का मुकुट भीग रहा/निबंध/विद्यानिवास मिश्र