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गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

महादेवी वर्मा कृत गिल्लू संस्मरण का सार

महादेवी वर्मा कृत्य गिल्लू संस्मरण का सार
गिल्लू महादेवी वर्मा विरचित एक करूणासिक्त संस्मरण है ।

इस संस्मरण में उन्होंने अपने जीव जगत परिवार के एक सदस्य गिल्लू गिलहरी के अपने परिवार में आगमन तथा उसकी समाधि की  संस्मरणात्मक कहानी है।
 संस्मरण का सार इस प्रकार से है ।

लेखिका को अपने बगीचे में लगी सोनजुही में नई पीले कली खिलने पर अनायास ही गिल्लू गिलहरी की यादें आ जाती है 1 दिन सुबह लेखिका ने देखा था कि उसके घर के बरामदे में रखे गमलों पर दो काव्य चोट मार रहे हैं गमलों के बीच एक नन्ही गिलहरी फंसी हुई है जिससे उनको उन्ह अपनी चोट मारकर घायल कर दिया है और अब वह जीव मरणासन्न हालत में गमले से चिपका हुआ है लेखिका को हालांकि बताया गया है कि कबो की चोट से घायल है इस गिलहरी को बचाना मुश्किल है फिर भी लेखिका ने अपनी प्राणी प्रेम के चलते उसे बचाने का उपक्रम किया उसके घाव को साफ करके उसने पेनिसिलिन का मरहम लगाया लेखिका की मेहनत रंग लाई तीसरे दिन वह इतना अच्छा हो गया कि लेखिका की उंगली अपने पंजों से पकड़ने लगा तीन चार मार्च के बाद उसके शरीर के रोए जब बेदार पूछे और चंचल चमकीली आंखें सबको आश्चर्य में डालने लगी लेखिका ने उसका नाम गिल्लू रख दिया फूल रखिए को उसका घर बना दिया गया घर में वह 2 वर्ष तक रहा वह उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए उसके पैर तक आकर फिर से पर्दे पर जाया करता था कभी-कभी ले उसे पकड़कर इसके अलावा भूख लगने पर वह देता था वसंत आया बाहर की गिलहरी आगे खिड़की की जाली के पास आकर जब करने लगी तो लेखिका ने उसे कुछ समय के लिए मुक्त करना आवश्यक समझा उसने जाली की झीलें लगाकर जाली का एक कोना खोल दिया इस रास्ते से गिल्लू बाहर जा सकता था गिल्लू लेखिका के पैर के पास बैठ जाया करता था तथा कभी-कभी पैर से सिर तक और सिर से पैर तक दौड़ने लगा था दिन भर फूलों में छिपकर तो कभी पर्दे की चरणों में या सोनजुही के पत्तों में चिपका देता था। उसकी इच्छा रहती ठीक कि वह लेखिका के खाने की थाली में बैठ जाए लेखिका ने उसे बड़ी मुश्किल से अपनी थाली के पास बैठना सिखाया।
वह लेखिका की थाली से एक-एक चावल सुनकर बड़ी सावधानी से खाता था काजू उसे बहुत प्रिय थे एक बार जब लेखिका को मोटर दुर्घटना मैं हाथ होने के कारण अस्पताल में रहना पड़ा तब पीछे से वह इतना उद्विग्न हुआ कि उसने अपने प्रिय काजू भी नहीं खाए गर्मियों के दिनों में गिल्लू दोपहर के समय बाहर नहीं जाता था मैं ही वह अपने झूले में बैठता था अभी तू लेखिका के पास रखी सुराही पर लेटा रहता था सुखी गिलहरी की जीवन अवधि 2 वर्ष से अधिक नहीं होती है अतः 2 वर्ष के होते ही गिल्लू की अंतिम बेला भी निकट पहुंची थी एक दिन उसने कुछ नहीं खाया मैं बाहर गया रात को लिखेगा के पास आकर उसके हाथ से चिपक गया लेखिका ने उसके पंजों को ठंडा देखकर जलाया तथा उसे क्षमता देने का प्रयास किया परंतु अगले दिन सुबह की प्रथम किरण के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया लेखिका नहीं उसे सोनजुही की लता के नीचे दिल की समाधि दी संवत है इसी कारण लेखिका को सोनजुही की लता अत्यंत प्रिय है।
गिल्लू संस्मरण के मुख्य बातें

