5955758281021487 Hindi sahitya : Mirabai sambandhit prashnon ke Uttar/मीराबाई संबंधित प्रश्नों के उत्तर

सोमवार, 20 जुलाई 2020

Mirabai sambandhit prashnon ke Uttar/मीराबाई संबंधित प्रश्नों के उत्तर

1. 
1.मीरा का जन्म कब हुआ?
मीरा का जन्म 1498 में कुडकी मारवाड़ राजस्थान में हुआ।

2.मीरा की मृत्यु कब हुई
मीरा की मृत्यु 1540 में वृंदावन में हुई।

3.मीरा के इष्ट देव कौन थे?
मीरा के इष्ट देव श्री कृष्ण थे।

4.
मीराबाई को श्री कृष्ण का कौन सा रूप भाता था?
मीराबाई को श्री कृष्ण का पति रूप भाता था।

5.श्याम चाकरी क्यों करना चाहती थी वह श्री कृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या करती थी?
श्याम को रिझाने के लिए वह शाम की चाकरी अर्थात नौकरी करना चाहती थी वह पूरा समय शाम चरणों में ही बिता देने के कारण उसकी नौकरी करने के लिए तैयार थी। श्री कृष्ण को रिझाने के लिए वह उन्हें जोगिया ,रमैया ,हरि ,अविनाशी गिरधर ,गोपाल ,दीनानाथ ,यम उदाहरण ,पतित पावन, नंद नंदन ,बलवीर ,गिरधारी गिरधारी, ठाकुर ,प्रतिपाला ,प्रेम प्रिया रानी, पूर्व जन्म रो साथी आदि शब्दों से उन्हें विभूषत करती थी।
।जैसे एक विवाहिता स्त्री अपने पति की सेवा के लिए पूरा दिन कार्य करती रहती है उसी प्रकार मीराबाई बिहार एक वह कार्य करती थी।

6.मीराबाई का बचपन किस प्रकार बीता था?
मीराबाई का बचपन राजसी ठाठ बाट से बीता था।

7.कई बार प्रश्न पूछा जाता है क्या मीराबाई राशि परिवार से थी।
उत्तर हां ,मीराबाई एक राजसी परिवार से थी उनके पिता राठौर सिंह महार महाराज थे राठौर रतन सिंह। कई रियास   तो के महाराज थे।
8.मीराबाई के अनुसार कृष्ण वृंदावन में क्या-क्या करती थी?
मीराबाई के अनुसार कृष्ण वृंदावन में गोपियों को रीझते थे , गो को चरते थे। गोवर्धन पर्वत की होली पर उठाकर ग्राम वासियों की रक्षा करते थे। अपनी बांसुरी बजा कर सभी को मंत्रमुग्ध कर देते थे।

9.पदों की कवियत्री का नाम बताइए
  पद की कवयित्री मीराबाई जी

10.मीराबाई अपना सर्वस्व किसे मानती थी
 मीराबाई श्री कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती थी।

11.मीराबाई  किस काल की कवयित्री मानी जाती हैं?
   मीराबाई भक्ति कालीन कवयित्री मानी जाती हैं।    

12.मीराबाई कृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं?
  मीराबाई कृष्ण से अपने उद्धार करने की प्रार्थना करती हैं     ताकि उस से मुक्ति मिल सके तथा दर्शन की अभिलाषा        वह रखती है।

13.मीराबाई की से देखकर प्रसन्न होती हैं तथा किसे देख       कर रो पड़ती है?
मीरा बाई प्रभु भगत को देखकर प्रसन्न होती हैं और जगत को देख कर रो उठती हैं।

14.मीरा का हृदय सदैव दुख से भरा क्यों रहता है?
  मीरा का ह्रदय दुख से सदैव इसलिए भरा रहता है क्योंकि   वह मोहमाया में लिप्त प्राणियों की दशा को देखकर सोच   विचार में पड़ जाती हैं तथा अंदर ही अंदर घुलती रहती हैं।


15.लोक लाज होने से क्या अभिप्राय है?
विवाहिता होने के बावजूद श्री कृष्ण को अपना पति मान कर उसके सामने नाचना परिवार की मर्यादा के विरुद्ध है संसार से दूर से एक स्त्री द्वारा संतो के पास बैठकर सत्संग करना भी उस समय के समाज में मान्य नहीं था इसी कारण उनके संबंधी और समाज के लोगों का मानना था कि मीरा ने लोक लाज को खो दिया है।

16.मीरा ने सहज मिले अविनाशी क्यों कहा है?
मीरा का मानना है कि जो समाज से भी ना डरे समाज के द्वारा दी गई यात्राओं का निडरता से सामना करते हुए भगवान के प्रति अनन्य प्रेम करते हैं वह अविनाशी प्रभु उन्हें अपने भक्तों को बड़ी सरलता से ही प्राप्त हो जाते हैं कृष्ण के प्रेम से प्रसन्न होकर सहजता व आसानी से प्राप्त हो गए हैं।

17.लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?
लोग मीरा को बावरी इसलिए कहते हैं कि मीरा कृष्ण के प्रेम में रम कर पूरी तरह से कृष्णमयी हो गई है।विवाहिता होते हुए भी वह पांव में घुंघरू बांधकर कृष्ण के समक्ष नाचती है मीरा कृष्ण को पति रूप में स्वीकार करती है मीरा को अपने कुल की मर्यादा और लोगों की कोई परवाह नहीं है वह लोक लाज की चिंता छोड़कर संतो के पास बैठी रहती है इसी कारण लोग मीरा को बावरी कहती हैं।

18.विष का प्याला राणा भेजा, पीवत मीरा हंासी  इसमें क्या व्यंग्य छिपा हुआ है?
मीरा के कृष्ण के प्रति प्रेम को देखकर मीरा के पति राजा भोज द्वारा भी अनेक यातनाएं की गई राजा भोज के मरने के बाद भी उनके देवर ने विष का प्याला भेजा मीरा तो कृष्ण के प्रेम में लीन होकर निर्भय हो गई उसने हंसते-हंसते राणा द्वारा भेजा गया विष का प्याला पी लिया मेरा कि इसी में निहित व्यंग्य यह है कि संसार की मोह माया से ग्रसित स्वार्थी लोग कृष्ण प्रेम को नहीं जानते हैं वे मानते हैं कि शरीर की मृत्यु से अमर प्रेम समाप्त हो जाएगा जबकि वह अविनाशी कृष्ण तो निडर रहकर प्रेम करने वालों की रक्षा करते हैं तथा उन्हें सहज ही प्राप्त हो जाते हैं उनकी कृपा से अमृत में बदल जाता है।


हिंदी साहित्य में मीरा पर लिखी गई पुस्तकें

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