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सोमवार, 20 जुलाई 2020

Mirabai sambandhit prashnon ke Uttar/मीराबाई संबंधित प्रश्नों के उत्तर

1. 
1.मीरा का जन्म कब हुआ?
मीरा का जन्म 1498 में कुडकी मारवाड़ राजस्थान में हुआ।

2.मीरा की मृत्यु कब हुई
मीरा की मृत्यु 1540 में वृंदावन में हुई।

3.मीरा के इष्ट देव कौन थे?
मीरा के इष्ट देव श्री कृष्ण थे।

4.
मीराबाई को श्री कृष्ण का कौन सा रूप भाता था?
मीराबाई को श्री कृष्ण का पति रूप भाता था।

5.श्याम चाकरी क्यों करना चाहती थी वह श्री कृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या करती थी?
श्याम को रिझाने के लिए वह शाम की चाकरी अर्थात नौकरी करना चाहती थी वह पूरा समय शाम चरणों में ही बिता देने के कारण उसकी नौकरी करने के लिए तैयार थी। श्री कृष्ण को रिझाने के लिए वह उन्हें जोगिया ,रमैया ,हरि ,अविनाशी गिरधर ,गोपाल ,दीनानाथ ,यम उदाहरण ,पतित पावन, नंद नंदन ,बलवीर ,गिरधारी गिरधारी, ठाकुर ,प्रतिपाला ,प्रेम प्रिया रानी, पूर्व जन्म रो साथी आदि शब्दों से उन्हें विभूषत करती थी।
।जैसे एक विवाहिता स्त्री अपने पति की सेवा के लिए पूरा दिन कार्य करती रहती है उसी प्रकार मीराबाई बिहार एक वह कार्य करती थी।

6.मीराबाई का बचपन किस प्रकार बीता था?
मीराबाई का बचपन राजसी ठाठ बाट से बीता था।

7.कई बार प्रश्न पूछा जाता है क्या मीराबाई राशि परिवार से थी।
उत्तर हां ,मीराबाई एक राजसी परिवार से थी उनके पिता राठौर सिंह महार महाराज थे राठौर रतन सिंह। कई रियास   तो के महाराज थे।
8.मीराबाई के अनुसार कृष्ण वृंदावन में क्या-क्या करती थी?
मीराबाई के अनुसार कृष्ण वृंदावन में गोपियों को रीझते थे , गो को चरते थे। गोवर्धन पर्वत की होली पर उठाकर ग्राम वासियों की रक्षा करते थे। अपनी बांसुरी बजा कर सभी को मंत्रमुग्ध कर देते थे।

9.पदों की कवियत्री का नाम बताइए
  पद की कवयित्री मीराबाई जी

10.मीराबाई अपना सर्वस्व किसे मानती थी
 मीराबाई श्री कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती थी।

11.मीराबाई  किस काल की कवयित्री मानी जाती हैं?
   मीराबाई भक्ति कालीन कवयित्री मानी जाती हैं।    

12.मीराबाई कृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं?
  मीराबाई कृष्ण से अपने उद्धार करने की प्रार्थना करती हैं     ताकि उस से मुक्ति मिल सके तथा दर्शन की अभिलाषा        वह रखती है।

13.मीराबाई की से देखकर प्रसन्न होती हैं तथा किसे देख       कर रो पड़ती है?
मीरा बाई प्रभु भगत को देखकर प्रसन्न होती हैं और जगत को देख कर रो उठती हैं।

14.मीरा का हृदय सदैव दुख से भरा क्यों रहता है?
  मीरा का ह्रदय दुख से सदैव इसलिए भरा रहता है क्योंकि   वह मोहमाया में लिप्त प्राणियों की दशा को देखकर सोच   विचार में पड़ जाती हैं तथा अंदर ही अंदर घुलती रहती हैं।


15.लोक लाज होने से क्या अभिप्राय है?
विवाहिता होने के बावजूद श्री कृष्ण को अपना पति मान कर उसके सामने नाचना परिवार की मर्यादा के विरुद्ध है संसार से दूर से एक स्त्री द्वारा संतो के पास बैठकर सत्संग करना भी उस समय के समाज में मान्य नहीं था इसी कारण उनके संबंधी और समाज के लोगों का मानना था कि मीरा ने लोक लाज को खो दिया है।

16.मीरा ने सहज मिले अविनाशी क्यों कहा है?
मीरा का मानना है कि जो समाज से भी ना डरे समाज के द्वारा दी गई यात्राओं का निडरता से सामना करते हुए भगवान के प्रति अनन्य प्रेम करते हैं वह अविनाशी प्रभु उन्हें अपने भक्तों को बड़ी सरलता से ही प्राप्त हो जाते हैं कृष्ण के प्रेम से प्रसन्न होकर सहजता व आसानी से प्राप्त हो गए हैं।