1.लेखिका महादेवी वर्मा ने गिल्लू सोनजूही  बेल के अनन्य संबंध तथा दोनों के प्रति अपने आकर्षण को व्यक्त किया है।

2.महादेवी जी ने स्पष्ट किया है कि कौवा एक ऐसा पक्षी है जो मनुष्य को शुभ संदेश देता है और आपने कटु आवाज के कारण मनुष्य की अवमानना भी सहन करता है।

3.महादेवी वर्मा जी ने गिल्लू संस्करण में बताया है कि मनुष्य का किसी प्राणी के प्रति प्रेम उसे मनुष्य के प्रति समर्पित कर देता है।

4.गिल्लू गिलहरी की समझदारी पर तथा उसकी दैनिक दिनचर्या पर इस संस्मरण में प्रकाश डाला गया है।

5.लेखिका में जिलों की भोजन संबंधी आदतों का उल्लेख किया है और बताया है कि गिल्लू को काजू बहुत अच्छे लगते थे।
6. संस्मरण के अंत में गिल्लू के मरने के लिए पूर्व की पीड़ा दाई स्थिति का बड़ा मार्मिक चित्रण किया गया है।

7. लेखिका ने गिल्लू गिलहरी की अंतिम क्रिया का वर्णन किया है तथा सोनजुही की बेल के नीचे उसकी समाधि बनाना अद्भुत ,अपूर्व वर्णन है।

8.जहां  भाषा शैली की बात करें तो महादेवी वर्मा ने अपने संस्मरण ो में शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का वर्णन किया है ।
9.उनकी भाषा भावा अनुकूल, पात्रा अनुकूल तथा धारापवाह है।
10. उनकी भाषा में तत्सम, तद्भव शब्दों की अधिकता अवश्य नजर आती हैं वाक्य विन्यास कुछ जटिल है परंतु सहजऔर रोचक है ।

11.उनके संस्मरण में प्रसाद व माधुरी गुण की अधिकता है।
स्पर्श ,नाथ , दृश्य जैसे  बिंबों का प्रयोग करती हैं।
12. उनका यह संस्मरण भावात्मक है।

13.शब्द शक्ति की अगर बात करें तो इसमें अभिधा शब्द शक्ति का प्रयोग हुआ है ।

14.गिल्लू संस्मरण का वर्ण विषय एक प्राणी प्रेम से है ।

15.इसकी शैली वर्णनात्मक शैली है शब्द भंडार बहुत व्यापक है ।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गिल्लू संस्मरण की भाषा से सकते कार्यात्मक तथा धारापवाह है।


महादेवी वर्मा के संस्मरण में विषय जैसी विविधता दिखाई देती है जो अन्यत्र दुर्लभ है उन्होंने अपने संस्कारों में मानवीय पात्रों को ही नहीं मान वेतन प्राणियों को भी अभीष्ट अस्थान दिया है उन्होंने अपने संपर्क में आए दिन ही ऐसा ही व्यक्तियों के तरीके प्राय अपने जी परिवार के हर सदस्य चाहे वह सोना हिरनी हो नीलकंठ मोर हो गौरा गाय हो नीलू कुत्ता हो या गिल्लू गिलहरी हो हर प्राणी के जीवन का संसदात्मक उल्लेख किया है उनके संस्मरण संकेतों पर भी खरे उतरे हैं वास्तव में महादेवी जी ने संस्मरण साहित्य में अपूर्व योगदान दिया है उनके प्रवर्तक योगदान के लिए चिर ऋणी रहेंगे।

