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मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

सफलता के लिए पते की बात

सफलता पाने के लिए पते की बातें
सफलता के आधुनिक संदर्भ में मूल्य मंत्र
सफलता मिलने की कुछ कसोटिया है-
मानसिक शांति
आंतरिक आनंद
आर्थिक आत्मनिर्भरता
पारिवारिक खुशी
सामाजिक स्वीकृति
भविष्य की निश्चितता
आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स किस प्रकार से हैं


1. अपने मन में जमीन अपने प्रति नकारात्मक बातों को मिटाकर अपने गुजारना व्यक्ति का अपने जीवन के प्रति पहला कर्तव्य है जब तक आत्मविश्वास और आप इच्छा की कमी है तब तक वह अपने को नहीं जान सकता।
2. सफलता के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है क्योंकि ऐसी सोच मनुष्य को स्वाभिमानी स्वपन दृष्टा प्रतिबद्ध व्यवहारिक और रचनात्मक बनाती है सकारात्मक सोच के लिए चाहिए अच्छी स्मृतियां जानकारी मानसिक शांति आसपास की स्वच्छता अहम क्रोध और लालच से छुटकारा फोर्स लक्ष्य
3.युग के परिवर्तन को देखते हुए जो अपने कार्य के लिए दूसरों से कुछ अलग और नया रास्ता चुनते हैं और नवाचार अपनाते हैं वही आदर्श बनते हैं दिमाग की खिड़कियां खुली रखें लचीले बने ,मतांधता से बचे। चेहरे के हाव-भाव बातचीत अर्थात दूसरों के दिल तक अपनी बात पहुंचाने की संप्रेक्षण दक्षता पहनावे चार धाम और सोच ले नवीनता रखने वाले और दिलचस्प ढंग से काम करने वाले ज्यादा आगे बढ़ते हैं सफलता के लिए अपने व्यक्तित्व को अधिकाधिक श्रेष्ठ और प्रभावशाली बनाने की जरूरत होती है।
4.मन में आनंद और चेहरे पर प्रसन्नता से बड़ा होना सफलता की तरफ बढ़ते कदमों की पहचान है कष्टों और बाधाओं के बीच प्रश्न रहने से अधिक बाधक तत्व खुद चित्त हो जाएंगे अतः पर संचित रहना चाहिए इसके लिए मन को साधना पड़ता है कुछ वजह हो भी तो सदा दुखी रहना और सिर्फ अतीत का गुणगान करना आत्मा विनाश है वर्तमान के हर क्षण को आनंद और सहजता से जीना चाहिए।
5.अपनी उर्जा और समय का प्रबंधन सफलता की कुंजी है आज के काम को कल पर ना डालें क्योंकि हर नया साल नया दायित्व लेकर आता है आदमी की विफलताओं का मूल है आज के काम को कल पर टालना। इसलिए सफलता की आकांक्षा रखने वाले क निर्णयशील ौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौौ और कर्मठ होना चाहिए। उसने दूरदृष्टि होनी चाहिए।
6.अक्सर 2 आदमी मिलती है और कुछ ज्यादा देर तक साथ रहती है तो तीसरे की बुराई शुरू हो जाती है किसी की निंदा करके कोई अच्छा नहीं हो जाता निंदा सुनने वाला भी सावधान हो जाता है कि यह तो परोक्ष में उसकी भी निंदा करता होगा भले प्रत्यक्ष में चाटुकारिता कर रहा है तू कारिता और निंदा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं राग द्वेष से ऊपर उठकर ही व्यक्तित्व का विकास संभव है।
7.हर काम एक पूजा है कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता एक समय में एक ही काम मनोयोग से करना चाहिए क्योंकि मस्तिष्क एक ही जगह एक आग्रह रहकर अपनी क्षमता दिखा सकता है यह भी ध्यान रखें कि कोई काम शुरू करने से पहले कार्य योजना बना लेने से जोखिम नियंत्रित हो जाता है।
8. जो अनजान है और अपने को बड़ा जानकर समझता है उससे बचकर रहना चाहिए जो थोड़ा बहुत जानकार है पर आपकी जानकारियों के प्रति शंकालु है वह हमसफ़र हो सकता है जो जानकार है और निरंतर जिज्ञासा के साथ उसके मन में अब तक की अपनी जानकारी के प्रति आस्था हो उसमें ज्ञान पाने का प्रयत्न करना चाहिए सीखना कभी बंद ना करें चाहे जितना ऊपर पहुंच जाए कहा गया है कि ज्ञान ही अंततः शक्ति और सफलता में बदल जाता है जब कर्म में उतरता है।
9. हर बड़ी सफलता के पीछे कुछ विफलता ही होती हैं फलतान को ढकने के लिए खूबसूरत बहाने खोजने की जगह उनकी वजह खोजने चाहिए अपनी कमजोरियों को पहचाने बिना आगे बढ़ना संभव नहीं है ना यह सोचे कि दूसरे आपके बारे में क्या सोचते हैं और ना ही अपना दुखड़ा गाते फिर भीतर के डर झिझक और तनाव से लड़े जरूरत है अपनी आंतरिक शक्तियों का उत्साह पूर्वक सदुपयोग और निरंतर संवर्धन करने की चिंता नहीं करने के विकल्प पलाश सेन और विकल्पों पर चिंतन करें मनुष्य को चिंताएं दूर करने के लिए चिंतनशील बने रहना पड़ेगा हर नई पीढ़ी को सफलता पाने के लिए पुरानी पीढ़ी से ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है।
10.कोई कदम उठाने से पहले सोच लें बुरे से बुरा क्या हो सकता है बच्चे की आशा करें और बुरे के लिए अपने मन को पहले से ही तैयार रखें हमेशा आशावादी बने रहना चाहिए मेरा सा अतीत में कैद रहती है जबकि आशा भविष्य में ले जाती है।
11.दूसरे की सफलताओं से ईर्ष्या नहीं करके उनसे सीखने की अपने फायदे हैं।
12.

सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

लीलाधर जगूड़ी: जीवनी

लीलाधर जगूड़ी
लीलाधर जगूड़ी का जन्म 1 जून 1944 को टिहरी गढ़वाल में हुआ ।
उन्होंने हिंदी साहित्य में में किया।
उन्होंने सैनिक के रूप में देश की सेवा की।
वह सरकारी जूनियर हाई स्कूल में शिक्षक भी रहे।
उत्तरांचल सरकार के सलाहकार भी रहे।
साहित्य अकादमी सम्मान से विभूषित हुए।
सन 1960 के बाद की हिंदी कविता को एक नई पहचान देने वाले जमकुड़ी जी ने एक से एक उत्कृष्ट काव्य संग्रह की रचना की जिनक परिचय इस प्रकार से है
शंख मुखी शिखर पर
नाटक जारी है
इस यात्रा में
रात अब भी मौजूद है
बची हुई पृथ्वी
घबराए हुए शब्द
भय शक्ति देता है
हम भूखे आकाश में चांद
महाकाव्य के बिना
ईश्वर की अध्यक्षता में
खबर का मूंह विज्ञापन से ढका है।
लीलाधर जगूड़ी नई कविता और है कविता के दौर में उभरे समकालीन कवियों में चर्चित कवि हैं जगूड़ी जी की कविताएं नए विपक्ष की कविताएं हैं जो इस अवस्था में आज के भारतीय मनुष्य की करुणा का पुनर आविष्कार या उसकी तलाश में विचार के स्तर पर निर्भरता की हद से गुजरती हुई शिल्प की अद्विक को सजीव नाटक किया था सेव मरने वाले कवि हैं
 सन 1960 के बाद पूरे भारत का सामाजिक एवं राजनीतिक ढांचा बदल रहा था।
 नक्सलवादी विद्रोह ने हिंदी कविता पर पर्याप्त प्रभाव डाला था ।
युवा जनवादी कभी इस घटनाक्रम से प्रभावित होते हैं।
 और वह दिशाहीन युवा वर्ग की यथार्थ अभिव्यक्ति देते हैं ।
लीलाधर जगूड़ी उन कवियों में आते हैं जिन्होंने अनुभव और भाषा के बीच कविता को जीवित रखा है।

 जगूड़ी की कविता मौजूदा अंधकार में लड़ी जा रही लड़ाई की कविता है ।
वे अंधकार को पहचानते हैं जिसने हमारे काल को छिपा दिया है।
 जगूड़ी की कविता में भाषा अलग से चमकती है।