17.लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?
लोग मीरा को बावरी इसलिए कहते हैं कि मीरा कृष्ण के प्रेम में रम कर पूरी तरह से कृष्णमयी हो गई है।विवाहिता होते हुए भी वह पांव में घुंघरू बांधकर कृष्ण के समक्ष नाचती है मीरा कृष्ण को पति रूप में स्वीकार करती है मीरा को अपने कुल की मर्यादा और लोगों की कोई परवाह नहीं है वह लोक लाज की चिंता छोड़कर संतो के पास बैठी रहती है इसी कारण लोग मीरा को बावरी कहती हैं।

18.विष का प्याला राणा भेजा, पीवत मीरा हंासी  इसमें क्या व्यंग्य छिपा हुआ है?
मीरा के कृष्ण के प्रति प्रेम को देखकर मीरा के पति राजा भोज द्वारा भी अनेक यातनाएं की गई राजा भोज के मरने के बाद भी उनके देवर ने विष का प्याला भेजा मीरा तो कृष्ण के प्रेम में लीन होकर निर्भय हो गई उसने हंसते-हंसते राणा द्वारा भेजा गया विष का प्याला पी लिया मेरा कि इसी में निहित व्यंग्य यह है कि संसार की मोह माया से ग्रसित स्वार्थी लोग कृष्ण प्रेम को नहीं जानते हैं वे मानते हैं कि शरीर की मृत्यु से अमर प्रेम समाप्त हो जाएगा जबकि वह अविनाशी कृष्ण तो निडर रहकर प्रेम करने वालों की रक्षा करते हैं तथा उन्हें सहज ही प्राप्त हो जाते हैं उनकी कृपा से अमृत में बदल जाता है।


हिंदी साहित्य में मीरा पर लिखी गई पुस्तकें

मीराबाई का जीवन परिचय/मीराबाई की संपूर्ण जानकारी

मीराबाई का जीवन परिचय
कृष्ण भक्त कवि सूरदास के पश्चात मीराबाई का उच्च स्थान प्राप्त है मीराबाई के जन्म तथा मृत्यु के संबंध में बहुत सारे मतभेद पाए जाते हैं।
जन्म -
उनका जन्म सन 1498 कुड़की मारवाड़ राजस्थान में हुआ।
मृत्यु-उनकी मृत्यु 1540 ईस्वी में वृंदावन में ही हुई।
मीराबाई का बाल्यकाल
मीराबाई राठौर रतन सिंह की इकलौती पुत्री थी उनका बालाघाल बड़े ही राजसी ठाठ बाट में बीता ।
उनकी माता जी श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहने वाली एक धार्मिक स्त्री थी। इनकी माताजी का असर ही श्री मीराबाई जी पर पड़ा। बचपन से ही श्रीकृष्ण को उन्होंने अपना पति मान लिया था।
विवाह
मेरा भाई जी का विवाह महाराणा सांगा के पुत्र कुंवर भोजराज से हुआ था।बाल्यकाल से श्री कृष्ण को अपने पति रूप में देखती थी इसलिए राजा भोज राज से उनकी ज्यादा नहीं बन पाई थी।
दुर्भाग्यवश आठ 10 वर्षों के उपरांत ही उनके पति की मृत्यु हो गई थी।
विधवा मीरा पर किए गए अत्याचार
पति की मृत्यु के बाद मीराबाई का मन अपने ससुराल में बिल्कुल नहीं लगता था उसका देवर उस उसको श्री रूप में पाना चाहता था लेकिन मीरा का मन राजसी ठाठ ,राजसी चहल-पहल में नहीं रमता था।
उसने मंदिरों में जाना शुरू कर दिया और साधु-संतों संतो की संगति में रहने लगी।मीरा ने कृष्ण को अपना पति मान लिया था और उनके विरह के ही पद वह गाती थी इस तारा बजात थी
देवर ने उन्हें जहर का प्याला तो कभी सर्प की टोकरी भेजी लेकिन श्रीकृष्ण की इतनी कृपा उनके ऊपर थी कि जहर का प्याला अमृत में बदल गया सब की टोकरी फूलों की माला से भर गई।
देवर के अनेक कष्ट दिए जाने पर भी मीरा अपनी भक्ति मार्ग से टस से मस नहीं हुई और कृष्ण का कीर्तन करते-करते कृष्णमयी हो गई।
रचनाएं
मीराबाई अधिक शिक्षित नहीं थी परंतु साधु संतों की संगति में रहने के कारण उनका अनुभव और ज्ञान बहुत व्यापक बन गया था।
उन्होंने अपने प्रियतम श्री कृष्ण के प्रेम की मस्ती में झूमते और नाचते हुए जो कुछ मुख से निकाला वही एक मधुर गीत बन गया।
इन की प्रसिद्ध रचनाएं
नरसी का मायरा
राग गोविंद
राग सोरठ
इनकी रचनाओं की मुख्य विशेषताएं
मीरा की भक्ति कांता भाव की माधुर्य पूर्ण भक्ति थी।
इनके गीतों में भगवान के आत्म समर्पण की भावना विद्यमान है।
वेदना की तीव्र अनुभूति के कारण उनका प्रत्येक गीत हृदय पर सीधा प्रभाव डालता है।
सामाजिक रूढ़ियों का विरोध होते हुए भी इनकी कविता में भारतीय इतिहास और संस्कृति की सुंदर झलक दिखाई देती है।
मीराबाई भारतीय संस्कृति के अनुसार पहली क्रांतिकारी महिला थी।
जिन्होंने समाज की रूढ़ियों को छोड़कर अपने मन के अनुसार स्वतंत्र जीवन जीने का मन बनाया।
मीरा की भाषा
मीरा जी की भाषा राजस्थानी मिश्रित लोक भाषा थी।
जो लोकप्रिय होते होते साहित्यिक भाषा बन गई।
मीरा के बिरह गीत गीत की शैली में है।
मीरा की कृष्ण के प्रति अनन्य तथा समर्पण भावना का वर्णन इसमें दिखाई देता है।
रूपक अनुप्रास पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार ओं का सुंदर चित्रण है।
इनके पदों में संगीतात्मकता का गुण है।
तुकांत छंद की छटा दिखाई देती है।
वियोग श्रृंगार रस की प्रधानता है।
भाषा में राजस्थानी लोक शब्दों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग हुआ है।
करुण रस का प्रयोग है।
प्रसाद गुण विद्यमान है।