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

विज्ञापन और सामाजिक दायित्व पर निबंध, विज्ञापन लेखन

विज्ञापन और सामाजिक दायित्व
विज्ञापन लेखन कला
विज्ञापन की भूमिका
विज्ञापन लाभ व हानियां
विज्ञापन कितने सही या गलत
प्रस्तावना विज्ञापन की भूमिका वहां आवश्यक हो रही है जहां बाजार है तथा प्रतिस्पर्धा है विज्ञापन सक्रिय प्रतियोगिता का प्रत्यक्ष प्रतीक है इसके फलस्वरूप एक ग्राहक संतुष्ट हो जाता है विज्ञापन अवश्य रूप से ग्राहकों को वस्तुओं के उत्पादन व उसकी कीमत के संबंध में सूचित करता है।
विज्ञापन का उद्देश्य
विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य समाज में नए-नए उत्पादों का प्रचार करना है। समाज विज्ञापन के मौखिक संकेतों पर जीवित रहता है जिसके अंतर्गत सदस्यों के व्यवहार सक्रियता आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है विज्ञापन करता को बढ़-चढ़कर विज्ञापन करने के साथ-साथ उत्पादन में शुद्धता गुणवत्ता व श्रेष्ठता आदि गुणों का विशेष रूप से समावेश करना चाहिए उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन में अश्लीलता को बढ़ावा दिया जाता है महिलाओं का अधिक शोषण भी विज्ञापनों की दुनिया में होता है वर्णों से भी उपभोक्ता को नुकसान पहुंचाते हैं लाभ व हानियां विज्ञापन की पहुंच गए प्रभाव चौंकाने वाले हैं क्योंकि यह कीड़े मकोड़े की तरह आज प्रत्येक घर हरे के हृदय में स्थान बना चुका है इस दौर में उत्पादों को बेचना इंटरनेट वेब माध्यमों के विज्ञापन द्वारा बहुत ही शुभ हो चुका है दिक्कत इस बात की है कि विज्ञान के युग में मौलिकता की जगह सिद्धांत सिद्धांत हीनता लेने जा रही हैं।

 इस प्रकार विज्ञापन आधुनिक जीवन का एक अवश्य अंग बन चुका है विज्ञापन को मानव सेवा के आधार पर सीमित रहना चाहिए उसे अपने जादुई शब्दों में कल्पना का दुरुपयोग ना करते हुए प्रबंध कौशल को विकसित करना चाहिए ताकि उपभोक्ता स्वयं को ठगा सा महसूस ना करें। वीवी का अर्थ होता है विशेष ज्ञा का अर्थ होता ज्ञापन है या नहीं जानकारी देना किसी के बारे में विशेष रूप से जानकारी देने वाला विज्ञापन को देखकर उनसे प्रभावित होकर लोग उस वस्तु को खरीदते हैं इससे उस वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि होती है और उत्पादन करता को लाभ होता है टीवी चैनल समाचार पत्र पत्रिकाएं बोर्ड आदि हर जगह विज्ञापन छाई रहती है विज्ञापन के द्वारा ग्राहक यह जान पाता है कि उस वस्तु में क्या गुण है।

रविवार, 26 अप्रैल 2020

कैसे बनती है कविता?