 जगूड़ी की कविताओं में अनुभवों का और भाषा के बदलते रूप का नया दरवाजा खोला है।
 उन्होंने यह महसूस किया है कि प्रेम कविता से भी राजनीति की अभिव्यक्ति की जा सकती है।
 पेड़ हो चाहे, पहाड़ हो
 परिवार हूं चाहे समुंद्र
 हर कोई मुझे इस तरह से आता था की जिंदगी को एक ही हफ्ते में हल्की की तरह मचा दो ।
राजनीति और मानवीय प्रेम को चेक 19 हो गए थे ।

जब अपने समय का युवा पर याद आता है तो अक्सर इस यात्रा में शामिल हो जाता हूं ।
बीती हुई पीढ़ियों का युवा पर आती हुई  के युवाओं की दुनिया मुझे दोनों में यात्रा करना उत्साहवर्धक और आनंददायक लगता है ।
इस दृष्टि से देखता हूं तो इस यात्रा में की कविताएं अभी तक निरस्त हो पाई है ।
इनमें तरह तरह से जिंदगी में शामिल होने के बीच मौजूद हैं।जगूडी की कविताओं में पीढ़ियों के दो बंदों से उपजा परिवार का विखंडन कई बिंदुओं पर दिखाई देता है।

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

समकालीन हिंदी कविता का विकास

समकालीन हिंदी कविता का विकास
भूमिका
साहित्य में समाज कल्याण की भावना अंतर नहीं है साहित्य का सृजन अध्यात्मिक और कार्यात्मक रूपों में होता है स्वतंत्रता पूर्व हिंदी कविता का लेखन 
भारतेंदुवादी
 िद्ववेदी वादी
छायावादी और प्रगतिवादी धाराओं में हुआ सदन तक प्रयोगवादी और नई कविता की धाराएं विकसित हुई आजादी से पूर्व कविताओं का स्वर राष्ट्रीय स्वतंत्रता और सांस्कृतिक उत्थान था ।
स्वतंत्रता से पूर्व भारत की जनता के सुनहरी स्वप्न थे ।आजादी के बाद भारत का उज्जवल भविष्य होगा और रामराज्य जैसी सामाजिक व्यवस्था का निर्माण होगा।
 सन 1947 में भारत आजाद हुआ लेकिन रामराज्य का स्वप्न साकार नहीं हुआ तथा उनकी स्थिति उत्पन्न हो गई ।

