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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

आधुनिक काल में नई कविता

आधुनिक काल में नई कविता,ौ
१.नई कविता नाम अजय को दिया हुआ है अपनी एक रेडियो वार्ता में उन्होंने इस पद का सर्वप्रथम प्रयोग किया था जो बाद में नए पत्ते के जनवरी-फरवरी अंक 1953 में नई कविता शीर्षक से प्रकाशित हुई।
२.नई कविता का आरंभ सन 1954 में जगदीश गुप्त द्वारा संपादित नई कविता पत्रिका के प्रकाशन से माना जाता है।
३.बच्चन सिंह नई कविता का आरंभ सन 1951 से मानते हैं इनके अनुसार नई कविता प्रयोगवादी कविता का एक परिष्कृत रूप है।
४.मुक्तिबोध ने लिखा है नई कविता वैविध्य मां जीवन के प्रति आतम चेतन व्यक्ति की प्रतिक्रिया है नई कविता का स्वर एक नई विविध है।
५.डॉ धर्मवीर भारती ने लिखा है नई कविता प्रथम बार समस्त जीवन को व्यक्ति या समाज इस प्रकार से तंग विभाजन ओं के आधार पर मैं माफ कर मूल्यों की सापेक्ष स्थिति में व्यक्ति और समाज दोनों को मापने का प्रयास कर रही है।
६.डॉ रामस्वरूप चतुर्वेदी ने लिखा है नई कविता में समग्र मनुष्य की बात ही नहीं कही गई वरन मनुष्य की समग्र अनुभव खंडों का संयोजित किया गया है।
७.विजय नारायण साही ने नई कविता में लघु मानव की प्रतिष्ठा की है ‌।
९.नईकविता में दो प्रमुख तत्व हैं -
१.अनुभूति की प्रमाणिकता
२ बुद्धि मूलक यथार्थवादी दृष्टि 
१०.नई कविता में कैक्टस वाद का जन्म होता है नई कविता में कैक्टस प्रतीक रूप में अपनाया गया है जो अदम्य उत्साह जीवन आकांक्षा 1 घंटा का प्रतीक है। प्रमुख कवि --सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अजेय ,मलयज ,मुक्तिबोध ,शमशेर बहादुर सिंह, नरेश मेहता भवानी प्रसाद मिश्र ,केदारनाथ सिंह इत्यादि।
नई कविता :- महत्वपूर्ण आंदोलन

1.नयी कविता-"अज्ञेय"
2.नवगीत-"राजेन्द्र प्रसाद सिंह" (डॉ शम्भूनाथ सिंह)
3.साठोत्तरी  कविता -"जगदीश गुप्त"
4.ताजी कविता-"लक्ष्मीकांत वर्मा"
5.तट की कविता-"राम बचन राय"
6.अगीत-"रंगनाथ मिश्र"
7.बीट गीत -"राजकमल चौधरी"
8.अस्वीकृत कविता-"श्रीराम शुक्ल"
9.सहज कविता-"रविन्द्र भ्रमर"
10.सनातणी सूर्योदय कविता-'विरेन्द्र कुमार जैन"
11.कैप्सूल वाद-"डॉ ओमकार नाथ त्रिपाठी"
12. अकविता-"श्याम परमार"
13.आज की कविता-"हरीश मैदानी"
14.साम्प्रतिक कविता-"श्याम नारायण"
15.युयुत्शावादीकविता-"शलभ श्री राम सिंह"
16.निर्दिशांयामी कविता- "डॉ सत्यदेव राजहंस"
17.वाम/प्रतिबद्ध कविता-"डॉ परमानंद श्रीवास्तव'
18.नवप्रगतिशील-"नवलकिशोर" 


Haryanvi sahitya ,हरियाणवी साहित्य में कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी

प्रश्न नंबर 1 हरियाणवी साहित्य का इतिहास पुस्तक के लेखक का नाम बताइए|
उत्तर रघुवीर सिंह मथाना और डॉक्टर बाबूराम
प्रश्न दो हरियाणा को पश्चिमी हिंदी का प्रमुख उपभाषा मानी जाती है यह कथन किसका है|
उत्तर डॉक्टर नानक चंद शर्मा का
प्रश्न नंबर 3 हरियाणवी सॉन्ग परंपरा की शुरुआत कब हुई|
उत्तर 13वीं शताब्दी में
प्रश्न संख्या 4 किसे सागो का पितामह कहा जाता है|
उत्तर किशनलाल भाट
प्रश्न संख्या 5 मेवाती जन-जन कवि होने का गौरव किसे प्राप्त है|
उत्तर सादुल्लाह
प्रश्न संख्या 6 सादुल्ला ने मेवाती भाषा में महाभारत की रचना की उस रचना का नाम लिखिए।
उत्तर पांडवान का कड़ा
प्रश्न संख्या 7 सांग सम्राट किसे कहा जाता है।
उत्तर पंडित लख्मीचंद को।
प्रश्न संख्या 8 संत सिपाही महाकाव्य के रचयिता कौन है।
उत्तर उदयभानु हंस।
प्रश्न संख्या 9 हरियाणवी रामायण के रचयिता का नाम बताइए।
उत्तर रामेश्वर दयाल शास्त्री।
प्रश्न संख्या 10 हरियाणवी गीता के रचयिता का नाम बताइए।
उत्तर डॉक्टर नानक चंद।
प्रश्न संख्या 11 हरियाणा का प्रथम सफल उपन्यासकार किसे माना जाता है।
उत्तर मोहन चोपड़ा को।
प्रश्न संख्या 12 हरियाणवी गीतांजलि के रचयिता कौन हैं।
उत्तर भारत भूषण सांघीवाल

फैसला कहानी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा

फैसला कहानी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

फैसला कहानी लेखिका मैत्रेई पुष्पा के प्रमुख बिंदु

फैसला कहानी लेखिका मैत्रेई पुष्पा के प्रमुख बिंदु
फैसला कहानी हिंदी की प्रसिद्ध कहानीकार मैत्रेई पुष्पा की प्रसिद्ध कहानी है इसके प्रमुख पात्र वसुमति ,ईसुरिया, रणवीर है जिनकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं।
वसुमति की चारित्रिक विशेषताएं
1. परंपरागत ग्राम वधू-हालांकि बसंती ग्राम प्रधान सुनी जाती है परंतु अपने रुतबे और दायित्वों का प्रयोग न करके एक घरेलू श्री पत्नी से अधिक नहीं बन पाती है क्योंकि उसके पद का रुतबा दायित्व तो उसका पति रणवीर ही निभाता है वह किसी रबड़ स्टैंप की तरह अपने पति द्वारा बताई गई जगह पर ही दस्तखत करती है वह अपने घरेलू दायित्वों को परंपरागत ग्राम वधू की बात ही निभाती है
2 पति से भयभीत-वसुमति पत्नी के रूप में अपने पति से डरती है यही कारण है कि जब उसका पति उसे पंचायत से ले आता तो चुपचाप चली आती हैं तथा फिर उसे पंचायत में न जाने को कहता है तो वह उसका विरोध भी नहीं करती।
3. ग्रामीण स्त्रियों के रोष का शिकार-ग्राम की स्त्रियों ने उसे इसलिए वोट दी थी कि वह एक स्त्री होकर स्त्री सशक्तिकरण पर काम करेगी परंतु उसके पति रणवीर ने उसको यह पद ढंग से संभालन नहीं दिया इसलिए गांव की औरतें उस पर ताना लगाती थी बली तुम प्रधान आपके द्वार पर तो पक्का खरंजा करा लिया अपनी गलती तो पत्रों से बनवा ली
 हमसे क्या बता बहन की कीचड़ में ही छोड़ दिए।
4.न्याय प्रिय बेशक वसुमति ग्रामीण स्त्रियों की उपेक्षा पर खरी नहीं उतरती और उनके ताने सुनती है परंतु वह न्याय प्रिय है वह पंचायत में हरदोई को उसके पति के साथ भेजने का न्याय पूर्ण निर्णय करती है इस अन्याय के लिए दोषी अपने पति को अपना ही वोट नहीं देती वह 1 वोट से ही चुनाव हार जाता है लेकिन मैं क्या करती अपने भीतर की ईसुरिया को नहीं मार सकती क्षमा करना।