कैसे बनती है कविता?
'कविता कोने में घात लगाए बैठी है यह हमारे जीवन की भीषण बसंत की तरह आ जाती है ।'
अर्जेंटीना के एक स्पेनिश लेखक की कोटेशन
कविता हमारी संवेदनाओं के निकट होती है वह हमारे मन को छू लेती है कभी-कभी जब जोर देती है कविता के मूल में संवेदना है राम तत्व है यह संवेदना संपूर्ण सृष्टि से जुड़ने और उसे अपना बना लेने का बोध है।
सवाल यह उठता है कि जो वस्तु हमारे इतने निकट है उसे हम उसी तरह क्यों नहीं कर पाते हैं जैसे कभी कहता है जहां तक कविता लेखन का सवाल है इस संबंध में दो मत मिलते हैं एक तो यह कि कविता रचने की कोई प्रणाली सिखाई नहीं क्या बताए नहीं जा सकती लेकिन यह भी सच्चाई है कि पश्चिम के कुछ विश्वविद्यालयों में और अब आपने यहां भी कहीं-कहीं लेखन के बारे में विद्यार्थियों को बकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है। दो सवाल यह भी है कि चित्रकला संगीत कला नृत्य कला भी सिखाई जा सकती है तो क्यों नहीं जा सकती आप इन सवालों का सामना करेंगे आज लगेगा यह संसार है कविता का जादू खुल नहीं लगेगा न बन पाए तो एक अच्छे बन जाओगे कविता की बारीकियों से गुजर ना उसे दोबारा रचे जाने के लिए सुख से कम नहीं होगा दरअसल एक अच्छी कविता अंतरित करती है बार-बार पढ़े जाने के लिए कुछ शिक्षा शास्त्रीय संगीत की तरह जब तक आप इससे दूर हैं रहस्य में लगी कि करीब जाते ही बार-बार तथा देर तक सुनने की कोई भी चाहिए कविता आपसे सवाल करती है सुनने और पढ़ने के बाद भी वह बची रह जाती है आप की स्मृतियों में बार बार सोचने के लिए ।
कविता की अंजाम दुनिया का सबसे पहला उपकरण है शब्द शब्द से मेलजोल कविता की पहली शर्त है शब्दों से खेलना उनसे मिलजुल बढ़ाना शब्दों के भीतर सदियों से छिपे अर्थ की परतों को खोल एक शब्द अपने भीतर कई अर्थ छिपाए रहता है कुछ-कुछ इंटरनेट की तरह इंटरनेट से जुड़ना ज्ञान विज्ञान की नई दुनिया से जुड़ना है शब्दों से जुड़ना कविता की दुनिया में प्रवेश करना है के प्रयास में भी धीरे-धीर उसकी रचनात्मकता का आकार लेना शुरू कर देती है।
कविता में सारे घटक परिवेश और संदर्भ से परिचालित होते हैं कविता की भाषा संरचना भीमबंध सब उसी के इर्द-गिर्द घूमते हैं
कविता के कुछ प्रमुख घटक
कविता भाषा में होती है इसलिए भाषा का समय का ज्ञान होना जरूरी है भाषा शब्द से बनती है शब्दों का एक विन्यास होता है जिसे वाक्य कहते हैं भाषा प्रचलित एवं सहज हो पर संजना ऐसी कि पाठकों को नहीं लगे कविता में संकेतों का बड़ा महत्व होता है इसलिए संकेतक चिन्हों जहां तक की 2 पंक्तियों के बीच का खाली स्थान भी कुछ ऐसा कह रहा होता है वाक्य का गठन की जो विशिष्ट प्रणाली होती है उसे शैली कहते हैं इसलिए विभिन्न काव्य शैलियों का ज्ञान भी जरूरी है
संतो के अनुशासन की जानकारी से होकर गुजरना एक कवि के लिए जरूरी है तभी आंतरिक ले का निर्माण संभव है कविता चंद और उन्मुक्त चंद दोनों से होती है संभवत कविता के लिए चंद के बारे में बुनियादी जानकारी आवश्यक है मुक्तक छंद में लिखने के लिए इसका ज्ञान जरूरी नहीं है कविता समय विशेष की उपज होती है उसका स्वरूप समय के साथ साथ बदलता रहता है अतः किसी समय विशेष की जानकारी भी कविता की दुनिया में प्रवेश के लिए आवश्यक है कम से कम शब्दों में अपनी बात कह देना और कभी-कभी तो सब दो या दो वाक्यों के बीच कुछ कही अनकही छोड़ देना सविता की ताकत है।
मोटे तौर पर यह बुनियादी जानकारी कविता की दुनिया में प्रवेश के लिए जरूरी है पर सौ बातों की एक बात कि सारे तैयारी हो और कविता रचने के लिए चीजों को देखने की नवीन दृष्टि या नए को पहचानने और उसको प्रस्तुत करने की कला ना हो तो काव्य लेखन संभव नहीं है भारतीय विचार को ने इसी को प्रतिभा कहां है यह प्रतिभा प्रकृति प्रदत होती है। किसी नियम या सिद्धांत के अनुसार इसे पैदा नहीं किया जा सकता निरंतर अभ्यास ले और परिश्रम के द्वारा विकसित अवश्य किया जा सकता है जहां तक की कविता का सवाल है शब्दों का चयन इसका गठन बाबा अनुसार ले आत्म अनुशासन से तत्व है जो जीवन के अनुशासन के लिए जरूरी हैं भाषा सीखने में मैं तो मददगार हैं कविता की यह कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो कविता रचना भले ही न सिखाएं लेकिन उन्हें जानने जाने ना कविता को रचने का मजा दे सकता है और कविता को सर आने का सुख भी सच में शब्दों की दुनिया में प्रवेश उनसे खेलना विद्यार्थी की रचनात्मक शक्ति और ऊर्जा को बाहर लाने में अद्भुत भूमिका निभा सकते हैं
एक जनता का
दुख एक
 हवा उड़ती पताकाए 
अनेक
दैत्य दानव
 करोड़ से कंगाल बुद्धि
 मजदूर एक जनता का 
अमर एकता का स्वर्ग।।