भाषा के कुछ उदाहरण

मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई


असुवन जल सीजी सीजी प्रेम बेलि बोई
अब तो बेली चली गई आनंद फल होयी


पग घुंघरू बांध मीरा नाची
मैं तो मेरे नारायण हूं आप ही हो गई साची

विष का प्याला राणा भेजा पी वत मीरा हंसी
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर सहज मिले अविनाशी

गुरुवार, 16 जुलाई 2020

हिंदी साहित्य मैं उपन्यासों का विषय वर्णन

उपन्यासों का विषय वर्णन

1. निर्मला- प्रेमचंद जी
दहेज प्रथा और अनमेंल विवाह पर आधारित।

2. तितली -जयशंकर प्रसाद
ग्रामीण जीवन को केन्द्र मे रखकर नारी की कहानी।

3. सुनीता--जैनेन्द्र कुमार
विधवा विवाह पर आधारित उपन्यास।

4. परख- जैनेंद्र कुमार
विधवा विवाह पर आधारित।

5. त्यागपत्र -जैनेन्द्र कुमार
मृणाल नामक भाग्यहीन युवती के जीवन पर आधारित।

6. सुखदा--जैनेन्द्र कुमार
सुखदा के जीवन पर आधारित

7. नदी के द्वीप--अज्ञेय
यौन संबंधों को केन्द्र बनाकर जीवन की परिक्रमा दर्शाया गया है।

8. अपने अपने अजनबी --अज्ञेय
सेल्मा कैंसर से पीड़ित महिला है और योको एक नवयुवती

9. दिव्या--यशपाल 
बौद्धकाल की घटनाओं पर आधारित दलित पीड़ित नारी की करुण कथा है।

10. तिरिया चरित्तर-शिवमूर्ति 
नायिका विमल के साथ ससुर का अमानवीय व्यवहार

11. अग्निगर्भा--अमृतलाल नागर
दहेज और नारी दमन का निकृष्टतम रूप

12. बूंद और समुद्र --अमृतलाल नागर
विधवाओं की विडंबन

शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी

हिंदी साहित्य
✒  *HINDI SPECIAL*

प्रश्‍न 1- किस युग को आधुनिक हिन्दी कविता का सिंहद्वार कहा जाता है। 
उत्‍तर - भारतेन्दु युग को । 
प्रश्‍न 2- द्विवेदी युग के प्रवर्तक कौन थे। 
उत्‍तर - महावीर प्रसाद द्विवेदी । 

प्रश्‍न 3- हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास कौन सा माना जाता है। 
उत्‍तर - भाग्यवती । 

प्रश्‍न 4- सन् 1950 से पहले हिन्दी् कविता किस कविता के रूप में जानी जाती थी। 
उत्‍तर - प्रयोगवादी । 

प्रश्‍न 5- ब्रज भाषा का सर्वोत्त‍म कवि है। 
उत्‍तर - सूरदास । 

प्रश्‍न 6- आदिकाल के बाद हिन्दी में किस साहित्य का उदय हुआ । 
उत्‍तर - भक्ति साहित्य का । 

