5955758281021487 Hindi sahitya : सदाचार का ताबीज

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

सदाचार का ताबीज

 सदाचार का ताबीज व्यंग्य लेख का उद्देश्य
भूमिका-सदाचार का ताबीज एक व्यंग्य लेख है जो हरिशंकर परसाई द्वारा लिखा गया है। व्यंग्य लेख भी निबंध का ही एक रूप होता है।
सदाचार की ताबीज का उद्देश्य-
1. इस व्यंग्य का प्रमुख उद्देश्य देश में सर्वत्र व्याप्त भ्रष्टाचार की व्यापकता पर प्रकाश डालना है।
2. लेखक हरिशंकर परसाई जी ने इसके उन्मूलन पर भी विचार प्रस्तुत किए हैं।
3. सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार का भयावह रूप प्रस्तुत किया गया है।
4.जो एक कल्पित राज्य और राजा के माध्यम से लेखक ने प्रस्तुत करने की कोशिश की है राजा अपनी प्रजा में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए विद्वानों द्वारा सदाचार का ताबीज सभी कर्मचारियों को बनवा देता है। जब वह माह की 2 तारीख को रिश्वत की रकम लेने के लिए तैयार नहीं है राजा बड़ा खुश होता है यह तो बड़ा अजीब ताबीज है सभी सदाचारी हो गए हैं लेकिन जब वह माह की 21 तारीख को दोबारा मूल्यांकन करता है तो सभी कर्मचारी रिश्वत लेने के लिए तैयार हो जाते हैं इसी में लेख का उद्देश्य निहित होता है।
5. सरकार का छोटे से लेकर बड़ा कर्मचारी हर स्तर पर आज रिश्वत लेने के लिए तैयार है।
6. उन्मूलन का प्रयास सरकार करती है तो सरकार का ही कोई मंत्री या अधिकारी भ्रष्टाचार के उन्मूलन में बाधा बनकर खड़ा हो जाता है।
निष्कर्ष-लेखक श्री हरिशंकर परसाई जी को लगता है कि यदि कर्मचारियों को उनकी आवश्यकता अनुसार समुचित वेतन और सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाए तो ही इस भ्रष्टाचार का उन्मूलन संभव है यही इस व्यंग्य का सच्चा और सही उद्देश्य है।

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