कैसे हासिल करें पत्रकारिता में महारत

कैसे हासिल करे पत्रकारिता में माहारत


**पत्रकारीय विशेषज्ञता का अर्थ यह है कि व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षित ना होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव के आधार पर अपनी समझ को इस हद तक विकसित करना की उस विषय क्षेत्र घटने वाली घटनाओं और मुद्दों की आप सहायता से व्याख्या कर सके और पाठकों के लिए उसके मायने स्पष्ट कर सके।


क्या आप माहारत हासिल करना चाहते हैं ?

सवाल यह उठता है कि आप किसी भी विषय में विशेषज्ञता कैसे हासिल कर सकते हैं ?
इस सिलसिले में सबसे जरूरी बात यह है कि आप जिस भी विषय में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं?
एक ही प्रश्न का दो बार पूछे जाना मेरा उद्देश्य यही है सच में आप क्या यह करना चाहते हैं आपकी दिली इच्छा है।

 उसमें आप की वास्तविक रुचि होनी चाहिए इसके साथ ही अगर आप उस विषय में विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप उत्तर माध्यमिक और स्नातक स्तर पर उसी या उससे जुड़े विषय में पढ़ाई करें।

 इसके अलावा अपनी रुचि के विषय में पत्र कार्य विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा उस विषय से संबंधित पुस्तकें खूब पढ़नी चाहिए ।

विशेष लेखन के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के लिए खुद को अपडेट विषय से जुड़ी खबरों की कटिंग करके फाइल बनानी चाहिए ।

साथ ही प्रोफेशनल विशेषज्ञों के लेख व विश्लेषण की कटिंग भी  रखनी चाहिए।
 इस तरह से आपको उस विषय में जितनी संभव हो संदर्भ सामग्री जुटाकर रखनी चाहिए। 

इसके अलावा उस विषय का शब्दकोश और इनसाइक्लोपीडिया भी आपके पास होनी चाहिए ।

यही नहीं जिस विषय में आप विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं उससे जुड़े सरकारी और गैर सरकारी संगठनों और संस्थाओं की सूची उनकी वेबसाइट का पता, टेलिफोन नंबर उनमें काम करने वाले विशेषज्ञों के नाम और फोन नंबर अपनी डायरी में जरूर लिखिए‌

 दरअसल एक पत्रकार की विषय विशेषज्ञ था कुछ हद तक उसके अपने सूत्रों और स्त्रोतों पर निर्भर करती है‌।

 जैसे अगर आप आर्थिक विषयों पर विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं और आपके पास परिचित अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों के नाम और फोन नंबर है तो आप उनसे बातचीत करके किसी घटना फैसले या नीति के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं या उसका विद्यार्थी जानने की कोशिश कर सकते हैं।

 इसी तरह आप अपनी रूचि के क्षेत्र या विषय में मैं विशेष विशेषज्ञता विकसित कर सकते हैं लेकिन एक आवश्यक बात याद रखनी चाहिए कि विशेषज्ञता 1 दिन में नहीं आती विशेषज्ञता एक तरह से अनुभव का पर्याय है उस विषय में निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता ही आपको किसी विषय का विशेषज्ञ बना सकते हैं और यह पत्रकारिता का पहला नियम है।
उदाहरण जैसे आप कारोबार और व्यापार पर पत्रकारिता करना चाहते हैं तो कुछ बातें ध्यान रखिए समाचार पत्र में कारोबार और अर्थ जगत से जुड़ी खबरों का एक अलग से प्रश्न आता है उसको प्रतिदिन पढ़िए मूल्यांकन कीजिए कि इस समाचार को लिखने का क्या आधार रहा है।