प्रश्‍न 7- निर्गुण भक्ति काव्य के प्रमुख कवि है। 
उत्‍तर - कबीरदास । 

प्रश्‍न 8- किस काल को स्वर्णकाल कहा जाता है। 
उत्‍तर - भक्ति काल को । 

प्रश्‍न 9- हिन्दी का आदि कवि किसे माना जाता है। 
उत्‍तर - स्व्यंभू । 

प्रश्‍न 10- आधुनिक काल का समय कब से माना जाता है। 
उत्‍तर - 1900 से अब तक । 

प्रश्‍न 11- जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना कौन सी है। 
उत्‍तर - कामायनी । 

प्रश्‍न 12- बिहारी ने क्या लिखे है। 
उत्‍तर - दोहे । 

प्रश्‍न 13- कबीर किसके शिष्य थे। 
उत्‍तर - रामानन्द । 

प्रश्‍न 14- पद्यावत महाकाव्य कौन सी भाषा में लिखा है। 
उत्‍तर - अवधी । 

प्रश्‍न 15- चप्पू किसे कहा जाता है। 
उत्‍तर - गद्य और पद्य मिश्रित रचनाओं को । 

प्रश्‍न 16- कलाधर उपनाम से कविता कौन से कवि लिखते थे। 
उत्‍तर - जयशंकर प्रसाद । 

प्रश्‍न 17- रस निधि किस कवि का उपनाम है। 
उत्‍तर - पृथ्वी सिंह । 

प्रश्‍न 18- प्रेमचन्द्र के अधुरे उपन्यांस का नाम है। 
उत्‍तर - मंगलसूत्र । 

प्रश्‍न 19- हिन्दी का सर्वाधिक नाटककार कौन है। 
उत्‍तर - जयशंकर प्रसाद । 

प्रश्‍न 20- तुलसीकृत रामचरित मानस में कौन सी भाषा का प्रयोग किया गया है। 
उत्‍तर - अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है। 

प्रश्‍न 21- एकांकी के जन्मदाता कौन है। 
उत्‍तर - धर्मवीर भारती । 

प्रश्‍न 22- मीराबाई ने किस भाव से कृष्ण की उपासना की । 
उत्‍तर - माधुर्य भाव से । 

प्रश्‍न 23- रामचरित मानस का प्रधान रस है।
उत्‍तर - शान्त रस । 

प्रश्‍न 24- सबसे पहले अपनी आत्मकथा हिन्दी में किसने लिखी । 
उत्‍तर - डॉं. राजेन्द्र प्रसाद ने । 

प्रश्‍न 25- हिन्दी कविता का पहला महाकाव्य् कौन सा है। 
उत्‍तर - पृथ्वीराज रासो । 

प्रश्‍न 26- हिन्दी के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है। 
उत्‍तर - उदन्ड मार्तण्ड । 

प्रश्‍न 27- हिन्दी साहित्य की प्रथम कहानी है। 
उत्‍तर - इन्दुमती । 

प्रश्‍न 28- आंचलिक रचनाऍं किससे सम्बन्धित होती है। 
उत्‍तर - क्षेत्र विषेश से । 

प्रश्‍न 29- पृथ्वीराज रासो किस काल की रचना है । 
उत्‍तर - आदिकाल की । 

प्रश्‍न 30- हिन्दी गद्य का जन्म दाता किसको माना जाता है। 
उत्‍तर - भारतेन्दु हरिचन्‍द्र जी को । 

प्रश्‍न 31- कवि कालिदास की ‘अभिज्ञान शाकुन्त‍लम्’ का हिन्दी अनुवाद किसने किया। 
उत्‍तर - राजा लक्ष्मणसिंह ने । 

प्रश्‍न 32- पद्य साहित्य को कितने भागों में बॉंटा गया है। 
उत्‍तर - पन्द्रह भागों में । 

प्रश्‍न 33- कवि नरेन्द्र शर्मा ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी के निधन से प्रभावित होकर कौन सी रचना की । 
उत्‍तर - रक्त चन्दन की रचना की । 

प्रश्‍न 34- नाट्यशास्त्रकारों द्वारा अमान्य रस कौन सा है। 
उत्‍तर - वीभत्स रस । 

प्रश्‍न 35- काव्य शास्त्र का प्राचीनतम नाम क्या था। 
उत्‍तर - अलंकार शास्त्र । 

प्रश्‍न 36- रीति सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे। 
उत्‍तर - आचार्य वामन । 

प्रश्‍न 37- हिन्दी में काव्य शास्त्र के प्रथम आचार्य कौन है। 
उत्‍तर - केशवदास । 

प्रश्‍न 38- साहित्य शब्द् किस शब्द से बना है। 
उत्‍तर - सहित शब्द से बना है। 

प्रश्‍न 39- हिन्दी साहित्य में जीवनी साहित्य का प्रारम्भ कौन से युग में हुआ । 
उत्‍तर - भारतेंदु युग में । 