राजनीतिक उथल-पुथल 1965 के युद्ध में करारी हार सामाजिक ,आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समस्याएं खाद्यान्नों की कमी ,जनता और कवियों में विक्षोभ और असंतोष पनपने लगा।
 हिंदी कविता के चित्र में सहज कविता ,विचार कविता अकविता 
भूखी पीढ़ियों की कविता
 युयुत्सा वादी
 कविता
 नवगीत 
 आदि अनेक काव्य आंदोलन हुए सर्वाधिक प्रचलित समकालीन कविता सन 1960 के बाद की हिंदी कविता को साठोत्तरी कविता 
नई कविता 
समकालीन कविता
 सातवें ,आठवें दशक की कविता, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की कविता 
अनेक नाम दिए गए ।
 समकालीन कविता नाम सबसे ज्यादा उपयुक्त महसूस हुआ समकालीन साहित्यकारों को अपने युग की राजनीतिक सामाजिक ,धार्मिक ,आर्थिक ,सांस्कृतिक अनुभूतियों का प्रत्यक्ष बोध होता है ।क्योंकि वह उस समय में जीता है और वह अपने युग की अच्छी बुरी घटना परिस्थितियों से परिचित रहता है यही समकालीन ता का घोतक है ।
समकालीन हिंदी कविता में जीवन और जगत की विसंगतियां  बोलबाला था ।
कुरूपता अंतर यथार्थ चित्रण हुआ है ।
सन 1960 के बाद का समय जीवन मूल्यों की दृष्टि से पत्रों मुखी रहा है।
 अवमूल्यन के इस युग में कविताओं के स्वरों में भी बड़ा परिवर्तन हुआ है ।
जिसकी अभिव्यक्ति व्यंग्यात्मक और विद्रोह आत्मक रूप में हुई है ।
समकालीन हिंदी कविता में आदर्श की झलक यत्र तत्र दृष्टिगोचर होती है।
 इस कविता में घोर यथार्थ का चित्रण है
समकालीन हिंदी कविता भी सामाजिक यथार्थ की अभिव्यंजना है यह कविता सामाजिक चिंतन कृत रमता और प्रपंच को मुखरित करने के लिए मध्यवर्ग की तरह से जिंदगी तथा उसकी कुरूपता के यथार्थ का सूक्ष्मता से चित्रण करती है।
 सन 1960 के पश्चात सामाजिक संबंधों वाली कविता में व्यंग्य विक्षोभ विद्रोह का स्वर प्रबल रूप से दृष्टिगोचर होता है।
 समकालीन कविता में भारतीय संवेदना की ज्वलंत अनुभूति है ।
वास्तव में इस कविता ने व्यक्ति और समाज के शत्रु पर तनाव अंतर्विरोध और विरोध वासियों को संपूर्ण संवेदनशीलता के रूप में अभिव्यक्ति प्रदान की है समकालीन कविता अपने युग की निष्क्रियता निराशा उत्पीड़न के माध्यम से अपना मार्ग खोजने का प्रयत्न में तल्लीन है ।
आज के समाज के लोग मुखौटा धारी हो गई पाखंड धोखाधड़ी भ्रष्टाचार में लिप्त हो गई और अपनी पूर्ववर्ती सामाजिक सांस्कृतिक विरासत को भूलकर झूठी शान ओ शौकत में जीने लगी है समाज में लोग मिठाई और कपट जारी हो गए हैं ।
मुंह में राम-राम और बगल में छुरी वारी लोकोक्ति आज के सामाजिक जीवन के यथार्थ को प्रकट करती से दिखाई देती है।
समकालीन कवि दोगले चेहरे का उद्घाटन करते हैं ।
भ्रष्टाचार की पोल खोलते हैं सामाजिक और नैतिक पतन पर तीव्र प्रहार करते हैं मुल्लों के विघटन पर खेद प्रकट करते हैं तथा आदर्शों के पतन पर करुण क्रंदन करते हैं।
 वे सत्य के पक्षधर हैं और धोखाधड़ी के घोर विरोधी हैं यह कविता जीवन और जगत के विशाल रूप में दिखती है जिसमें वह आतंक व धूटन के साथ साथ जीवन के सुंदर और आदर्शों का भी चित्रण मिलता है ।
समकालीन हिंदी कविता में अज्ञेय ,शमशेर बहादुर सिंह 
नागार्जुन 
केदारनाथ अग्रवाल 
भवानी प्रसाद मिश्र 
त्रिलोचन 
मुक्तिबोध 
गिरिजाकुमार माथुर
 भारत भूषण अग्रवाल 
नरेश मेहता 
रामदरश मिश्र 
धर्मवीर भारती 
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 
कुंवर नारायण 
रघुवीर सहाय 
कीर्ति चौधरी 
राजमल चौधरी ।
दुष्यंत कुमार
 केदारनाथ सिंह 
कुमार विकल 
धूमिल
 कैलाश वाजपेई 
चंद्रकांत देवताले 
विनोद कुमार 
शुक्ल 
रामचंद्र शाह
 सौमित्र मोहन
 गंगा प्रसाद 
विमल प्रयाग 
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
 वेणुगोपाल
 लीलाधर जगूड़ी
 बलदेव वंशी 
आलोक धन्वा
 मंगलेश डबराल 
ज्ञानेंद्रपति 
उदय प्रकाश
 असद जैदी
 अनामिका 
अर्चना वर्मा 
सविता सिंह 
निर्मला
  गगन गिल 
प्रेम रंजन 
अनिमेष
 नीलेश
 रघुवंशी आदि प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है समकालीन हिंदी कविता में गीत, लोकगीत ,गजल ,लंबी कविताएं भी लिखी गई है।
 मक्षभारत युग युगांतर में ग्राम प्रधान रहा है ।
आधुनिक काल में नगरीकरण के परिपेक्ष्य में ग्रामीण समाज का विघटन हो रहा है गांव उजड़ रहे हैं।
 और नगर महानगर हो रहे हैं ।
समकालीन कविताओं का विचार है कि ग्रामीण जीवन की आंचलिकता ।
लोक संस्कृति और पर्यावरण का संरक्षण हो इसीलिए वह महानगरीय प्रदूषण और संवेदनहीनता के प्रति भी चिंतित हैं संयुक्त परिवार अभी भी केवल ग्रामीण अंचलों में सुरक्षित है नगरीकरण और पाश्चात्य चमक-दमक वाली संस्कृति के कारण संयुक्त परिवारों का तेजी से विघटन हो रहा है ।
पारस्परिक भाईचारा सामाजिक सौहार्द स्वार्थपरता के कारण कम होता जा रहा है समकालीन कवि समाज को सचेत कर रहे हैं समकालीन कवि नारी विमर्श दलित विमर्श वनवासी विमर्श और बाल विमर्श के प्रति भी सजग हैं।
स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय राजनीति आदर्श त्याग तपस्या और बलिदान पर आधारित थी स्वतंत्रता के पश्चात आदर्श यथार्थ में बदल गई त्याग तपस्या विलासिता में बदल गई बलिदान स्वार्थ में बदल गया समकालीन हिंदी कविता में कवियों ने राजनीति की कुरूपता पूरा प्राधिकरण का यथार्थ चित्रण किया है इस कविता में न्यायपालिका में सफलता कवियों ने सजीव चित्रण किया है न्याय में देरी का अर्थ नए का गला घोटना राजनीति में सत्ता और संपत्ति का गठबंधन हो गया है जो संपत्ति साली है वही शक्तिशाली हो जाते हैं जो बलवान हैं वे शक्तिशाली हो जाते हैं धन बल और भुजबल का खेल बढ़ रहा है यही राजनीति का उचित रूप है समकालीन कवियों ने अत्याचार अनाचार व्यभिचार अन्याय सांप्रदायिकता अनुशासनहीनता मूल्य हीनता राजनीति को अपनी कविता का वर्ण विषय मानकर अपने साहस और दायित्व बोध का परिचय दिया है ।