इसकी वजह यह है कि अर्थ यानी धन हर आदमी के जीवन का मूल आधार है हमारे रोजमर्रा के जीवन में इसका खास महत्व है हम बाजार से कुछ खरीदते हैं बैंक में पैसा जमा कराते हैं बचत करते हैं किसी कारोबार के बारे में योजना बनाते हैं या कुछ भी ऐसा सोचते या करते हैं जिसमें आर्थिक फायदे नफा नुकसान आदि की बात होती है तो इसका इन सब का कारोबार और अर्थ यही कारण है कि कारोबार और व्यापार जगत से जुड़ी खबरें, सोने चांदी के भाव
दो अखबारोमैं कारोबार और अर्थ जगत के पृष्ठों को ध्यान से पढ़िए उन्हें प्रकाशित खबरों की एक सूची बनाइए उन खबरों की भाषा में इस्तेमाल शब्दों की भी एक सूची बनाइए ।


आर्थिक विषयों पर प्रकाशित टिप्पणियां और विश्लेषण ओं को ध्यान से पढ़िए इन सब के आधार पर 200 शब्दों की एक रिपोर्ट तैयार कीजिए और बताइए कि आर्थिक विषयों पर लेखन अन्य प्रकार की पत्रकारिता लेखन से किस प्रकार से अलग है किसी एक समाचार पत्र में प्रकाशित होने वाली मंडे के भाव पर आधारित 1 सप्ताह की खबरें और उसका विश्लेषण इकट्ठा कीजिए उसे ध्यान से पढ़िए और बताइए कि क्या वह एक सामान्य पाठक की समझ में आ सकती है?


शनिवार, 25 अप्रैल 2020

अच्छे पत्रकारीय लेखन में ध्यान देने योग्य बातें

अच्छे पत्रकारीय लेखन में ध्यान देने योग्य बातें
1.वाक्य छोटे, संक्षिप्त व अर्थवान होने  चाहिए।
2.बोलचाल के शब्दों का प्रयोग तथा वास्तविक अर्थ वाले हो।
3.अच्छा लेख लिखने के लिए पढ़ना भी जरूरी है।
4.जाने -माने लेखकों को ध्यान से पढ़िए तथा उनकी शैली पर ध्यान दीजिए।
5. लेखन में कसावट का होना जरूरी है।
6. आपने लेख को हमेशा दोबारा पढ़े।
7. अशुद्धियां तथा गैर जरूरी चीजों को हटाने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए।
8. लिखते समय अपने उद्देश्य को को ध्यान देते हुए अपनी भावनाओं विचारों तथा तथ्यों को व्यक्त करना चाहिए दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाना वह भ्रमित नहीं करना चाहिए।
9. मुहावरे और लोकोक्तिया से
भाषा को रोचक बनाना चाहिए।
10. अपने आसपास की घटना समाज और वातावरण पर पैनी दृष्टि रखें ।
11.उसी पर लेख के बिंदु निकाले
12. किसी भी विषय पर बारीकी से विचार कर धैर्य से लिखें ।
13.शीर्षक सोच -समझकर ,समाचार का दर्पण होना चाहिए ।
14.लेख संक्षिप्त व सारगर्भित होने चाहिए।