ईसुरिया की चारित्रिक विशेषताएं-वसुमति के बाद फैसला कहानी की महत्वपूर्ण पात्र यह एक युवती आडंबर से मुक्त स्त्री पुरुष को समानता की दृष्टि से देखने वाली न्याय प्रिय वसुमति को सही रास्ता दिखाने वाली गडरिया की बहू स्पष्ट वादी व्यवहार कुशल निश्चल लेखिका को प्रभावित करने वाली स्त्री पात्र है।
रणबीर की चारित्रिक विशेषताएं-रणवीर फैसला कहानी का प्रमुख पात्र है कथानायका वसुमति के पति अपने कृत्यों के कारण कहानी का खलनायक कुशल राजनीतिज्ञ पुरुष प्रधान समाज पाई माहिती भ्रष्टाचारी षड्यंत्रकारी कुर्सी बचाने के लिए रिश्तो को ताक पर रखने वाला एक सच्चा राजनेता दिखाई पड़ता है।
निष्कर्ष- वसुमति चीर बंदिनी की मुख सभी को तोड़कर फैसले में निर्णायक भूमिका निभाने वाली तो वहीं इस रवया के माध्यम से लेखिका की प्रेरणा शक्ति बनने वाली स्त्री पात्र तथा आज की स्वतंत्र विचारधारा का नेतृत्व करने वाली नारी रणवीर के माध्यम से लेखिका ने राजनेताओं की षड्यंत्रकारी प्रवृत्ति के बारे में बताने की कोशिश की है कहानी की तत्वों के माध्यम से फैसला कहानी एक उद्देश्य पूर्ण तथा सक्षम कहानी है।

समझणिए की मर का संक्षिप्त परिचय

समझणिए की मर उपन्यास का संक्षिप्त परिचय
समझाने की मर - 
भूमिका-
यह उपन्यास डॉ श्याम सखा श्याम द्वारा रचित है डॉ श्याम सखा श्याम का जन्म 1948 में रोहतक के श्री रतिराम शास्त्री के यहां हुआ उन्होंने एम बी बी एस सी एलएलबी की उपाधि प्राप्त की यह हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित होने वाली पत्रिका हरी गंदा के मुख्य संपादक हैं वक्त उपन्यास के तरीके अब तक इनके एक टुकड़ा दर्द काव्य संकलन तथा एक कहानी संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।
उपन्यास स्वार्थ केंद्रित राजनीति को अभिव्यक्त करता है 
उपन्यास का कथानक दो वक्ताओं द्वारा दो श्रोताओं को सुनाई गई बातचीत पर आधारित है।
 उपन्यास में संवादों की अद्भुत योजना है ।
संपूर्ण उपन्यास में हरियाणा की संस्कृति की झलक दिखाई देती है ।
लेखक व स्वार्थ पूर्ण राजनीति वह खुश होती जा रही पंचायत न्याय प्रणाली का यथार्थ एवं मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है।
 डॉ हरीश चंद्र वर्मा ने उपन्यास की आलोचना करते हुए लिखा है कि राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना से प्रेरित उपन्यासकार की दृष्टि से सबसे अधिक चिंताजनक पक्ष है भारत की राष्ट्रीयता से विमुख स्वार्थ केंद्रित राजनीति उपन्यास की कथा स्वार्थ केंद्रित राजनीति उपन्यास की कथा में समाहित कारगिल का युद्ध ऐसी ही स्वार्थ केंद्रित राजनीति का परिणाम था इसमें अनेक निर्दोष सैनिकों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी ।
पारिवारिक और सामाजिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार भी कथानक की चिंता का मुख्य विषय है कारगिल के युद्ध में शहीद हुए नफे सिंह की विधवा अमृता को मिलने वाली 10 लाख की राशि को हड़पने के लिए अमृता का ससुर रणसिंह अनेक प्रपंच रचता है किंतु अंत में सत्य की चीजें जीत होती है विधवा अमृता 10 लाख की राशि से कन्याओं के लिए एक तकनीकी स्कूल की स्थापना करती है ।
इस प्रकार उपन्यासकार ने नफे सिंह से उत्सर्ग और अमृता के त्याग और सेवा भाव के उधर उदाहरणों के माध्यम से देश भक्ति का उज्जवल आदर्श प्रस्तुत किया है।