बुधवार, 30 सितंबर 2020

हिंदी प्रचार प्रसार में सिनेमा का योगदान

हिंदी भाषा व सिनेमा जगत
सिने जगत के अनेक नायक नायिका, गीतकारों, कहानीकारों और निर्देश को‌‌ को हिंदी के माध्यम से ही पहचान मिली है ।
यही कारण है कि गैर हिंदी भाषी कलाकार भी हिंदी की ओर आए हैं ।
समय और समाज के उभरते सच को पर्दे पर पूरी अर्थवेता में धारणा करने वाले यह लोग दिखावे के लिए भले ही अंग्रेजी के गुलाम होलेकिन बुनियादी और जमीनी हकीकत यही है कि इनकी पूंजी, इनके प्रतिष्ठित रुतबा,प्रतिष्ठा का एकमात्र निमित हिंदी भाषा ही है ।
लाखों करोड़ों दिलों की धड़कन पर राज करने वाले यह सितारे फिल्म और भाषा के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं।

छोटा पर्दा हो या बड़ा पर्दा दोनों ने ही आम जनता के घरों में अपना मुकाम बनाया है ।
हिंदी आम जनता की जीवन शैली बन गई ।
हमारे अध्ययन ग्रंथों रामायण और महाभारत को जब हिंदी में प्रस्तुत किया गया तो सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल गया।
 बुनियाद और हम लोग जैसे सीरियल शुरू हुए ,सॉप ओपेरा का दौर हो या सास बहू धारावाहिक का ।
यह सभी हिंदी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण हैं कौन बनेगा करोड़पति से करोड़पति चाहे जो बने हो पर सदी के महानायक की हिंदी हर दिल की धड़कन और हर धड़कन की भाषा बन गई ।
सुर और संगीत की प्रतियोगिताओं में कर्नाटक ,गुजरात ,महाराष्ट्र, असम, सिक्किम जैसे गैर हिंदी क्षेत्रों के कलाकारों ने हिंदी गीतों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई।
 गंभीर डिस्कवरी चैनल हो या बच्चों को रिझाने लुभाने वाला टॉम एंड जेरी कार्यक्रम हो करें इनकी हिंदी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत प्रभावशाली है।
 धर्म संस्कृति कला कौशल ज्ञान विज्ञान सभी कार्यक्रम हिंदी की संप्रेषण का यह प्रमाण है।

गोस्वामी तुलसीदास कृत कवितावली उत्तरकांड से

गोस्वामी तुलसीदास कवितावली उत्तर कांड से का सारांश


गोस्वामी तुलसीदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल की सगुण धारा की राम शाखा के मुकुट शिरोमणि माने जाते हैं।