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

फीचर लेखन व आलेख लेखन में अंतर

फीचर लेखन व आलेख लेखन में अंतर
फीचर का स्वरूप
समकालीन घटनाओं या किसी भी क्षेत्र विशेष की विशिष्ट जानकारी के साथ चित्र तथा मोहक विवरण को फीचर कहा जाता है।
** इसमें मनोरंजक ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत किया जाता है ।**इनके संवादों में गहराई होती है।
** यह सुव्यवस्थित ,सर्जनात्मक वआत्म निष्ठ लेखन है ।
**जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने शिक्षित करने के साथ-साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना भी होता है ।**फीचर में विस्तार की अपेक्षा होती है जिसकी अपनी एक अलग शैली होती है।
** एक विषय पर लिखा गया फीचर प्रस्तुति विविधता के कारण अलग अंदाज प्रस्तुत करता है।
** इसमें भूत वर्तमान तथा भविष्य का समावेश हो सकता है **कथन व कल्पना का उपयोग किया जा सकता है।
** फीचर में आंकड़े ,फोटो ,कार्टून, चार्ट, नक्शे आदि का उपयोग कर इसे रोचक बना दिया जाता है।
 फीचर ,आलेख में अंतर 
1.फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएं जाहिर करने का अवसर होता है जबकि समाचार या आलेख मैं वस्तुनिष्ठता और तथ्यों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है।
2.फीचर लेखन में उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग नहीं होता है जबकि आलेख शैली में इसी का प्रयोग होता है।
3.इसकी शैली कथात्मक होती है जबकि आले की शैली तथ्यात्मक होती है।
4.फीचर लेखन की भाषा सरल रूप आत्मक व आकर्षक होती है परंतु समाज समाचार वाले की भाषा में सपाट बयानी होती है।
5.फीचर में शब्दों की अधिकतम सीमा नहीं होती यह आमतौर पर ढाई सौ शब्दों से लेकर 500 शब्दों तक होते हैं जबकि आलेख पर शब्द सीमा लागू होती है।
6.फीचर का विषय कुछ भी हो सकता है लेकिन आलेख का विषय कुछ भी नहीं हो सकता।

फीचर के प्रकार

फीचर के निम्नलिखित प्रकार हैं

*समाचार फीचर 
*घटना फीचर 
*व्यक्तिगत फीचर 
*लोक अभिरुचि फीचर 
*सांस्कृतिक फीचर
* साहित्यिक फीचर 
*विश्लेषण 
*विज्ञान ।
*सुविचार
फीचर संबंधी मुख्य बातें

1.फीचर को सजीव बनाने के लिए उसमें उस विषय से जुड़े लोगों की मौजूदगी जरूरी है।
2फीचर की कथ्य को पात्रों के माध्यम से बतलाना चाहिए।
3.कहानी को बताने का अंदाज ऐसा हो कि पाठक यह       महसूस करें कि वे खुद देख और सुन रहे हैं।
4.फीचर मनोरंजक व सूचनात्मक होने चाहिए
5.फीचर शोध रिपोर्ट नहीं है
6.इसे किसी बैठक या सभा की कार्यवाही विवरण की तरह      नहीं लिखा जाना चाहिए
7.फीचर का कोई न कोई उद्देश्य होना चाहिए इस उद्देश्य के     इर्द-गिर्द ही सभी प्रासंगिक सूचनाएं तथ्य तथा विचारों से      होने चाहिए
8.फीचर तथ्यों सूचनाओं और विचारों पर आधारित कथा त्मक विवरण और विश्लेषण होता है।
9.फीचर लेखन का कोई निश्चित ठांचा या फार्मूला नहीं     होता   इसे कहीं से भी आरंभ मध्य या अंत से शुरू किया   जा सकता है।
10.फीचर का हर पैराग्राफ अपने पहले के पैराग्राफ से सहज तरीके से जुड़ा होना चाहिए तथा उनमें प्रारंभ से अंत तक प्रभावित रहनी चाहिए।
11.पैराग्राफ छोटे होने चाहिए तथा एक पैराग्राफ में एक ही     पहलू पर फोकस करना चाहिए
कुछ प्रमुख उदाहरण

1.सफलता व आत्मसम्मान विषय पर फीचर लिखिए
2.दक्षिण का कश्मीर तिरुअनंतपुरम
3.बस्ते का बढ़ता बोझ
4.महानगर की ओर पलायन की समस्या
5.फुटपाथ पर सोते लोग
6.आतंकवाद की समस्या
7.आतंकवाद का घिनौना चेहरा
8.चुनावी वायदे
9.बिना प्यास के भी पीने पानी
10.अच्छे काम पर बच्चों को करें अप्रिशिएट

आलेख लेखन

**किसी एक विषय पर विचार प्रधान ,गद्य प्रधान अभिव्यक्ति को आलेख कहा जाता है ।
**यह एक प्रकार के लोग होते हैं जो अधिकतर संपादकीय पृष्ठ पर ही प्रकाशित होते हैं इनका संपादकीय से कोई संबंध नहीं होता है 
**यह लेख किसी भी क्षेत्र से संबंधित हो सकते हैं जैसे खेल समाज राजनीति अर्थ फिल्म आदि इनमें सूचनाओं का होना अनिवार्य है
आलेख के मुख्य अंग

