***हिंदी साहित्य में भक्ति काल की कृष्ण काव्य धारा के प्रमुख कवि रसखान जी हैं।
****पूरा नाम- सैयद इब्राहिम रसखान रस की खान
****जन्म -सन 1573 ईस्वी में हरदोई जिले के पिहानी ग्राम में हुआ।
***मृत्यु- इनकी मृत्यु वृंदावन में 1628 ईस्वी में हुई।
****पिता -एक संपन्न जागीरदार थे।
****इनका कार्य क्षेत्र एक कवि के रूप में कृष्ण भगत के रूप में जाता।
****इनकी कर्म भूमि ब्रजधाम थी।
****कवि रसखान कृष्ण के कृष्ण भक्त कवि थे और ***प्रभु कृष्ण के सगुण और निर्गुण रूप से उपस्थित थे ****रसखान ने कृष्ण की सगुण रूप की लीलाओं का ****बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है।
*****यह ने लीलाओं से वे इतने प्रभावित हुए कि पशु पक्षी पहाड़ या नर रूप में ब्रज में ही पैदा होना चाहते थे।
****मुसलमान होते हुए भी इन्होंने एक हिंदू देवता से इस प्रकार अनन्या प्रेम किया इस कारण इनको रस की खान कहा जाता है।
***रसखान जी के गुरु का नाम गोस्वामी विट्ठलदास जीता।
इनकी विद्वता उनके काव्य की अभिव्यक्ति में से जगजाहिर है रसखान को फारसी हिंदी संस्कृत का अच्छा ज्ञान था उन्होंने श्रीमत भगवत का फारसी में अनुवाद किया था।
प्रमुख रचनाएं ----सुजान रसखान और प्रेम वाटिका है ****इनका काल भक्ति काल
*** इनकी विधाएं कविता और सवैया छंद है ।
***सगुण भक्ति का वर्णन किया है ।
***भाषा शैली ब्रज फारसी और हिंदी है।
*** उनके जीवन में कभी रस की कमी न थी पहले लौकिक रस आस्वादन करते रहे फिर अलौकिक रस में लीन होकर काव्य रस से रहे।
***उनके काव्य में कृष्ण की रूप माधुरी ,ब्रज महिमा राधा कृष्ण की प्रेम लीला ओं का उत्कृष्ट वर्णन मिलता है।
***** वे अपनी प्रेम की तन्मयता , भाव भी है लता और आसक्ति के उल्लास के लिए जितने प्रसिद्ध हैं ।***उतने ही अपनी भाषा की मार्मिक ता शब्द चयन तथा व्यंजक शैली के लिए भी है।
*** यह हमेशा दिल्ली के आसपास ही रहे तथा कृष्ण से संबंधित है प्रत्येक वस्तु पर वे मुग्ध हैं-----
कृष्ण के रूप सौंदर्य
वेशभूषा
मुरली
गाय गोवर्धन
पर्वत
यमुना नदी के तीर
कदम के पेड़ ,लाठी ,कंबल आदि से
रसखान की प्रमुख पंक्तियां
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