हिंदी उपन्यास उद्भव और विकास

हिंदी उपन्यास उद्भव व विकास
भूमिका आधुनिक हिंदी साहित्य में उपन्यास नामक विद्या का जो रूप प्राप्त हुआ है वह प्राचीन संस्कृत साहित्य से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं माना जाता विधा का उपन्यास उद्भव और विकास यूरोप से हुआ है हिंदी का प्रथम उपन्यास इसे स्वीकार किया गया है इस संदर्भ में लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरु इंशा अल्लाह का रचित रानी केतकी की कहानी और श्रद्धा राम फिल्लौरी कृत्य भागवती आदि आरंभिक उपन्यास है आजकल यह गद्य विधा काफी लोकप्रिय हो चुकी है सुविधा की दृष्टि से उपन्यास साहित्य को चार भागों में बांटा गया है।
1प्रेमचंद पूर्व .युग भारतेंदु से पूर्व शरदाराम सिलोरी ने भाग्यवंती नामक उपन्यास लिखा जिसमें बीज रूप से न्यास के सभी गुण दिखाई दिए हिंदी में बांग्ला उपन्यासों किया अनुकरण पर श्रीनिवास दास ने परीक्षा गुरु नामक उपन्यास लिखा आगे चलकर राधा कृष्ण दास ने निशा हिंदू बालकृष्ण भट्ट ने नूतन ब्रह्मचारी , एक अनजान एक सुजान उपन्यास लिखा लेकिन इस काल में अनुवाद की ओर अधिक ध्यान दिया गया द्विवेदी युग में उपन्यास लेखन जोर पकड़ने लगा अनुवाद की प्रवृत्ति तो अभी भी विद्यमान थी विशेषकर देवकीनंदन खत्री द्वारा रचित उपन्यास चंद्रकांता काफी लोकप्रिय हुआ लोगों ने इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिंदी कोशिका किशोरी लाल गोस्वामी ने तो इस प्रकार की जासूसी और पुलिस में उपन्यासों का ढेर लगा दिया अयोध्या सिंह उपाध्याय के दो उपन्यास हिंदी का ठाठ तथा अधिक लाभ फूल उपन्यास लिखें।
2.प्रेमचंद युग उपन्यास जगत में प्रेम प्रेमचंद का आगमन एक विशेष उपलब्धि मानी जाती है उन्होंने कि लक्ष्मी और जासूसी की पिटारी को बंद कर हिंदी उपन्यासों को मुक्त किया और सामान्य जनजीवन से उपन्यास को जोड़ा प्रेमचंद ने उपेक्षित नारी जाति तथा मजदूरों और किसानों की व्यथा कथा को यथार्थ रूप में वर्णन किया अब उपन्यासों की स्वस्थ परंपरा का प्रचलन होने लगा कथानक पात्र चरित्र चित्रण देशकाल भाषा की दृष्टि से उपन्यास लिखे जाने लगी सेवा सदन ,निर्मला ,प्रेमाश्रय, रंगभूमि, गवन ,कायाकल्प कर्मभूमि, गोदान आदि प्रेमचंद के उपन्यास हैं दहेज प्रथा ,वेश्यावृत्ति ,रिश्वतखोरी ,असहयोग आंदोलन ,किसानों पर भी प्रेमचंद ने अनेक उपन्यास। गोदान प्रेमचंद का ही नहीं अपितु हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है ।उपन्यासकार ने ग्राम जीवन के संदर्भ में जमीदारी प्रथा पर प्रकाश डाला है गोदान का होरी भारतीय किसान का प्रतिनिधि पात्र है उसी के द्वारा प्रेमचंद ने किसानों की स्थिति को दर्शाया है और उपन्यासकार विशंभर नाथ शर्मा ,,जयशंकर प्रसाद वृंदावनलाल वर्मा ,सिया शरण गुप्त आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं मां, करणी इरावती, कंकाल ,तितली, विराटा की पद्मिनी झांसी की रानी मृगनैनी इस समय की और उपन्यास है वर्मा जी ने सामाजिक उपन्यास लिखे हैं जयशंकर प्रसाद जी ने ऐतिहासिक उपन्यास लिखें।