आलेख के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं
*भूमिका 
*विषय का प्रतिपादन
*तुलनात्मक चर्चा 
*निष्कर्ष

**सर्वप्रथम शीर्षक के अनुकूल भूमिका लिखी जाती है ।
**यह बहुत लंबी ना होकर संसद में होनी चाहिए विषय के प्रतिपादन में विषय का वर्गीकरण, आकार ,रूप व क्षेत्र आते हैं ।
**इनमें विषय का क्रमिक विकास ने किया जाना चाहिए ।**विषय में महता व क्रमता अवश्य होनी चाहिए 
***तुलनात्मक चर्चा में विषय वस्तु का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाता है। 
**अंत में विषय का निष्कर्ष प्रस्तुत किया जाता है।

आलेख रचना के संबंध में प्रमुख बातें
1. लेखक लेख लिखने से पूर्व विषय का चिंतन मनन करक विषय वस्तु का विश्लेषण करना चाहिए।

 2.विषय वस्तु से संबंधित आंकड़ों के उदाहरणों का उपयुक्त संग्रह करना चाहिए लेख में श्रंखला पता होना जरूरी है।
3. लेख की भाषा सरल और रोचक होनी चाहिए।
4. वाक्य बहुत बड़े नहीं होने चाहिए।
 5.एक परिच्छेद में एक ही भाव व्यक्त करना चाहिए।
6. लेख की प्रस्तावना व समापन में रोचकता होनी जरूरी है 7.विरोधाभास ,दोहरापन, असंतुलन तत्वों किए समावेश आदि से बचना चाहिए 
उदाहरण 
*असम में उल्फा 
*कॉमन वेल्थ गेम 
*बढ़ती आबादी देश की बर्बादी 
*बचपन की पढ़ाई सीकर की चढ़ाई 
*एक अच्छा स्कूल 
*भारतीय कृषि की चुनौतियां
 *किसानों पर कर्ज का बोझ
 *महानगरों में बढ़ते अपराध 
*बाल श्रम 
*जातीयता का विषय
 *मेरे विद्यालय का पुस्तकालय
 *मोबाइल के सुख-दुख
*डॉक्टरों की हड़ताल
 *छात्र और बिजली संकट
 *फिल्मों में हिंसा।
 *कर्ज में डूबा किसान 
*दिन प्रतिदिन बढ़ते अंधविश्वास 
*पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें

भारतीय स्टेट बैंक मुंबई के महाप्रबंधक को लिपिक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए।

भारतीय स्टेट बैंक मुंबई के महाप्रबंधक को लिपिक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए
प्रति
महाप्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
मुंबई
विषय- लिपिक पद हेतु आवेदन पत्र
मान्यवर
दिनांक 24 मई ,2020 महाराष्ट्र टाइम्स प्रकाशित विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि आप के कार्यालय में लिपिकों की आवश्यकता है मैं स्वयं को इस पद के योग्य मानकर आवेदन प्रस्तुत कर रही हूं। मेरा संक्षिप्त व्यक्तिगत विवरण निम्नलिखित है।
नाम -सुमन शर्मा
पिता का नाम -श्री विजय कुमार
जन्म तिथि -14 दिसंबर, 1987
पता -4/ 75 गोकलपुरी, दिल्ली

शैक्षणिक योग्यताएं


दसवीं  कक्षा- सीबीएसई दिल्ली।   2002     65 %
बारहवीं कक्षा -सीबीएसई दिल्ली  2004      72 %
B.A. -*दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली 2007.  65 %
M.A. दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली   2009    62 %
कंप्यूटर कोर्स वी वर्षीय पाठ्यक्रम (एप्टेक कंप्यूटर लर्निंग सेंटर ),2011
अनुभव -सहारा कोपरेटिव बैंक में क्लर्क के पद पर 3 साल
आशा है कि आप मेरी योग्यताओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर सेवा का अवसर प्रदान करेंगे,। 
 धन्यवाद 
भवदीया
सुमन शर्मा 
हस्ताक्षर ----------
 दिनांक-----------
संलग्न   -शैक्षणिक एवं अनुभव प्रमाण पत्र की                         छायाप्रति