5955758281021487 Hindi sahitya : नरेश मेहता का संक्षिप्त परिचय/ साहित्यिक परिचय/नरेश मेहता

शनिवार, 2 जनवरी 2021

नरेश मेहता का संक्षिप्त परिचय/ साहित्यिक परिचय/नरेश मेहता

नरेश मेहता का साहित्यिक परिचय
b.a. फाइनल ईयर
सेमेस्टर 5
नरेश मेहता का जन्म 15 फरवरी 1922 को मालवा के शाहजहांपुर गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ ।
उनके पिता बिहारी लाल शुक्ल थे ।
मेहता पदवी इन्हें इनके पूर्वजों से मिली थी।
 नरेश जी ढाई साल के ही थे उनकी माता का निधन हो गया उनके  चाचा पंडित शंकर लाल शुक्ला ने इनका पालन पोषण किया।
शैक्षणिक उपलब्धियां
 नरेश मेहता नी इंटर की परीक्षा उज्जैन से पास की।
 इसके बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
 सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की एक प्रमुख नेता रहे।
 इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
 इसके पश्चात देहरादून में सेकंड लेफ्टिनेंट का परीक्षण प्राप्त किया ।
इन्होंने शिक्षा समाप्ति के बाद आकाशवाणी लखनऊ में अपना काम आरंभ किया और फिर अनेक आकाशवाणी केंद्रों पर कार्यरत रहे ।
सन् 1953 में आकाशवाणी से त्यागपत्र देकर पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हो गई।
 इन्होंने साहित्यकार भारतीय श्रमिक और कृति आदि पत्रिकाओं का संपादन किया।
 22 नवंबर 2000 में मेहता जी का निधन हो गया नरेश मेहता कई बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।
नई कविता के प्रमुख हस्ताक्षर थे ।
इन्होंने उपन्यास ,कहानी ,नाटक तथा समीक्षा आदि में अच्छा कार्य किया है ।कवि के साथ-साथ वे अध्ययन शील प्रवृत्ति वाले भाव और गंभीर चिंतक भी रहे हैं ।
डॉक्टर जगदीश गुप्त ने  अनुसार
"नरेश मेहता छायावादी काव्य की अत्यंत प्रतिभावान तथा बांग्ला संस्कार से प्रभावित संवेदनशील रचनाकार के रूप में विख्यात है परंपरा एवंलालित्य काला लिखता पूर्ण किंतु वैचारिक समन्वयक है। "
नरेश मेहता साहित्य में नवीनता तथा प्रयोग की दृष्टि के पक्षपाती रहे हैं।
 वह एक प्रगतिशील लेखक है उनकी रचनाओं पर मार्क्सवादी विचारधारा का गहरा प्रभाव पड़ा है कतिपय आलोचकों ने उन्हें अहंकारी एवं एवं वादी होने का आरोप भी लगाया है ।
पुरस्कार व सम्मान
सन 1974 में मध्यप्रदेश का राजकीय सम्मान 
1983 में सारस्वत सम्मान 
1984 में मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग का शिखर सम्मान 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार 
1990 में उत्तर भारती के उत्तर प्रदेश के भारत भारती सम्मान 1992 में ज्ञानपीठ पुरस्कार
रचनाएं
 काव्यगत विशेषताएं
1.सनातन समस्याओं  का उल्लेख
 श्री नरेश मेहता जी ने समाज में चली आ रही सनातन एवं शाश्वत समस्याओं तथा संदर्भों क कियाा है। उन्होंंने अपनी कविताओं में बौद्धिकता वैैैैैष्णव तथा पर्यावरण एवं सांस्कृतिक विचारों का वर्णणन बड़ी संजीदगीी से किया है।
साधारण मानव के कवि साधारण मानव के कवि नरेश मेहता जी ने मिट्टी से जुड़े मिट्टी के अनेक रूपों को पहचानने वाले कभी माने जाते हैं उन्हें मनुष्य के पुरुषार्थ पर पूरा विश्वास था वे लिखते हैं विश्वास करो यह सबसे बड़ा देवता व है कि तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो और मैं स्वरूप पाती मृतिका 
मानवीय पीड़ा की अनुभूति 
नरेश मेहता जी की कविताओं में सर्वत्र जनसाधारण की समस्याओं मन के विविध रूपों का उनकी पीड़ा का आमजन की समस्याओं का उल्लेख किया गया है पौराणिक विषयों का उद्घाटन नरेश मेहता जी ने अपनी काव्य रचनाओं में पौराणिक विषयों को आधुनिक संदर्भ से जोड़कर व्यक्त किया है उन्होंने रामायण महाभारत के प्रसिद्ध प्रसंग को लेकर काव्य रचना की है ।
रामायण पर आधारित उनके प्रमुख काव्य 
संशय की एक रात में राम रावण के युद्ध का वर्णन है ।
प्रसाद पर्व में सीता वनवास की घटना का वर्णन है ।महाप्रस्थान में पांडवों के हिमालय में जलने की कथा है इस प्रकार नरेश मेहता जी ने पौराणिक प्रसंगों के माध्यम से आज के आधुनिक जीवन की समस्याओं को चित्रित किया है ।

नरेश मेहता जी की कविताओं में प्रकृति का उदास रूप का चित्रण हुआ है ।
जो उनकी समूची संस्कृति को नई क्रांति और संस्कार प्रदान करता है ।
 उसमें उल्लास है, सृजन है ,याद है , निरंतरता जीवंतता है ।उसमें संकोच, तिरस्कार और अस्वीकृत ि नहीं है ।
वह मनुष्य को एक नए मानवीय संस्कार देती हैं ।मनुष्य के भीतर की आसुरी वृत्तियों बदलकर  में बदलती है ।
भाषा शैली 
नरेश मेहता की भाषा सरल सहज और भावानुकूल है ।
उन्होंने नए प्रतीकों , बिम्ब ,उपमाओ का सुंदर समन्वय हुआ है।

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