इन्होंने अपनी महान रचना रामचरितमानस के द्वारा केवल राम काव्य को ही समृद्ध नहीं किया बल्कि मानस के द्वारा तत्कालीन समाज का भी मार्गदर्शन किया।
 तुलसीदास जी एक भगत होने के साथ-साथ एक लोक नायक भी थे।
तुलसीदास जी ने कवितावली ब्रज भाषा में लिखी है।
 यह कविता में उन्होंने अपने समय का यथार्थ चिंतन कर चित्रण किया है ।
कवि का कथन है कि समाज में किसान, बनिए ,भिखारी नौकर ,चाकर ,चोर सभी की स्थिति अत्यंत दयनीय है ।उच्च वर्ग और निम्न वर्ग धर्म अधर्म का सहारा ले रहा है।
प्रत्येक कार्य करने को मजबूर है।
 लोग अपने पेट की खातिर अपने बेटा बेटी को बेच रही है पेट की आग संसार की सबसे बड़ी पीड़ा है।
 समाज में व्याप्त भुखमरी सबसे सोचनीय दशा है।
 मनुष्य को लाचार बना देता है। 
समाज में किसान के पास करने के लिए खेती नहीं, भिखारी को भीख नहीं मिलती, व्यापारी के पास व्यापार नहीं है नौकरों के पास करने के लिए कोई भी कार्य नहीं है ।
समाज में चारों और बेकारी, भुखमरी, गरीबी और अधर्म का बोलबाला है ।
अब तो ऐसी अवस्था में  दीन दुखियों की रक्षा करने वाले सिर्फ और सिर्फ श्री राम हैं।
 श्री राम की कृपा से ही यह सब दुख दर्द दूर हो सकते हैं ।अंत में कवि ने समाज में फैली जाती पाती और छुआछूत का भी खंडन किया है और श्री राम के द्वारा ही राम राज्य की स्थापना की जाने की कामना की।
काव्य सौंदर्य
समाज का यथार्थ अंकन हुआ है।
कवित्त छंद का प्रयोग हुआ है।
तत्सम प्रधान ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है
अभिधा शब्द शैली का प्रयोग है।
बीमा योजना सुंदर एवं सटीक है।
अनुप्रास पद मैत्री अलंकारों की छटा है।

सोमवार, 14 सितंबर 2020

विज्ञापन माध्यम के गुण

जन माध्यमों को मांग  विक्रय वृद्धि का श्रेष्ठ साधन माना जाता है जिनका उपयोग देश के दूरस्थ भावों तथा विदेश में मैं जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए किया जाता है छोटी व्यवसायिक फलों के संदर्भ में भी कुछ विशेष प्रकार के माध्यम में जैसे पर्चियां पोस्टर तथा विज्ञापन पत्तियों के उपयोग में व्यक्तिगत संपर्क की अपेक्षा अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। विज्ञापन को प्रभावशाली ढंग से लक्षित उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए एक अनुकूल माध्यम का चयन भी अति आवश्यक है।
अनुकूल विज्ञापन माध्यम का चयन करते समय मुख्यतः दो विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
1.उपभोक्ता की पहचान
2. विज्ञापन के लिए आवंटित राशि
प्रभावशाली विज्ञापन अभियान के लिए विज्ञापन करता को अपने लक्षित उपभोक्ता की पहचान होने के बाद उस विशेष लक्षित उपभोक्ता को उपलब्ध विभिन्न विज्ञापन माध्यमों का विश्लेषण किया जाता है सर्वाधिक अनुकूल व प्रभावी विज्ञापन माध्यम का चयन अपने विज्ञापन के लिए कर लिया जाता है।
किसी विज्ञापन के संप्रेक्षण के लिए माध्यम विशेष का चयन करने से पहले निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए।
1. माध्यम की भौगोलिक पहुंच जैसे 
अंतरराष्ट्रीय
राष्ट्रीय 
क्षेत्रीय अथवा स्थानीय
2. विशिष्ट वर्ग
जैसे
महिला
बच्चे
व्यवसायियों
अधिकारियों
आदि तक पहुंचने की क्षमता
3.माध्यम की उत्पादन गुण
4. कितने लंबे समय तक विज्ञापन ग्राहकों के सामने टिका रह सकेगा।
आदर्श विज्ञापन माध्यम के गुण
1.पहुंच-माध्यम ऐसा होना चाहिए से अधिक संख्या में लक्ष्य तक पहुंचा जा सके।
2. सस्ता-माध्यम लागत की दृष्टि से अपेक्षाकृत सस्ता होना चाहिए आदर्श माध्यमिक वह होता है जो समय के अनुसार कम से कम लागत में अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंच सके।
3. लचीला-माध्यम को पर्याप्त मात्रा में लचीला भी होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर संदेश के आकार विन्यास, रंग आदि में परिवर्तन किया जा सके।
4. संदेश-माध्यम ऐसा होना चाहिए जिससे संदेश को वास्तविक अर्थों में श्रोता या उपभोक्ता तक पहुंचाया जा सके 5. उपभोक्ता को भ्रमित करने वाला विज्ञापन नहीं होना चाहिए।
6. पुनरावृति के अवसर-विज्ञापन माध्यम में कुछ निश्चित समय अंतराल पर संदेश को दोहराने की क्षमता भी होनी चाहिए।