प्रश्‍न 40- हिन्‍दी भाषा और सांहित्‍य के लेखक है। 
उत्‍तर - श्‍यामसुंदरदास । 

प्रश्‍न 41- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । यह किसने कहा । 
उत्‍तर - अरस्तू ने । 

प्रश्‍न 42- भाषा किसे कहते है। 
उत्‍तर - मनुष्य अपने मानसिक विचारों की अभिव्यक्ति के लिए जिस माध्यम का प्रयोग करता है। वह भाषा कहलाती है। 

प्रश्‍न 43- भाषा शब्द की उत्पत्ति कहॉ से हुई है। 
उत्‍तर - भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के भाष धातु से हुई है। 

प्रश्‍न 44- सामान्य् शब्दों मे हम भाषा को किस तरह से व्यक्तु करेगे । 
उत्‍तर - भाषा वह साधन है । जिसके द्वारा मनुष्य अपने भावों या विचारों को बोलकर या लिखकर दूसरे मनुष्यो तक पहुँचाता है। 

प्रश्‍न 45- भाषा को मोटे रूप में कितने भागों मे बांटा गया है। 
उत्‍तर - भाषा को मोटे रूप में 2 भागों मे बांटा गया है। 
1. लिखित भाषा
2. मौखिक भाषा 

प्रश्‍न 46- हिन्दी भाषा का सम्बंन्ध किस लिपि से है। 
उत्‍तर - देवनागरी लिपि से है.   


।टॉप 21 प्रश्नोतर - mcq
•───────────────────•
1. निम्न में से कौन अधिकारी के नाम से विख्यात थे ?
(अ) नंददास (ब) छीतस्वामी
(स) कृष्णदास ✔️ (द) परमानंददास

2. सुमेलित कीजिए-
(कवि)                (जन्म स्थान)
(क) परमानंददास    1. सूकरक्षेत्र के अनुसार गांव में
(ख) कृष्णदास        2. कन्नौज (उत्तरप्रदेश)
(ग) नंददास           3. आंतरी गांव (भरतपुर)
(घ) गोविन्द स्वामी   4. रामनगर राज्य के चिलोतरा गाँव में

कूट –
क ख ग घ
(अ) 4 2 1 3
(ब) 2 4 1 3 ✔️
(स) 2 4 3 1
(द) 2 1 4 3

3. नंददास द्वारा रचित एक प्रकार का पर्याय कोशग्रन्थ है ?
(अ) रूपमंजरी          (ब) अनेकार्थ मंजरी✔️
(स) रास पंचाध्यायी     (द) राम मंजरी

4. शब्दों के प्रति सजग होने के कारण किस कवि को ’जङिया’ की उपाधि प्रदान की गई ?
(अ) कृष्णदास (ब) परमानंद दास
(स) चतुर्भुजदास (द) नंददास✔️

5. ’भँवरगीत’ नंददास के परिपक्क दर्शनज्ञान, विवेकबुद्धि, तार्किक शैली और कृष्ण भक्ति का परिचायक काव्य है। ’भंवरगीत’, के पूर्वार्द्ध में गोपी-उद्धव संवाद है और उत्तरार्द्ध में कृष्ण-प्रेम में गोपियों की विरहदशा का वर्णन है।’ कथन है ?
(अ) आचार्य शुक्ल (ब) डाॅ. नगेन्द्र✔️
(स) हजारी प्रसाद द्विवेदी (द) गणपतिचन्द्र गुप्त

6. नंददास ने अपनी किस कृति में लौकिक व अलौकिक प्रेम को समन्वित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ?
(अ) नंदपदावली           (ब) सुदामाचरित में
(स) रास पंचाध्यायी✔️     (द) राम मंजरी में

7. नंददास कृत रचनाएँ है ?
(अ) रूक्मिणीमंगल, भंवरगीत, रासपंचाध्यायी
(ब) सुदामाचरित, श्याम सगाई, अनेकार्थ मंजरी
(स) रूपमंजरी, राममंजरी, विरहमंजरी, नाममंजरी
(द) उपर्युक्त सभी✔️

8. निम्न में से किस कवि को संगीत शास्त्र का पूर्ण ज्ञान था एवं जिनके पास तानसेन भी गायन कला सीखने आते थे ?
(अ) परमानंददास       (ब) कृष्णदास
(स) गोविन्द स्वामी✔️   (द) चतुर्भुजदास

9. ’अहो विधना। तापै अचरा पसार मांगो, जनम-जनम दीजो मोहि, याही ब्रज वासिनो’ पद के रचयिता है ?
(अ) गोविन्द स्वामी    (ब) चतुर्भुज दास
(स) छीत्त स्वामी ✔️   (द) कृष्णदास

10. राधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रवर्तक है ?
(अ) हरिराम व्यास         (ब) हित हरिवंश गोस्वामी✔️
(स) हरिदास निरंजनी     (द) चतुर्भुज दास

11. ’बङौ अभाग्य अनन्य सभा को उठि गयौ ठाठ सिंगार’ हित हरिवंश की मृत्यु पर यह पंक्ति किसने कही ?
(अ) चतुर्भुज दास ने      (ब) हरिराम व्यास ने✔️
(स) दामोदर व्यास ने    (द) ध्रुवदास ने

12. ’सबसौ हित निष्काम मति वृंदावन विश्राम, राधावल्लभ को हृदय ध्यान मुख नाम’ पंक्तियों के रचयिता है ?
(अ) दामोदर व्यासस   (ब) हित हरिवंश✔️
(स) हरिराम व्यास      (द) ध्रुवदास

13. हरिराम व्यास कृत रचना है ?
(अ) ’व्यासवाणी’, ’रागमाला’✔️    (ब) सेवकवाणी
(स) द्वादशयश                      (द) मंगलसार यश

14. कृष्ण काव्य में सर्वाधिक रचना करने वाले कवि थे?
(अ) नेहि नागरीदास      (ब) ध्रुवदास ✔️
(स) हरिदास निरंजनी    (द) चैतन्य महाप्रभु

15. ’हितवानी’ एवं ’नित्य विहार’ के रचयिता है ?
(अ) नेहि नागरीदास✔️  (ब) धु्रवदास
(स) चैतन्य महाप्रभु      (द) हित हरिवंश

16. निम्न में से किस सम्प्रदाय में निकुंज बिहारी कृष्ण की आराधना की जाती है ?
(अ) हरिदासी या सखी सम्प्रदाय में✔️
(ब) राधावल्लभ सम्प्रदाय में
(स) गौङीय सम्प्रदाय में
(द) माधव सम्प्रदाय में

17. सुमेलित कीजिए –
(कवि)                (जन्मस्थान)
(क) निम्बार्काचार्य     1. देवबंद, सहारनपुर में
(ख) चैतन्यमहाप्रभु    2. ओरछा में
(ग) ध्रुवदास            3. वैल्लारी जिले के निम्बापुर नगर में
(घ) हरिराम व्यास     4. बंगाल के नवद्वीप नामक स्थान पर।

कूट-
क ख ग घ
(अ) 1 2 3 4
(ब) 3 4 2 1
(स) 3 4 1 2✔️
(द) 2 4 3 1

18. निम्न में से किसके बचपन का नाम विश्वम्भर था एवं घर में उन्हें ’निमाई नाम से पुकारा जाता था ?
(अ) चैतन्य महाप्रभु ✔️      (ब) निम्बार्काचार्य
(स) विष्णुस्वामी              (द) हितहरिवंश

19. निम्बार्काचार्य कृत रचनाएँ है ?
(अ) वेदांत पारिजात सौरभ, दशश्लोकी
(ब) श्री कृष्ण स्तवराज, मंत्र रहस्य
(स) प्रपन्न कल्पावली
(द) उपर्युक्त सभी ✔️

20. चैतन्य मत या गौङीय सम्प्रदाय का दार्शनिक सिद्धान्त कहलाता है ?
(अ) अचिन्त्य भेदाभेद ✔️  (ब) भेदाभेद
(स) द्वैतमत                  (द) विशिष्टाद्वैत

21. ’जग सुहाग मिथ्या री सजनी, हावा हो मिट जासी वरन करयां हरि अविनासी, म्हारो काल व्याल न खासी’ पद है ?
(अ) रसखान         (ब) मीराँ बाई ✔️
(स) चतुर्भुज दास   (द) परमानंद दास
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गुरुवार, 2 जुलाई 2020

गुरु पुर्णिमा स्पेशल

गुरु पुर्णिमा स्पेशल
5 जुलाई 2020।  


 गुरु रास्ता भी है 
गुरु मंजिल भी
जिंदगी की बड़ी जरूरत भी
ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग भी
जीवन भविष्य से जुड़ने
का रास्ता भी
गुरु और गोविंद एक साथ खड़े हो तो किसे प्रणाम करना चाहिए गुरु को अथवा गोविंद को जवाब यही है कि गुरु के चरणों में ही झुकना उत्तम है इनकी कृपा से ही गुरु ही ईश्वर के दर्शन करा सकता है।
गुरु ही ब्रह्मा 
गुरु ही विष्णु
 गुरु ही भगवान है
 गुरु ही शिक्षक
गुरु ही रक्षक है
गुरु ही शंकर है
गुरु ही ब्रह्मा 
गुरु की महिमा अपार है खुश तो भूमि में गुरु का अर्थ अंधकार या मूल अज्ञान कथा ।
रू का अर्थ उसका निरोधक कहा गया है अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला गुरु होता है ।
संत कबीर ने गुरु के बारे में कहा है कि
 गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय 
   
