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सोमवार, 13 अप्रैल 2020

आधुनिक मीरा-महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
BA 3rd 6th sem.

महादेवी वर्मा 
जीवन परिचय-

आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली कवयित्री एवं महान लेखिका महादेवी वर्मा जी का जन्म 26 मार्च, 1907 को उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद जिले में हुआ था. इनका जन्म एक साहू परिवार में हुआ था. इनके पिताजी का नाम गोविंद सहाय वर्मा व माता जी का नाम हेमरानी था। उनके परिवार में 7 पीढ़ियों के बाद किसी पुत्री का जन्म हुआ था । अतः इनके जन्म से परिवार में बहुत खुशियां मनाई गई । इनका जन्म देवी मां की कृपा से हुआ था. इस कारण इनके दादा भागलपुर जी ने उनका नाम महादेवी रख दिया. महादेवी वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में ही हुई थी, और  9 वर्ष की अल्प आयु में इनका विवाह स्वरूप नारायण प्रसाद जी  के साथ हो जाने और साथ में ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो जाने के कारण इनकी शिक्षा रुक गई, किंतु बाद में यह पुनः प्रारंभ हो गई. हिंदी, अंग्रेजी, चित्र कला और संस्कृति का ज्ञान देने के लिए अध्यापक उनके घर पर ही आते थे।

प्रसिद्धि के पथ पर- 

महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत के साथ महत्वपूर्ण स्तंभ मानी जाती हैं। उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा गया है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।
गद्य पद्य दोनों ही साहित्य में अपना कीर्तिमान स्थापित करने वाली महान कवयित्री महादेवी वर्मा जी का निधन 11 सितंबर 1987 ई0 में हुआ था. भले ही उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया हो, किंतु उनका साहित्य आज भी संपूर्ण संसार को अपने ज्ञान से प्रकाशित कर रहा है.
1932 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम॰ए॰ करने के बाद से उनकी प्रसिद्धि का एक नया युग प्रारंभ हुआ। भगवान बुद्ध के प्रति गहन भक्तिमय अनुराग होने के कारण और अपने बाल-विवाह के अवसाद को झेलने वाली महादेवी बौद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थीं। कुछ समय बाद महात्मा गांधी के सम्पर्क और प्रेरणा से उनका मन सामाजिक कार्यों की ओर उन्मुख हो गया। प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत साहित्य में एम० ए० करने के बाद प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या का पद संभाला और चाँद का निःशुल्क संपादन किया। प्रयाग में ही उनकी भेंट रवीन्द्रनाथ ठाकुर से हुई और यहीं पर 'मीरा जयंती' का शुभारम्भ भी हुआ ।

 महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय 

कवित्री महादेवी की साहित्य और संगीत के अलावा चित्रकला में भी रुचि रखती थी .उनकी सबसे पहली रचना महिलाओं की विशेष पत्रिका  “चांद”  में प्रकाशित हुई और  इसका संपादन भी इन्हें स्वयं किया. 

महादेवी वर्मा की रचनाएं-
महादेवी वर्मा जीवनी पद एवं गद्य दोनों ही विधाओं में बहुत सी रचनाएं की हैं और दोनों विधाओं में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है. इनमें से कुछ कृतियां इस प्रकार हैं-
महादेवी वर्मा की कृतियाँ (रचनाएं) –
कविता संग्रह:

महादेवी वर्मा ने निम्नलिखित कविता संग्रह लिखे:

1. नीहार (1930) 
यह उनका प्रथम काव्य है और इस काव्य संकलन में लगभग 47 गीत संकलित हैं

2. रश्मि (1931) 
इस काव्य संग्रह में आत्मा और परमात्मा के मिलन के संबंध में 37 कविताएं संग्रहित हैं.

3. नीरजा (1934) 
इस संग्रह में 58 गीत लिखे गए हैं जिनमें से ज्यादातर गीतों में विरह वेदना भाव दर्शाया गया है.

4. सांध्यगीत (1936) उय उनका चौथा कविता संग्रह हैं। इसमें 1934 से 1936 ई० तक के रचित गीत हैं। 1936 में प्रकाशित इस कविता संग्रह के गीतों में नीरजा के भावों का परिपक्व रूप मिलता है। इसमे न केवल सुख-दुख का बल्कि आँसू और वेदना, मिलन और विरह, आशा और निराशा एवं बन्धन-मुक्ति आदि का  भी समन्वय है।

5. दीपशिखा (1942)
इस संग्रह में लगभग 58 गीत लिखे गए हैं और इन गीतों में रहस्य भावना को प्रधान रखा गया है. 

6. सप्तपर्णा (अनूदित-1959)

7. प्रथम आयाम (1974)

8. अग्निरेखा (1990)

गद्य साहित्य:
गद्य साहित्य में महादेवी वर्मा द्वारा रचित कृतियाँ निम्नलिखित हैं:
रेखाचित्र – अतीत के चलचित्र (1941) तथा स्मृति की रेखाएं (1943)

संस्मरण – पथ के साथी (1956) और मेरा परिवार (1972 और संस्मरण (1983)

निबंध – शृंखला की कड़ियाँ (1942), 
विवेचनात्मक गद्य (1942), 
साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (1962), संकल्पिता (1969)

ललित निबंध – क्षणदा (1956)

कहानियाँ – गिल्लू

संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह – हिमालय (1963)

बाल साहित्य:
महादेवी वर्मा के लिखे बाल साहित्य निम्नलिखित हैं:
1. ठाकुरजी भोले हैं
2. आज खरीदेंगे हम ज्वाला

इसके अतिरिक्त महादेवी वर्मा जी ने महिलाओं की विशेष पत्रिका “चाँद” का संपादन कार्य भी संभाला।

सम्मान और पुरुस्कार-
1. सेकसरिया पुरस्कार (1934), 
2. द्विवेदी पदक (1942), 
3. भारत भारती पुरस्कार (1943), 
4 . मंगला प्रसाद पुरस्कार (1943) 
5. पद्म भूषण(1956)
6. साहित्य अकादेमी फेल्लोशिप (1979), 
7. यामा कृति पर - ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982), 
8. पद्म विभूषण(1988) मरणोपरांत
9. 1991 में सरकार ने उनके सम्मान में, कवि जयशंकर प्रसाद के साथ उनका एक 2 रुपये का युगल टिकट भी जारी किया था.

काव्यगत विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ)
1. आत्माभिव्यक्ति
2. मार्मिक वेदना एवम प्रेम का चित्रण
3. रहस्यवाद
4. प्रकृति प्रेम
5. राष्ट्रीय / सांस्कृतिक जागरण
6. स्वच्छन्दतावाद
7. कल्पना की प्रधानता
8. दार्शनिकता
9. महादेवी वर्मा की भाषा शैली
महादेवी वर्मा जी ने अपनी भाषा शैली में सर्वाधिक खड़ी बोली का प्रयोग किया है .और इन गीतों में विरह-वेदना और आत्मा परमात्मा के मिलन को ज्यादातर दर्शाया गया है. इन्होंने भावात्मक शैली का प्रयोग किया है इनकी रचनाओं में उपमा, रूपक श्लेष और मानवीकरण जैसे अलंकारों का प्रयोग किया गया है.

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