माध्यमों का मूल्यांकन
वर्तमान में उपलब्ध है किसी भी विज्ञापन माध्यम मैं आदर्श माध्यम के सभी गुण विद्यमान नहीं है किसी भी माध्यम से पहुंच तो बहुत अधिक है लेकिन वह अत्यधिक महंगा है प्रत्येक माध्यम से छात्रों में आदर्श है तो उसमें कुछ दोष भी विज्ञापन माध्यम का चयन करते समय काफी सतर्क रहना चाहिए और सभी उपलब्धियों का मूल्यांकन कर लेना चाहिए।
समय की मांग के अनुसार अनुसार सभी विज्ञापनों का अलग-अलग प्रयोग करना चाहिए ।
जैसे 
समाचार पत्र
 पत्रिकाएं 
रेडियो 
टेलीविजन
 फिल्म
सोशल मीडिया फेसबुक
 टि्वटर 
इंस्टाग्राम 
युटुब

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

कोरोना संकट में सफलता के सूत्र

कोरोना संकट में सफलता प्राप्ति हेतु अवश्यक सूत्र
भाग्य भी एक अवसर है तो कोरोना भी अवसर है।
luck -labour under correct knowledge
2  .नियमित  सही  अध्ययन
3. असफलता की जिम्मेदारी लेना।


4.मेरी मुलाकात अक्सर ऐसे लोगों से होती है जो जीवन में सफल नहीं होते हैं निराशा में डूबे रहते हैं मैं अपनी तरफ से यही सलाह देता हूं कि कभी निराश ना हो। निरंतर प्रयास करना ना छोड़े।
5. करो ना संकट में संभावनाओं की तलाश करें।
6.कोई भी सेलिब्रिटी या बड़ा व्यक्ति एक दिन में महान नहीं बनता उसके पीछे बहुत सारे प्रयास क होते हैं।
7.इंसान की प्रवृत्ति है कि वह हर हाल में अपने आप को श्रेष्ठ समझते हैं अपनी गलतियों को जल्दी से स्वीकार करना ही नहीं चाहता जब सफल होता है तब सारा श्रेय खुद लेना चाहता है और असफल होने पर है सफलता की जिम्मेदारी को स्वीकार करने की बजाय अपनी तकदीर को ही खराब बताते अच्छी बात यह होगी कि हम सही दिशा में पूरी लगन से मेहनत करें सफलता एक दिन जरूर आएगी।
8. कुछ सफल लोग किस्मत का नाम देते हैं वास्तव में वह एक अवसर होता है अवसर हमें जी हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं जिसे हम भाग्य किस मतलब का नाम देते हैं वह वास्तव में अवसर होता है जो सभी के जीवन में कभी न कभी उसे जरूर प्राप्त होता है।
9.काम की बात यह है कि अब इस कोरोनावायरस गर नकारात्मक रूप से लेंगे तो यह संभावना की बजाय आपको संकट दिखाई देगा नहीं तो यह आपके लिए संभावना बन जाए यह डिपेंड आप पर ही करता है सफलता के इंतजार में पूरी जिंदगी आप बैठे रह जाएंगे अगर किस्मत के भरोसे रहेंगे तो।
10. चीन की एक कहावत मुझे याद आती है की हजारों कदमों की यात्रा सिर्फ एक ही कदम से शुरू होती है।
11.कहने का अभिप्राय यह है कि अगर किस्मत के भरोसे बैठोगे तो बहुत सारे अवसरों को हवा दोगे करो ना कॉल में संभावनाएं तलाशी ए अपनी क्षमताओं और संसाधनों के अनुसार अनुसार कठोर परिश्रम करना शुरू कर दीजिये सफलता अवश्य मिलेगी ।
धन्यवाद