अर्थात गुरु और गोविंद दोनों एक साथ खड़े होने पर किसके पैर में पहले स्पर्श करो गुरु के श्री चरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनकी कृपा प्रसाद से ही गोविंद के दर्शन होते हैं ।

संत तुलसीदास ने तो गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना है रामचरितमानस में वह लिखते हैं कि गुरु दिनों बहू ने दिल करे ना कोई जो बिरंचि संकर सम होई 
अर्थात भले ही कोई ब्रह्मा शंकर के समान क्यों ना हो।
 वह गुरु के बिना भवसागर पार नहीं कर सकता।

 संत तुलसीदास तो शिक्षक को मनुष्य के रूप में भगवान ही मानते हैं।
 वह रामचरित्र मानस में लिखते हैं कि
 बंधन गुरु पद कंज कृपा सिंधु 
नर मोह तम पुंज जासु 
बच्चन रबि कर निकर 

यानी गुरु मनुष्य रूप में नारायण ही है मैं उनके चरणों की वंदना करता हूं गुरु के वचनों से मूर्तियां कार का नाश हो जाता है।

 संत कबीर ने तो अद्भुत अंदाज में कहा है कि 
गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ ,गढ़ी गढ़ी काडे खोट 
अंदर हाथ सहार देत
बाहर मारै चोट

 महायोगी श्री अरविंद ने कहा है कि अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं।
 वह संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं।
 और अपने शर्म से उन्हें सीट जीतकर महाप्राण शक्तियां बनाते हैं जिस दिन उसी दिन से शुरू हो जाता है।
 उसी दिन से शिष्य का पतन शुरू हो जाता है ।
सद्गुरु शिष्य की सभी प्रकार के कदम कदम पर से रक्षा करता है ।
इसलिए गुरु का सम्मान करना चाहिए ।
उनके दिए ज्ञान का अनुसरण करना चाहिए 
गुरु की मर्यादा अर्थात सभी का हनन कभी ना करें ।
कहा भी गया है कि गुरु के समीप शिष्य का आसन हमेशा नीचे होना चाहिए ।
गुरु की बुराई या निंदा ना करें और ना ही उनकी नकल करें गुरु के न रहने पर भी शिष्य को गुरु का नाम आदर पूर्वक देना चाहिए ।
गुरु जहां कहीं भी मिले जिससे उनका सम्मान करें ।
अगर आज के संदर्भ में गुरु शिष्य के संबंध को देखें तो यह बेहद विडंबना की बात है ।
कि दोनों के बीच वैसे मर्यादित और स्नेह पूर्ण संबंध तो दूर की बात है।
 शहद संबंध भी नहीं मिलते कारण चाहे जो भी हो।
 हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि जब तक गुरु के प्रति श्रद्धा व निष्ठा नहीं होगी तब तक ज्ञान नहीं मिलेगा ।
श्री कृष्ण ने भगवत गीता में अर्जुन से कहा-सर्व धर्म आना परिचय नाम के नाम शरणं व्रज रहमत वासर भोपा पर वह अवश्य से मामी मां सूची अर्थात सभी साधनों को छोड़कर केवल नारायण स्वरूप गुरु की शरण में हो जाओ वे सभी पापों का नाश करवा देगा कहने का अभिप्राय है कि गुरु सद्गुरु होना चाहिए ।
इसकी पहचान आप पर विवेक ही आपको करवाएगा सही गुरु की शरण लेने से ही भवसागर पार किया जा सकता है ।धन्यवाद