प्रेमचंद्र उत्तर युग-इस युग में हिंदी उपन्यास का अत्यधिक विकसित विकास हुआ इसमें सामाजिक ऐतिहासिक मनोवैज्ञानिक आंचलिक उपन्यास काफी संख्या में लिखे गए आचार्य चतुरसेन शास्त्री इस युग के उल्लेखनीय उपन्यासकार हैं हृदय की प्यास दिल्ली का दलाल बुधवा की बेटी उनके प्रसिद्ध उपन्यास भगवतीचरण वर्मा ने चित्रलेखा उपन्यास लिख कर हिंदी उपन्यास साहित्य को एक नई दिशा प्रदान किए रास्ते भूले बिसरे चित्र सभी रावत राम गोसाई आदि इनके ऐतिहासिक उपन्यास है अब उपन्यासकार व्यक्ति विशेष के बारे में भी रुचि लेने लगे परिणाम स्वरुप मनोविश्लेषणात्मक की परंपरा का श्री गणेश हुआ।जोशी ने सन्यासी प्रेत और छाया ,की रानी निर्वाचित आदि उपन्यास लिखे इसी परंपरा को आगे बढ़ाकर जैनेंद्र कुमार ने भी सुनीता ,सुखदा, त्याग पत्र आदि उपन्यास लिखे इन के बाद में सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन द्वारा रचित शेखर एक जीवनी मनोविश्लेषणात्मक उपन्यास है मार्क्सवादी चिंतन से प्रभावित लेखक यशपाल है।राहुल सांकृत्यायन के नाम गिनाए जा सकते हैं दादा कामरेड ,पार्टी कामरेड ,देशद्रोही, दिव्या यशपाल जी के प्रगतिवादी उपन्यास हैं। जिन पर मार्क्सवाद के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है ।वहीं यशपाल के उपन्यास झूठा सच ,स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात के भारत का वर्णन करता है कहा जाए तो देश विभाजन की कथा इसके अंदर है राहुल जी के उपन्यास योद्धा सिंह, सेनापति, मधुर, स्वप्न, विस्मृत यात्री आदि उल्लेखनीय उपन्यास के अलावा उपेंद्र नाथ अश्क, राघव राय उपन्यासों के नाम गिनाए जा सकते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित बाणभट्ट की आत्मकथा और चा इन चंद्रलेखा ,2 सप्ताह से चंद हसीनों के ,बुधवा की बेटी घंटा ,सरकार तुम्हारी आंखों में आदि उपन्यास पंडित बेचन शर्मा उग्र के हैं इसके बाद आंचलिक उपन्यासों की परंपरा शुरू हुई । इस क्षेत्र में फणीश्वर नाथ रेणु ,नागार्जुन ,राघव उदय शंकर भट्ट अमृतलाल नागर देवेंद्र सत्यार्थी आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं मैला आंचल ,परी कथा आदि रेनू के प्रसिद्ध उपन्यास हैं वरुण के बेटे तथा बाबा बटेश्वर नाथ आदि आंचलिक उपन्यास में आधुनिक युग स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 
हिंदी उपन्यास लेखन में आशातीत वृद्धि हुई इस युग में नई पीढ़ी के उपन्यासकार सामने आए आधुनिक पीढ़ी के उपन्यास कारों में मोहन राकेश राजेंद्र यादव कमलेश्वर धर्मवीर भारती निर्मल वर्मा श्रीकांत श्री राम शुक्ला श्रीमती मन्नू भंडारी लक्ष्मीनारायण लाल आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं अंधेरे बंद कमरे में आधे अधूरे राकेश जी के उल्लेखनीय उपन्यास पढ़े हुए लोग काली आंधी कमलेश्वर के गुनाहों का देवता धर्मवीर भारती का सुप्रसिद्ध उपन्यास है राग दरबारी श्रीलाल शुक्ल आपका बंटी मन्नू भंडारी का
 प्रसिद्ध उपन्यास है हिंदी का वर्तमान उपन्यास साहित्य अनेक दिशाओं में अग्रसर है उपन्यास और कहानी पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं लेकिन कुछ उपन्यासकार अति यथार्थवादी तथा प्रयोग शीलता के नाम पर अश्लील और कामुक उपन्यास लिखने लगे हैं जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहे जा सकते फिर भी हम कह सकते हैं कि उपन्यासों का भविष्य काफी उज्जवल है।