विश्वविद्यालय में रिअपीयर के के अंक कैसे दिए जाएं

विश्व हरियाणा में विश्वविद्यालय में रिअपीयर आने वाले छात्रों को किस प्रकार दिए जाएं हम
प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में हरियाणा कोरिया बीयर वाली परीक्षाएं किस आधार पर अंक दिए जाएं अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है बुधवार यानी 1 जुलाई को सभी विश्वविद्यालयों के परीक्षा नियंत्रक की बैठक हुई है महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक मैं इसके बाद रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को सौंपी गई है यह बैठक 1 जुलाई को दोपहर बाद महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में शुरू हुई और देर शाम तक चलती रही बैठक में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय हिसार एमडीयू रोहतक कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी आइजीयू मीरपुर चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी मुरथल यूनिवर्सिटी चौधरी देवी लाल के परीक्षा नियंत्रक शामिल हुए।
इवन सेमेस्टर की रिअपीयर को लेकर होगा फैसला
बैठक में इवन सेमेस्टर यानी दूसरे चौथे छठे और आठवें सेमेस्टर रिअपीयर की परीक्षाओं को लेकर चर्चा हुई विद्यार्थियों को किस आधार पर आग लगाए जाए इसको लेकर शुरू से ही विश्वविद्यालय प्रशासन और विद्यार्थियों के बीच असमंजस की स्थिति थी विद्यार्थियों की मांग और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा सरकार को भेजे गए पत्र के बाद परीक्षा नियंत्रक ओ की कमेटी बनाई और उसकी रिपोर्ट पुस्तक पुस्तक विभाग को सौंप दी जल्द ही इस पर कोई अहम फैसला लिया जाएगा।
रेगुलर विश्व के लगाए जा चुके हैं अंक
इस कमेटी की रिपोर्ट में विद्यार्थियों की मई में परीक्षा रद्द की गई और रिअपीयर के परीक्षा के अंक देने का विकल्प सजाया जा रहा है कोविड-19 के चलते रेगुलर परीक्षा रद्द कर दी गई है वहीं रेगुलर परीक्षाओं की जगह पर विद्यार्थियों को पिछले संस्थाओं के अंग वह इंटरनल अंकों के आधार पर अंक दिए जा रहे हैं
पता रिअपीयर के बारे में भी सोचा जा रहा है।

सोमवार, 15 जून 2020

बाबा बटेश्वर नाथ नागार्जुन कृत उपन्यास सार

बाबा बटेश्वर नाथ उपन्यास नागार्जुन 

1.बाबा बटेश्वर नाथ एक उपन्यास है
2.जो नागार्जुन जिनको वैद्य मिश्र यात्री नाम से भी जाना जाता है द्वारा लिखित है।
https://youtu.be/ayfap3X0zTs
3.
इस उपन्यास का कथानक के कोई मनुष्य नहीं एक बूढा बरगद है।
4.जिस प्रकार गांव में बड़े बूढ़ों को आदर दिया जाता है उसी प्रकार आदर इस बूढ़े बरगद को दिया जाता है इसीलिए इसको बाबा बटेश्वर नाथ कहा जाता है।
5.यह एक बरगद का पेड़ है जो आपने से जुड़ी चार पीढ़ियों के कथानक को आजादी से जोड़कर उसे जयकिशन को सुनाते हैं सीख देते हैं।
6.बाबा बटेश्वर नाथ अपनी कहानी सुनाते सुनाते पूरे गांव की कहानी सुना जाते हैं ग्रामीण जीवन के सुख-दुख रूदन और अभाव अभियोग ओं का इसमें भी बड़ा ही सहज और मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है
7.यह एक रुपाली गांव की कथा है जो जयकिशन के 8.परदादा ने इस बरगद के पेड़ को रोका था
9.जमीदारी उन्मूलन से संबंधित है जब भारत में आया था उस समय की कहानी है
10.जयसिंह है बाबा बटेश्वर नाथ के बीच वार्तालाप इसके बीच हुए हैं
11.आजादी से पहले वह बाद की कहानी इस उपन्यास में बताई गई है।
12.4 में आने वाले बदलाव के बारे में जिक्र जिसमें हुआ है।
13.यह एक आंचलिक उपन्यास है।
14.बाबा बटेश्वर नाथ एक ही उम्र 103 साल है।
15.जय किशन बाबा बटेश्वर नाथ की जय हो जाता है और 16.वह बाबा बटेश्वर नाथ से बातचीत करता हुआ दिखाई देता है
17.आजादी से पहले और आजादी के बाद की सभी घटनाओं का करीने से कर्म गत रूप से वह वर्णन करता है और गांव में होने वाले बदलाव का जिक्र करता है
18.इस उपन्यास में नमक कानून बनना है सहयोग आंदोलन चरखा चलाना सूट काटना गुड से चीनी बनाना इस प्रकार के परिवर्तन किया गया है।
19.जहां एक प्रकार से इसके नकारात्मक परिणामों के बारे में बताया गया है वही अंग्रेजों के जो सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं उनके बारे में भी इस उपन्यास में वर्णन किया गया है जैसे रेलवे लाइन का विकास गांधीजी के अलग-अलग प्रभाव युवा और महाजन व जमीदार के बीच होने वाला प्रतिवाद
19.यह उपन्यास जीवंत संवेदनशील आंचलिक और एक व्यक्ति विशेष की देन है नागार्जुन

20पेड़ के आसपास की जमीन को जमीदार हड़पना चाहते हैं 

निष्कर्ष -जिनका यह आंचलिक उपन्यास से बरगद के बहाने आने वाली पीढ़ियों पर भी आजादी से संबंधित सभी जानकारी जय किशन को सुनाते हैं और सीख देती हैं
शिल्प की दृष्टि से नागौर जन का यह उपन्यास विलक्षण है जिसका कथा नायक कोई मानव एक बूढा बरगद है।